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Satna में किस काम के इतने अमृत सरोवर, सौ फीसदी बारिश के बाद भी जल क्षमता क्यों है शून्य

MP News: मध्य प्रदेश के सतना से अमृत सरोवर को लेकर बड़ी खबर आई है.जिले में सौ फीसदी बारिश के बाद भी इन सरोवरों की जल क्षमता शून्य है. यहां 144 तालाबों वाले जिले में मात्र 22 ही बारहमासी हैं.

Satna में किस काम के इतने अमृत सरोवर, सौ फीसदी बारिश के बाद भी जल क्षमता क्यों है शून्य
Satna में किस काम के इतने अमृत सरोवर, सौ फीसदी बारिश के बाद भी जल क्षमता क्यों है शून्य

Amrit Sarovar News:  मध्य प्रदेश के सतना से अमृत सरोवर को लेकर पोल खोलने वाली खबर है. जल संरक्षण और भू-जल स्तर में सुधार लाने के लिए बनाए गए अमृत तालाब अब सवालों में घिरते दिखाई दे रहे हैं. आलम यह है कि जिले में इस साल सौ फीसदी बारिश होने के बाद भी तमाम तालाबों का जल स्तर शून्य है. 144 तालाब वाले जिले में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 22 ही बारहमासी जल क्षमता वाले हैं. बांकी तालाबों में न तो मछली पालन हो सकता है और न ही सिंचाई के लिए किसानों को पानी मिल सकता है.

इन तालाबों को बनाने में करोड़ों रुपए फूंके गए हैं ?

बावजूद इसके अफसरों के चेहरे में कोई सिकन नहीं हैं, जबकि इन तालाबों को बनाने में करोड़ों रुपए फूंके गए हैं? ऐसे सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या विभागीय अधिकारी गैर उपयोगी सरंचनाओं को बनाने वाली एजेंसियों के खिलाफ कोई एक्शन लेंगे? ज्ञात हो कि सतना जिला पंचायत क्षेत्र के अंर्तगत 144 तालाबों का निर्माण ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के इंजीनियरों की देखरेख में किया गया.

औसत बारिश का आंकड़ा 1034 मिमी रहा

बता दें, जिले की औसत बारिश का आंकड़ा 1034 मिमी है, जबकि इस साल पूरे चार महीने में इससे ज्यादा बरसात हुई. ऐसे में उन सभी संरचनाओं को लबालब होना चाहिए था, जिनका निर्माण करोड़ों रुपए खर्च कर किया गया. अति बरसात के बारण तालाब या बांध फूट गए यदि उन्हें छोड़ दिया जाए, तब भी कई ऐसे तालाब सामने आ रहे हैं जिनकी जल क्षमता वर्तमान समय में लगभग शून्य हो चुकी है. आगे आने वाले समय में यह तालाब सूखे तालाब की श्रेणी में पहुंच जाएंगे.

सूखने की कगार पर पहुंचा पहडिया तालाब 

अमृत सरोवर के नाम से यूं तो जिले में लगभग 144 तालाब बनाए गए। तालाब का स्थल चयन यहां अहम था, लेकिन इंजीनियरों ने ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जहां पर आग लोगों की नजर नहीं पहुंचे और मनमाना निर्माण कर आंकड़े गिनाए जा सकें. इसी का उदाहरण है नागौद विकासखंड की ग्राम पंचायत महतैन के पहडिया में बनाया गया तालाब. इस तालाब को बनाने में विभाग ने 19.88 लाख रुपए खर्च किए, लेकिन उपयोगिता क्या है? तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं. तालाब सूखने की कगार पर पहुंच चुका है. क्या इंजीनियरों ने ऐसे स्थान को चिन्हित कर लिया जहां पानी की आवक ही नहीं थी? इसके अलावा सवाल विभागीय अधिकारियों से भी है उन्होंने मॉनीटरिंग क्या की?

तालाब के ऊपर तालाब तो कैसे होगा जलभराव

नागौद विकासखंड की ग्राम पंचायत भैहाई में तीन तालाब बने हुए हैं। जिसमे दो तालाब एक दूसरे के ऊपर बनाये गए हैं। ऐसे में दोनों के अंदर पानी की बूंद भी नहीं पहुंच पाए. तालाब वन भूमि के अंदर बना है, लगभग 15-15 लाख की लागत से तालाब का निर्माण हुआ है. ग्रामीणों की आपत्ति के बाद भी निर्माण किया गया.

22 तलाब ही बारह मासी

अमृत सरोवर बनाने के मामले में तमाम जिलों से आगे दिखाई देने वाले जिला पंचायत क्षेत्र सतना में अफसरों ने मनमानी पूर्वक स्थलों का चयन किया लिहाजा अब तक मात्र 22 ही तालाब तैयार हुए जिन्हें सफल कहा जा सकता है. विभाग के आंकड़ों के अनुसार केवल 22 तालाब में ही 12 महीने पानी भरने की उम्मीद है. बांकी के 122 तालाब में कुछ महीने का पानी भी रह जाए तो बड़ी बात होगी. तालाब के नाम पर करोड़ों रुपए फूकने के बाद भी अधिकारी 22 सफल तालाबों की सूची जारी कर रहे हैं ऐसे में इस पूरे मामले की जांच कराई जानी चाहिए ताकि स्थिति का पता चल सके.

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ईई बोले चेक कराएंगे कहां दिक्कत हुई

अमृत सरोवर अच्छी बारिश के बाद भी नहीं भरे इस मामले को लेकर जब ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के ईई अश्वनी जायसवाल से बात की गई, तो उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ तालाबों में जल भराव कम हुआ है. उन्होंने कहा कि तालाब में लीकेज था या फिर टूट गए इसकी संभावना तो कम है. हो सकता है कि कैचमेंट एरिया को किसी ने डायवर्ट किया या फिर परकुलेशन अधिक हो. इसकी जांच कराएंगे और उसका सुधार करवाएंगे.

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