
Cyber Fraud in MP: मध्य प्रदेश में साइबर क्राइम एक खौफनाक महामारी बन चुका है जो चुपचाप लोगों के बैंक खातों को खाली कर रहा है,उनके मोबाइल फोन हैक कर रहा है और सोशल मीडिया के ज़रिए उनकी निजी ज़िंदगियों को निशाना बना रहा है...डिजिटल लूट के मामले में चौंकाने वाला आंकड़ा खुद सरकार ने विधानसभा में सामने रखा है. जिसके मुताबिक फर्जी नौकरी के झांसे से लेकर ओटीपी फ्रॉड, भावनात्मक शोषण से लेकर डीपफेक तक, साइबर ठग डर और लालच दोनों का सहारा लेकर आम लोगों को जाल में फंसा रहे हैं.
डिजिटल लूट की भयावहता का आलम ये है कि मई 2021 से जुलाई 2025 के बीच 1054 करोड़ रुपये की ठगी हुई और इसमें से पुलिस सिर्फ 1.94 करोड़ रुपये ही वापस ला पाई है जो कुल ठगी के 0.18 प्रतिशत से भी कम है. वहीं हर साल सोशल मीडिया के ज़रिए अपराध के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है. फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म साइबर अपराध के सबसे बड़े हथियार बनते जा रहे हैं. अहम ये है कि इसमें सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं युवा. आकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश की सबसे उत्पादक पीढ़ी यानी युवा बीते चार सालों में साइबर क्राइम के करीब 70 प्रतिशत शिकार बने हैं.

दरअसल विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह साइबर क्राइम को लेकर सरकार से सवाल किया था. इसी सवाल के जवाब में ये आंकड़े सामने आए जो डराते हैं. इसके बाद जयवर्धन सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “प्रधानमंत्री लोगों से डिजिटल लेनदेन करने को कहते हैं, लेकिन राज्य में साइबर ठगी का एक प्रतिशत मामला सुलझता नहीं है. यह साइबर आपातकाल जैसी स्थिति है।”
हर साल 4 लाख से अधिक साइबर अपराध
देखा जाए तो पुलिस की तैयारियों की पोल इससे भी खुलती है कि इस दौरान ₹105 करोड़ की राशि संदेहास्पद खातों में रोकी जरूर गई, लेकिन उसमें से भी बहुत कम वापस मिल पाया. साल 2020 से अब तक 1193 एफआईआर साइबर फ्रॉड से जुड़ी दर्ज की गईं, जिनमें से सिर्फ 585 मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई है. कई मामले अभी भी लंबित हैं या खारिज हो चुके हैं. वहीं, हर साल पुलिस के ईसीआईआर (ECIR) डाटा में 4 लाख से अधिक साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हो रही हैं, जो इस संकट की गंभीरता को दर्शाती हैं.
सोशल मीडिया से हो रहा सबसे ज्यादा फ्रॉड
एक दूसरे सवाल के जवाब में पता लगा है कि सोशल मीडिया के ज़रिए अपराध का चलन बढ़ता जा रहा है जो पिछले चार वर्षों में साइबर अपराध के 37% से 53% तक मामलों का हिस्सा बना है. 2022 में 1021 में से 542 मामले, 2023 में 428, 2024 में 396, और 2025 में अब तक 511 में से 242 केस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप से जुड़े पाए गए. ये मामले साइबरबुलिंग, सेक्स्टॉर्शन, ब्लैकमेल और नकली प्रोफाइल के ज़रिए धोखाधड़ी से संबंधित हैं.
दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा बैंकिंग फ्रॉड का है
सबसे ज़्यादा शिकार बन रहे हैं युवा राज्य की सबसे उत्पादक पीढ़ी.2022 में 70%, 2023 में 76%, 2024 में 65%, और 2025 में अब तक 67% पीड़ित युवा हैं. लेकिन जहां अपराध बढ़ रहे हैं, वहीं न्याय घट रहा है. 2022 में 70% मामलों का समाधान हुआ था, जो 2023 में घटकर 66%, फिर 2024 में 47%, और 2025 में अब तक सिर्फ 27% रह गया है. विधानसभा के मौजूदा मानसून सत्र में पहली बार विधायक बनीं बीजेपी की रीति पाठक के सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने बताया कि सोशल मीडिया के बाद साइबर अपराध के मामलों में दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा बैंकिंग फ्रॉड और अन्य प्रकार की धोखाधड़ी का है. हकीकत ये है कि मध्य प्रदेश की साइबर पुलिसिंग मशीनरी आधुनिक साइबर अपराधियों की रफ्तार और तकनीक के आगे पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। जब तक संसाधनों, ट्रेनिंग, डिजिटल फॉरेंसिक उपकरणों और जवाबदेही में सुधार नहीं होता, तब तक अपराध और न्याय के बीच की खाई और चौड़ी होती जाएगी. डिजिटल इंडिया का सपना तभी सुरक्षित होगा, जब आम लोग ऑनलाइन भी सुरक्षित महसूस कर सकें लेकिन फिलहाल, मध्य प्रदेश में ऐसा होता दिख नहीं रहा है।