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खत्म नहीं हो रहा VIP कल्चर, कन्यादान योजना में मेहमानों के लिए सादा भोजन और कर्मचारियों के लिए '56 भोग'! 

VIP Culture in Madhya Pradesh: समाज के एक बड़े वर्ग के लिए कुछ अलग और कुछ लोगों के लिए खास इंतजाम करना वीआईपी कल्चर कहलाता है. इसको सरकार खत्म करने का प्रयास कर रही है. लेकिन इससे जुड़ा ताजा मामला सामने आया है.

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खत्म नहीं हो रहा VIP कल्चर, कन्यादान योजना में मेहमानों के लिए सादा भोजन और कर्मचारियों के लिए '56 भोग'! 
आम लोगों के साथ खाने में भी हो रहा हैं भेदभाव

Vidisha News: भले ही केंद्र से लेकर राज्य सरकारें वीआईपी कल्चर (VIP Culture) खत्म करने का दावा कर रही हों, लेकिन धरातल पर वीआईपी कल्चर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इससे जुड़ा ताजा मामला विदिशा जिले के तहसील गंजबासौदा से सामने आया. यहां मुख्यमंत्री कन्यादान योजना (Chief Minister Kanyadan Yojana) एक बार फिर विवादों में घिर गई है. दरअसल, गंजबासौदा में आयोजित मुख्यमंत्री कन्यादान योजना पर आरोप लगा है कि वर-वधु पक्ष को सादा भोजन परोसा गया और वहां तैनात कर्मचारियों के लिए वीवीआईपी भोजन का इंतजाम किया गया.

वीआईपी भोजन रहा चर्चा में

 गंजबासौदा के नवीन कृषि उपज मंडी प्रांगण में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 79 जोड़ों ने सात फेरे लिए. वहीं, 18 जोड़ों का निकाह हुआ. इस बड़े आयोजन में वीआईपी भोजन चर्चा का विषय बना रहा. वर पक्ष और वधू पक्ष के परिजनों को सादा भोजन के पैकेट वितरित किए गए. वहीं, कर्मचारियों ने वीआईपी और शाही भोजन का लुफ्त उठाया. बता दें कि इन भोजन के पैकेटों में पूरी और आलू की सूखी सब्जी, गुलाब जामुन, नमकीन और अचार दिया गया था. वहीं, वीआईपी शाही भोजन में मटर पनीर की सब्जी, दाल तड़का, आलू की सूखी सब्जी, पुलाव, गुलाब जामुन और सिल्वर पेपर में लगी रोटियां शामिल थी.

भोजन पर लगा भेदभाव का आरोप

शादी में आए लोगों ने भोजन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि दो प्रकार के भोजन अलग-अलग देना यह उचित नहीं है. कम से कम भोजन की वीआईपी थाली दूल्हा-दुल्हन को तो देनी चाहिए थी. वहीं, इतने बड़े आयोजनों में कुर्सी की भी कमी रही. यहां बाराती बनकर आए वर पक्ष के लोगों को जमीन पर बैठकर शादी संपन्न करानी पड़ी. 

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'ऐसा ही होता है'

इस पूरे मामले में सबसे हैरानी की बात यह रही कि जब इस मामले को लेकर गंजबासौदा जनपद के सीईओ से सवाल किया गया तो उन्होंने वीआईपी भोजन को लेकर कहा कि ये तो होता ही है. कुछ लोगों के लिए अलग खाना बनाया जाता है. यह एक परंपरा है.  

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