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Vulture Conservation: लापरवाही की हदें पार! तीन गिद्धों की भूख से हो गई मौत, वन विभाग के कारण उजड़ गया संरक्षण का सपना

Vulture Conservation in MP: एमपी में गिद्दों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. लेकिन, इसी बीच तीन गिद्दों के मरने की खबर भी सामने आई है. जानकारी के अनुसार, इनकी मौत भूख के कारण हुई है. अब इनके संरक्षण पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

Vulture Conservation: लापरवाही की हदें पार! तीन गिद्धों की भूख से हो गई मौत, वन विभाग के कारण उजड़ गया संरक्षण का सपना
एमपी में भूख के कारण हुई तीन गिद्धों की मौत

Vulture Conservation Status: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का हलाली डैम (Halali Dam) एक शांत, हरियाली से भरा इलाका है. यहां उम्मीद की गई थी कि गिद्धों (Vultures) को उनका प्राकृतिक घर मिलेगा. लेकिन, इस शांति के पीछे एक क्रूर सच छिपा है. यहां भूख से तड़प-तड़पकर तीन गिद्धों की मौत हो गई. इसका भी कारण संवेदनहीन सिस्टम ही कहीं न कहीं बनी है. सिस्टम ने उन्हें उड़ने तो दिया, लेकिन जीने की गारंटी नहीं दी... यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि भारत की संवर्धन योजनाओं पर गहराता प्रश्नचिह्न है.

गिद्धों की हुई भूख के कारण मौत

गिद्धों की हुई भूख के कारण मौत

संरक्षण केंद्र से उड़ान, लेकिन मंज़िल अधूरी

भोपाल स्थित केरवा गिद्ध संवर्धन एवं प्रजनन केंद्र से छह गिद्धों को मार्च 2025 में रायसेन जिले के हलाली डेम क्षेत्र में छोड़ा गया था. इन गिद्धों में दो सफेद पीठ वाले (Gyps bengalensis) और चार लंबी चोंच वाले गिद्ध (Gyps indicus) शामिल थे. ये सभी गिद्ध केरवा केंद्र में ही पैदा हुए थे, जो एक सफल प्रजनन योजना का परिणाम थे. वन विभाग ने दावा किया कि इन गिद्धों को उनके प्राकृतिक वातावरण में बसाने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए इन पर GPS ट्रैकिंग डिवाइस भी लगाए गए, ताकि उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके.

भूख से गई गिद्धों की जान

भूख से गई गिद्धों की जान

भूख से मौत – पर ‘मॉनिटरिंग चालू थी'

गिद्धों को छोड़ने के कुछ ही दिनों के भीतर तीन गिद्धों की मौत हो गई. वन विभाग के मुताबिक, एक की मौत किसी जंगली जानवर के हमले से हुई, जबकि दो गिद्ध भूख से मर गए. यह जानकारी चौंकाने वाली है, क्योंकि जब गिद्ध GPS से ट्रैक हो रहे थे, तब यह पहले ही सामने आ गया था कि कुछ गिद्ध लगातार भोजन नहीं कर रहे हैं. सवाल उठता है कि जब विभाग को यह मालूम था, तो भोजन उपलब्ध कराने की कोई व्यवस्था क्यों नहीं की गई?

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वन विभाग का आधिकारिक पक्ष

इस मामले को लेकर वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल के निदेशक अवधेश मीणा ने कहा, 'हलाली डेम क्षेत्र में एक बड़ी गोशाला है. यहां जंगली जानवरों के शव मिलते हैं. हमने अनुमान लगाया कि गिद्धों को भोजन मिल जाएगा. कुछ गिद्धों ने भोजन किया, लेकिन तीन गिद्धों ने बिल्कुल नहीं खाया.' लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक चयन और लापरवाही में फर्क होता है. GPS मॉनिटरिंग का उद्देश्य सिर्फ आंकड़े जुटाना नहीं, बल्कि रिस्क रेस्पॉन्स देना भी होता है.

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