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This Article is From Aug 12, 2023

मध्य प्रदेश में टमाटर की खेती करने वाले किसान क्यों हैं मायूस? जानें वजह

मध्यप्रदेश में टमाटर की जो फसल आने वाली है, वह सितंबर के आखिर के बाद में बाजार में आएगी. जब टमाटर लगातार खेतों से टूटने लगेगा तो इसकी कीमत ₹1 किलो तक आ जाएगी.

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मध्य प्रदेश में टमाटर की खेती करने वाले किसान क्यों हैं मायूस? जानें वजह
फिलहाल सब्जी मंडी में टमाटर ₹150 से लेकर ₹250 किलो तक बिक रहा है.
शिवपुरी:

देशभर में टमाटर की कीमत को लेकर न केवल राजनीति हो रही है और देश की संसद से लेकर सड़क तक नेता टमाटर को लेकर खूब चुटकुले बाजी भी कर रहे हैं. घरों से टमाटर की नाराजगी भी साफ देखी जा सकती है. लेकिन सवाल यह है कि कर्नाटक के किसान जो टमाटर की खेती करते हैं, वह मालामाल क्यों और मध्य प्रदेश के किसान जो खेती करते हैं टमाटर की वह मायूस क्यों..? आपको हैरानी होगी यह जानकर कि टमाटर आने वाले दिनों में 1 रुपए किलो के भाव आने वाला हैं. जी हां यह बात बिल्कुल सोलह आने सच है और अब तक ऐसा ही होता आया है.

सितंबर के बाद टमाटर की कीमत ₹1 किलो तक आ जाएगी
दरअसल, मध्यप्रदेश में टमाटर की जो फसल आने वाली है वह सितंबर के आखिर के बाद में बाजार में आएगी. जब टमाटर लगातार खेतों से टूटने लगेगा तो इसकी कीमत ₹1 किलो तक आ जाएगी. नौबत तो यहां तक आ जाती है कि किसानों को टमाटर के उचित भाव नहीं मिलने के कारण उन्हें अपने टमाटर सड़कों पर बिखराने पड़ते हैं. 

हर साल सर्दियों के मौसम में कम से कम मध्य प्रदेश के कई शहरों में तो टमाटर की कीमत 1 रुपए किलो तक आ पहुंचती है. लेकिन अभी टमाटर ₹150 से लेकर ₹250 किलो तक मंडी में बिक रहा है.

हालत यह है कि कर्नाटक के जो टमाटर उत्पादक किसान हैं, वह करोड़ों रुपए में खेल रहे हैं. जबकि मध्य प्रदेश के किसान टकटकी लगाए यह देख रहे हैं कि कीमत बस यही बनी रहे तो वह भी करोड़ों में खेलेंगे. लेकिन उनके साथ होता क्या है पूरी खबर में तफ्तीश से समझिए . 

मध्य प्रदेश के किसानों टमामटर के ऊंचे भाव के बावजूद लाभ नहीं
मध्य प्रदेश के किसान जुलाई के पहले सप्ताह में टमाटर के खेतों में पौधों का रोपण करते हैं, निराई गुड़ाई करते हैं खाद और पानी देते हैं. वह नई फसल के आने का इंतजार करते हैं जो लगभग सितंबर अंत तक आती है. तब तक फसल इतनी तादाद में आती है कि उसे मार्केट में खपाना मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश के किसानों को टमाटर के ऊंचे भाव होने के बावजूद भी उसका लाभ नहीं मिल पाता यह मायूसी उनके चेहरे पर साफ तौर पर बयां होती है.

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कर्नाटक के किसान मालामाल तो मध्य प्रदेश के किसान मायूस क्यों?
शिवपुरी के डोंगरा इटमा रोड पर अपने खेत में टमाटर की खेती करने वाले किसान धाकड़ विनोद धाकड़ ने बताया कि आखिर ये पूरा माजरा क्या है. जब मध्यप्रदेश के टमाटर उत्पादक किसान से हमने सवाल किया कि कर्नाटक के किसान टमाटर को लेकर मालामाल हो रहे हैं, फिर मध्य प्रदेश के किसान मायूस क्यों है तो उन्होंने बड़ी मायूसी के साथ में इसका जवाब दिया.उन्होंने कहा कि यह  हर साल उनके साथ होता है.

