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कांकेर में करीबी मुकाबला, बीजेपी बचा पाएगी सीट?

Prem Kumar
  • विचार,
  • Updated:
    April 24, 2024 16:46 IST
    • Published On April 24, 2024 16:46 IST
    • Last Updated On April 24, 2024 16:46 IST

छत्तीसगढ़ का कांकेर लोकसभा क्षेत्र उत्तरी बस्तर का हिस्सा है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है. महानदी और गढ़िया पहाड़ की गोद में बसा कांकेर प्राकृतिक रूप से तो बहुत सुंदर है लेकिन यहां रोजमर्रा की जिंदगी बेहद मुश्किल है. यह एक नक्सल प्रभावित इलाका है जहां विकास की रोशनी बहुत कम पहुंची है. पिछले छह लोकसभा चुनाव से इस सीट पर बीजेपी को विजय मिलती रही है. लेकिन 2024 में बीजेपी ने आम जनता की नाराजगी से बचने के लिए अपने सीटिंग एमपी मोहन मंडावी का टिकट काट कर नया चेहरा उतारा है. पूर्व विधायक भोजराज नाग कांकेर से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. वे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के वीरेश ठाकुर से हैं. वीरेश ठाकुर 2019 में बीजेपी के मोहन मंडावी से करीब पांच हजार वोटों से ही हारे थे. इसलिए कांग्रेस ने उन पर फिर भरोसा किया. इस सीट पर 26 अप्रैल को चुनाव है. बुधवार की शाम पांच बजे यहां चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा. 

जल-जंगल-जमीन मुख्य मुद्दा

कांकेर में कुल नौ प्रत्याशी मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में है. दोनों ही दलों ने सघन चुनाव प्रचार किया है. प्रियंका गांधी कांग्रेस उम्मीदवार वीरेश ठाकुर के समर्थन में चुनावी सभा कर चुकी हैं. गृह मंत्री अमित शाह भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग के लिए वोट मांग चुके हैं. यहां जल, जंगल, जमीन ही मुख्य चुनावी मुद्दा है. यहां की 42 फीसदी आबादी आदिवासी समुदाय की है. इसलिए राजनीति भी आदिवासी कल्याण के इर्द-गिर्द ही घूमती है. लेकिन नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पाया है. आज भी सुदूर जंगल में रहने वाले निवासी झील और झरनों से ही पानी पीने के लिए मजबूर है. ग्रामीण इलाकों में पक्की सड़क नहीं पहुंच पायी है.

महिला वोटर निर्णायक

2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर करीब 73 फीसदी महिलाओं ने मतदान में हिस्सा लिया था. महिला वोटरों के इस प्रभाव को देख कर बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने तरीके से उन्हें लुभाने की कोशिश की है. बीजेपी ने ‘महतारी वंदन योजना' के जरिए महिला वोटरों को साधने की कोशिश की है. इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने हजार रुपये मिल रहे हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर उसकी सरकार बनती है तो हर परिवार को प्रतिमाह 8 हजार 333 रुपये देगी. कांकेर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं जिनमें पांच पर कांग्रेस का कब्जा है. तीन सीटें बीजेपी के पास हैं. माना जा रहा है कि 2019 की तरह 2024 में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला होगा.

आदिवासी कल्याण की हकीकत

बस्तर के दिग्गज आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने पिछले साल विधानसभा चुनाव के समय कांगेस पार्टी छोड़ दी थी. वे कांकेर से कांग्रेस की टिकट पर चार बार सांसद चुने गये थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस की सरकार ने भी जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार की अनदेखी की. अभी भाजपा की सरकार है. लेकिन कांकेर के सुदूरवर्ती गांव कल्पर, बिनागुंडा और कोरनार में आज भी सड़क नहीं है. इन गावों में न तो इलाज की सुविधा है और न ही बच्चों की पढ़ाई-पोषण के लिए आंगनबाड़ी केंद्र. जंगल के अंदर बसे ऐसे कई गांव हैं. स्थानीय वोटरों की नाराजगी से बचने के लिए ही बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद का टिकट काट कर भोजराज नाग को उम्मीदवार बनाया है. भाजपा स्थानीय मुद्दों से अधिक नरेन्द्र मोदी के करिश्मे पर निर्भर है. वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार वीरेश ठाकुर पार्टी की पांच गारंटी और भूपेश बघेल सरकार की उपलबिधियों को आधार बना कर जनता के बीच हैं.

पिछले छह चुनावों में बीजेपी की जीत

1996 के बाद से कांकेर लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. सोहन पोटाई यहां से लगातार चार बार सांसद चुने गये. 2014 में विक्रम उसेंडी ने यहां कमल खिलाया तो 2019 में मोहन मंडावी ने. 2024 में बीजेपी के भोजराज नाग और कांग्रेस के वीरेश ठाकुर के अलावा बसपा के तिलक राम मकराम, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सुकचंद टेकराम और हमार राज पार्टी(आदिवासी संगठन) के विनोद नागवंशी भी चुनाव लड़ रहे हैं. हमार राज पार्टी, आदिवासी संस्कृति और पहचान को संरक्षित रखने के नाम पर चुनाव लड़ रही है. अब जनता 26 अप्रैल को इन उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेगी.

प्रेम कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और  देश की राजनीति की गहरी समझ रखते है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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