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This Article is From Oct 05, 2023

Rani Durgawati Jayanti : अहंकार और पश्चाताप के बीच हुआ था रानी दुर्गावती का विवाह

Rani Durgawati Jayanti: रानी दुर्गावती कीर्ति राय की इकलौती संतान थी इसीलिए राजा कीर्ति राय अपनी बेटी रानी दुर्गावती की परवरिश बेटे की ही तरह की और बचपन से ही उन्हें शस्त्र चलाने की शिक्षा देने लगे थे. रानी दुर्गावती (Rani Durgavati) बहुत साहसी थीं

Rani Durgawati Jayanti : अहंकार और पश्चाताप के बीच हुआ था रानी दुर्गावती का विवाह

Rani Durgawati Jayanti: चंदेलों की बेटी थी, गोंडवाना की रानी थी. चंडी थी रणचंडी थी, वह तो दुर्गावती भवानी थी. आज रानी दुर्गावती (Queen Durgavati) की जयंती है. 5 अक्टूबर 1524 को दुर्गाअष्टमी (Durga Ashtami) के दिन रानी दुर्गावती का जन्म कालिंजर (Kalinjar) के दुर्ग में हुआ था. रानी दुर्गावती के पिता का नाम राजा कीर्ति राय था (Raja Kirti Rai), जो महोबा के चंदेल राजाओं के वंशज थे. रानी दुर्गावती कीर्ति राय की इकलौती संतान थी इसीलिए राजा कीर्ति राय अपनी बेटी रानी दुर्गावती की परवरिश बेटे की ही तरह की और बचपन से ही उन्हें शस्त्र चलाने की शिक्षा देने लगे थे. रानी दुर्गावती (Rani Durgavati) बहुत साहसी थीं और मात्र 13-14 वर्ष की उम्र में बड़े से बड़े जंगली जानवरों का शिकार आसानी से कर लेती थी. रानी दुर्गावती की जयंती पर हम आपको उनके विवाह से जुड़े एक किस्से से रूबरू कराने जा रहे हैं.

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विवाह की घटना है रोमांचकारी
रानी दुर्गावती का विवाह संग्राम सिंह के पुत्र दलपत शाह के साथ हुआ. दलपत शाह एक प्रसिद्ध वीर और योग्य शासक थे. संग्राम सिंह के राज्य का नाम गोंडवाना था, जिसका केंद्र वर्तमान मध्य प्रदेश का जबलपुर शहर हुआ करता था. दलपत शाह की सेना इतनी वृहद थी कि मुसलमान शासक उन पर आक्रमण करने का साहस भी नहीं जुटा पाते थे.

वीरता का किस्सा सुन पत्नी बनाने का सोचा
राजकुमारी दुर्गावती के वीरता के किस्से दूर-दूर तक फेमस थे, जब दलपत शाह को दुर्गावती के वीरता की खबर लगी तो उन्होंने अपने पुरोहित को राजा कीर्तिराय के समक्ष विवाह प्रस्ताव रखने कालिंजर भेजा, लेकिन कीर्ति राय को यह रिश्ता मंजूर नहीं था. क्योंकि कीर्ति राय यह बात जानते थे कि दलपत शाह उनकी अपेक्षा कुछ निजी श्रेणी के क्षत्रिय हैं. उन्होंने अन्य सभी बातों की उपेक्षा करके इस विश्व विवाह प्रस्ताव को स्वीकार कर दिया और कहा कि हम अपने से निजी श्रेणी के क्षत्रिय को अपनी पुत्री नहीं दे सकते हैं. 

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ऐसे हुआ था दुर्गावती का विवाह
कीर्ति राय के इस अहंकार भरे जवाब को सुनकर दलपत शाह को गुस्सा आया और उन्होंने अपनी शक्तिशाली सेना लेकर कालिंजर पर हमला कर दिया और दलपत शाह ने कीर्ति राय को पराजित कर दिया. दलपत शाह ने कीर्ति राय को पराजित करने के बाद भी उनके साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया. इसके बाद कीर्ति राय को अपनी गलती पर बड़ा पश्चाताप हुआ और उन्होंने विधिपूर्वक दुर्गावती का विवाह दलपत शाह के साथ कर दिया. 

विवाह के दो वर्ष बाद हो गई थी विधवा
2 वर्ष बाद ही दलपत शाह बीमार हुए और उनकी मृत्यु हो गई. जिससे दुर्गावती बेहद शौक में आ गईं. पति के न रहने पर उन्होंने सती हो जाने का निर्णय लिया, लेकिन दलपत शाह के शुभचिंतकों ने उन्हें रोक लिया, क्योंकि उसी समय 3 वर्ष का पुत्र भी दुर्गावती के जीवन में था. पुत्र के मुख को देखकर दुर्गावती भी बेहोश हो गईं और उन्होंने आगे जीवन जीने का निर्णय लिया. 

पति की मृत्यु के बाद संभाली राज्य की व्यवस्थाएं
पति की मृत्यु के बाद दुर्गावती ने गद्दी पर अपने पुत्र वीर नारायण को बैठाया और रानी दुर्गावती स्वयं संरक्षिका के रूप में राज्य की सारी व्यवस्थाओं को देखने लगी. रानी दुर्गावती ने अपनी अंतिम सांस तक मुग़ल शासकों से लड़ाई लड़ी जिनके किस्से आज भी लोग याद करते हैं.

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