दरअसल, जुलाई के पहले सप्ताह में  बारिश की शुरुआत के साथ हम किसान जो यहां टमाटर उत्पादन करते हैं वह टमाटर के पौधे तैयार करके खेतों में रोकते हैं. फिर उसकी निंदाई  करते हैं गुंडई करते हैं. फसल आते-आते सर्दी आ जाती है. सर्दियों में टमाटर का उत्पादन  इतना बढ़ जाता है कि उसकी कीमत कम हो जाती है और हम लोगों को इतनी कीमत नहीं मिल पाती. जबकि कर्नाटक के किसान गर्मियों में टमाटर की खेती करते हैं. यही कारण है कि उस समय जब बाजार में भाव ज्यादा होते हैं तो उन्हें ज्यादा लाभ होता है.

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कई बार टमाटर की खेती करने वाले किसान  मालामाल हुए
हालांकि, ऐसा नहीं है कि टमाटर की किसानों को मध्यप्रदेश में सिर्फ मायूसी का ही सामना करना पड़ता है. कई दौर ऐसे भी आए हैं जिस दौर में टमाटर की खेती करने वाले क्षेत्र के किसान खूब मालामाल हुए हैं. इस बात को बड़े उत्साह के साथ कहते हुए किसान ने हमें बताया कि हमने कई बार टमाटर की फसल पैदा करके अच्छे पैसे कमाए हैं. लेकिन बात मौके मौके की है. जिले के कई बड़े किसान हैं, जिन्होंने टमाटर की खेती कर करोड़ों रुपए कमाए हैं. लेकिन आज मौका कर्नाटक जैसे टमाटर उत्पादक राज्यों का है, जहां  यह किसान  टमाटर बेचकर मालामाल हो रहे हैं.

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सब्जी मंडी में टमाटर को लेकर दुकानदारों की क्या हैं मुश्किलें
जब हम टमाटर को लेकर सब्जी मंडी में गए तो कई दुकानों से तो टमाटर नदारद दिखा और जहां दिखा .वहां भाव इतने ज्यादा थे कि लोग उसको देखकर आकर्षण ही खो बैठे थे. इसको लेकर जब हमने दुकानदारों और ग्राहकों से बातचीत की तो दोनों का अलग-अलग कहना था. टमाटर विक्रेता प्रदीप कुशवाह, शेरू जाटव, रवीना बेगम ने हमें बताया कि टमाटर और आने से इस तरह का धमाल बचाया हुआ है कि लोग बड़ी मुश्किल से खरीद रहे हैं.

सब्जी मंडी के दुकानदारों  का कहना है कि कर्नाटक के अलावा बाहर से टमाटर आ रहा है. इसलिए हमें टमाटर को सोच समझकर मंगवाना पड़ता है. ऐसा ना हो कि इतना महंगा टमाटर बिके नहीं और खराब होने के बाद नुकसान हमें उठाना पड़े. यही कारण है कि हम टमाटर को उतना ही मंगवा रहे हैं, जितनी हमें जरूरत दिख रही है.

सब्जी मंडी में सब्जी लेने आ रहे हैं ग्राहकों से भी जब बात की गई तो उनका यह कहना था कि जब टमाटर इतना महंगा है तो फिर उसे रोज तो नहीं खरीदा जा सकता. लेकिन रसोई के लिए टमाटर अगर जरूरी है तो आपको भाव देखना  नजरअंदाज करना पड़ेगा. मुसीबत यह है कि हमारी जेब इजाजत नहीं देती बात सही भी है.  सब्जी मंडी में सब्जी खरीदने आए दिनेश पार्वती गीता और  रवि कुमार ने कहा कि सलाद की प्लेट से तो टमाटर खाली हो गया है. रेस्टोरेंट और होटलों में खाने में अगर सलाद मांग लिया जाए और टमाटर आ जाए तो कीमत चुकाना मुश्किल हो जाता है. इन ज्यादातर लोगों का कहना था कि टमाटर जहां हम रोज 1 से 2 किलो खरीदते थे ,आज यह स्थिति है कि महीने में ज्यादा से ज्यादा 2 किलो टमाटर खरीद रहे हैं. 

