
शाजापुर जिले के शुजालपुर क्षेत्र में वन विभाग की टीम ने फाख्ता पक्षियों का शिकार करने वाले 6 शिकारियों को गिरफ्तार किया. पकड़े गए शिकारी हिरणों के लिए बनाए गए वन संरक्षित जेठड़ा क्षेत्र में गुलेल से फाख्ता पक्षी (होला कबूतर) को मार रहे थे. वन विभाग को जैसे ही फाख्ता पक्षियों के शिकार की भनक लगी उसने मदद के लिए पुलिस को सूचना दी. उसके बाद वन विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम जब इन्हें पकड़ने पहुंची तो आरोपी अपनी मोटर साइकल के जरिए मौके से भागने लगे. लेकिन वन विभाग और पुलिस ने इन्हें दबोच लिया. इनके पास से मृत पक्षी और गुलेल बरामद की गई.
वन विभाग की गिरफ्त में आए यह 6 शिकारी माधवपुर कंजर डेरे के रहने वाले हैं और यह अपनी शाम को होने वाली पार्टी में इन्हीं कबूतरों को बनाकर खाने वाले थे. लेकिन शाम की महफिल सजने से पहले ही ये खुद शिकंजे में आ गए. पकड़े गए शिकारी गुलेल के जरिए फाख्ता पक्षी जिसे होला कबूतर भी कहते हैं. उन्हे गुलेल के निशाने से मार गिरा रहे थे. वन विभाग ने जब इनके झोले की तलाशी ली तो उसमें 30 मृत पक्षी मिले जिन्हें जब्त कर लिया गया.
वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम में मामला दर्ज
वन विभाग के आरक्षक डी आर मंगोलिया ने बताया कि क्षेत्र में गुलेल द्वारा पक्षियों के शिकार की सूचना पर घेरा बंदी कर टोनू पिता चरत सिसोदिया, पंकज पिता रामबाबू हाड़ा, सुनील पिता झंडेल चौहान, अरुण पिता पलटन हाड़ा , गंगाराम पिता मोहन हाड़ा , अजय झंडेल सहित कुल 6 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. रविवार को न्यायालयीन अवकाश होने से इन्हें फिलहाल मंडी पुलिस थाना की अभिरक्षा में रखा गया है.
फाख्ता पक्षी का शिकार है प्रतिबंधित
सुंदर फाख्ता पक्षी कबूतर प्रजाति का ही माना जाता है. इसे होला कबूतर के अलावा अलग अलग नामों से जाना जाता है. जैसे पर्की,चित्रोक, फाख्ता,घुघु पक्षी आदि लेकिन इसका सबसे प्रचलित नाम फाख्ता है
शाजापुर वन विभाग के डीएफओ मयंक चांदीवाल ने बताया कि पक्षी का शिकार शिकारीयो द्वारा किया जा रहा था. यह वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के शेड्यूल 4 के तहत दर्ज है, यह संरक्षित प्रजाति का होकर इसका शिकार करना पूरी तरह प्रतिबंधित है.