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चलती बस में उठा दर्द तो झाड़ियों में करानी पड़ी डिलीवरी, कलेक्टर ने भिजवाई एम्बुलेंस

Niwari : छोटी कुमारी के पति और परिजनों ने बताया कि झांसी में डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड करने का कहा.... हमने मना किया तो उन्होंने डिलीवरी करने से मना कर दिया. ऐसे में हम वापस टीकमगढ़ लौट रहे थे, लेकिन रास्ते में ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और उन्हें बस से उतरना पड़ा.

चलती बस में उठा दर्द तो झाड़ियों में करानी पड़ी डिलीवरी, कलेक्टर ने भिजवाई एम्बुलेंस
चलती बस में उठा दर्द तो झाड़ियों में करानी पड़ी डिलीवरी, कलेक्टर ने भिजवाई एम्बुलेंस

माँ बनना एक स्त्री की ज़िंदगी में सबसे अहम पल होता है... लेकिन जब यही पल मुश्किल हालातों में बीतता है, तो यह न सिर्फ माँ की हिम्मत बल्कि समाज की संवेदनशीलता की भी परीक्षा लेता है. ऐसा ही एक मार्मिक मामला मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले की ओरछा तहसील में सामने आया है.... जहाँ एक गर्भवती आदिवसी महिला ने सड़क किनारे झाड़ियों के पास एक बच्ची को जन्म दिया. जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना, इस महिला का नाम छोटी कुमारी है.  महिला की डिलीवरी सड़क पर की गई... इस दौरान कुछ अजनबी लोगों ने इंसानियत की मिसाल पेश की और मदद के लिए आगे आए. जैसे ही इसकी जानकारी निवाड़ी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ को लगी उन्होंने तत्काल मौके पर एम्बुलेंस पहुंचाई.

वापिस घर की ओर लौट रही थी महिला

बता दें कि छोटी कुमारी आदिवासी समाज से ताल्लुक रखती हैं. वह अपने पति सनी और चचेरी बहन चंदी के साथ फर्रुखाबाद से झांसी आई थीं. झांसी में उसकी डिलीवरी होनी थी.... लेकिन डॉक्टरों ने पहले अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी. आर्थिक या अन्य कारणों से उन्होंने अल्ट्रासाउंड नहीं कराया और झांसी से टीकमगढ़ के लिए KGN बस में रवाना हो गईं. बस से यात्रा के दौरान जब वे ओरछा के सातार स्मारक के पास पहुंचीं, तो उन्हें अचानक लेबर पेन होने लगा.  दर्द असहनीय होता गया, जिससे मजबूर होकर बस से उतरना पड़ा.

इस दौरान सड़क किनारे ढाबा और स्मारक के बीच उन्होंने बच्ची को जन्म दिया. ये पल बेहद गंभीर था... लेकिन आस-पास के लोगों और पुलिस की मदद से इसे संभाल लिया गया. जैसे ही इसकी जानकारी कलेक्टर लोकेश कुमार को लगी उन्होंने तत्काल एम्बुलेंस मौके पर पहुंचाई.

महिलाओं और पुलिस की मदद से सुरक्षित डिलीवरी 

जब छोटी कुमारी प्रसव पीड़ा से जूझ रही थीं.... तब कुछ स्थानीय महिलाएँ, जिनमें कमला और अन्य लोग शामिल थे, तुरंत मदद के लिए आगे आईं. उन्होंने न केवल महिला को संबल दिया, बल्कि उसके सुरक्षित प्रसव में भी मदद की. जैसे ही इस घटना की सूचना पुलिस को मिली, डायल 100 के सिपाही कुलदीप यादव और अनिल रजक मौके पर पहुंचे. उन्होंने स्थिति को देखते हुए तुरंत एम्बुलेंस को सूचित किया. घटना का पता चलते ही कलेक्टर लोकेश कुमार ने तत्काल एम्बुलेंस को सूचना दी, इसके बाद महज 10 मिनट के अंदर एम्बुलेंस मौके पर पहुंच गई और जच्चा-बच्चा दोनों को सुरक्षित ओरछा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया.

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क्या बोले महिला के परिजन ?

छोटी कुमारी के पति और परिजनों ने बताया कि झांसी में डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड करने का कहा.... हमने मना किया तो उन्होंने डिलीवरी करने से मना कर दिया. ऐसे में हम वापस टीकमगढ़ लौट रहे थे, लेकिन रास्ते में ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और उन्हें बस से उतरना पड़ा. बहरहाल, सवाल ये खड़ा होता है कि क्या झांसी में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध थीं ? अगर हाँ, तो एक गर्भवती महिला को वापस लौटने पर क्यों मजबूर किया गया? छोटी कुमारी जैसी कई महिलाएँ हैं जो आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण जरूरी मेडिकल केयर से वंचित रह जाती हैं. अगर झांसी में डॉक्टरों ने सही समय पर मदद की होती, तो शायद इस जोखिम भरी स्थिति से बचा जा सकता था.

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