जानें क्या कहते हैं आंकड़े

बीते 5 सालों की अगर बात करें तो मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के टमाटर उत्पादन को इस तरह देखा जा सकता है.

  • वर्ष  2018 में टमाटर का बेशुमार उत्पादन हुआ और किसान क्षेत्र के मालामाल हुए उस दौरान लगभग 200 से ढाई ₹100 प्रति कैरेट और ₹500 प्रति कैरेट टमाटर बाजार में बिका. टोटल नगर जिले के टमाटर उत्पादन की बात की जाए तो यह टमाटर उत्पादन जिले के 47000 हेक्टेयर से ज्यादा खेतों में उत्पादित हुआ. लेकिन बाद में किसानों को इसके दाम इसलिए नहीं मिले क्योंकि ज्यादा उत्पादन होने की वजह से कीमत बहुत कम हो गई.
  •  वर्ष 2019 की अगर बात करें तो लगभग 52000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसानों ने टमाटर का उत्पादन किया और टमाटर के अच्छे उत्पादन को देखकर लगातार टमाटर किसानों के चेहरे खिले हुए दिखाई दिए.
  • 2020 में टमाटर के उत्पादन में क्षेत्र में रिकॉर्ड बनाया और लगभग 57000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में टमाटर का उत्पादन किसानों ने किया. इस दौरान किसानों ने सिंचाई की पद्धति को लेकर भी बदलाव किया, पॉली खेती भी होने लगी और टमाटर उत्पादन में तेजी आई. लेकिन भाव शुरुआती दौर में ज्यादा मिले. बाद के दिनों में टमाटर जब ज्यादा आने लगा तो वही हालात हो गए और टमाटर ₹1 किलो बाजार में बिकने लगा.
  • 2021 और 2022 की बात करें तो जिले के ज्यादातर किसानों ने टमाटर की खेती की 62000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में टमाटर की बुवाई हुई टमाटर सामान्य आया रोग लग गया और किसानों को नुकसान उठाना पड़ा.
  • वर्ष 2023 में किसानों ने लगभग 67000 से ज्यादा  क्षेत्रफल में टमाटर की खेती की है अब देखना यह है कि उनके टमाटर आने के बाद टमाटर का क्या रुख रहता है.
  • टमाटर के बढ़ते भाव को लेकर क्या कहती हैं गृहणी ?
    जब हम इस सवाल को लेकर एक गृहणी की रसोई में गए तो रेखा शर्मा जी ने सब्जी बनाते बनाते कहा कि यकीनन टमाटर के भाव हम घरेलू महिलाओं को परेशान कर रहे हैं. हमारे पूरे महीने का बजट टमाटर के भाव ने बिगाड़ कर रख दिया है. फिलहाल तो हम सब्जियों में टमाटर का कम से कम उपयोग कर रहे हैं. अगर उपयोग करना ही पड़ रहा है तो कम से कम कर रहे हैं, ताकि स्वाद भी समय से बनाया जा सके और पैसे भी बचाया जा सके. यह हर गृहणी के लिए जरूरी है.

    हमने उनसे यह भी पूछा कि अभी हाल ही में देश की वित्त मंत्री सीतारमण ने टमाटर के भाव को कम होने की बात कही है आप इसे कैसे देखती हैं .इस पर सविता जी  बोली कि यह बात सही है कि भाव कम होंगे. लेकिन जब तक दिल्ली होते हुए हमारे शहर में यह सस्ता टमाटर आएगा तब तक  तो हमें टमाटर का इसी तरह से किफायती इस्तेमाल करना पड़ेगा.बरहाल दिन वापस आएंगे और टमाटर के भाव नीचे जाएंगे इस उम्मीद में हम थाली में टमाटर का इंतजार करने के अलावा और कर भी क्या सकते हैं.
     

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