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UPSC Result: ग्वालियर की मान्या ने हासिल की 84वीं रैंक, घर पर की तैयारी, दो बार फेल होने के बाद मिली सफलता

Success in UPSC Exam: ग्वालियर की रहने वाली मान्या ने यूपीएससी 2023 के फाइनल रिजल्ट में 84वीं रैंक प्राप्त की. जिसके बाद NDTV की टीम ने उनसे बात की. इस दौरान उन्होंने अपनी सफलता के साथ-साथ असफतलाओं की भी कहानी बताई.

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UPSC Result: ग्वालियर की मान्या ने हासिल की 84वीं रैंक, घर पर की तैयारी, दो बार फेल होने के बाद मिली सफलता
NDTV से बात करते हुए मान्या ने अपने संघर्ष की कहानी बताई.

UPSC 2023 Result: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) की मान्या चौहान उन भाग्यशाली युवाओं में शामिल हैं, जिन्होंने मंगलवार को यूपीएससी (UPSC) द्वारा घोषित फाइनल परिणामों में न केवल अपनी जगह बनाई, बल्कि शानदार रैंक भी हासिल की. इसकी सूचना मिलने पर उनके घर जश्न का माहौल है. बधाइयों का तांता लगा है. लेकिन, शर्मीले स्वभाव की मान्या (Manya) को अपनी जिंदगी को लेकर ज्यादा बातें करने पर झिझक महसूस होती है. NDTV से बात करते हुए उन्होंने सफलता तक पहुंचने की अपनी जर्नी बताई. मान्या की जर्नी उनके धैर्य, जिद और जुनून के साथ कठिन मेहनत को भी बयां करती है. 

खास बात ये है कि मध्यमवर्गीय परिवार की इस बेटी ने न कोई कोचिंग ज्वाइन की और न पढ़ाई के लिये ग्वालियर से बाहर कदम रखे. पहले अटेम्प्ट में असफलता हाथ लगी, दूसरे में इंटरव्यू तक पहुंची लेकिन, फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना सकी. इन असफलताओं के बीच उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उनके माता-पिता और दीदी ने उन्हें हमेशा प्रयास करने की प्रेरणा दी और आखिरकार बुधवार को जारी यूपीएससी के परिणाम (UPSC Result) में वे देश के सफलतम लोगों में शामिल हो गईं.

ग्रेजुएशन के साथ ही जुट गई तैयारी में 

मध्यमवर्गीय परिवार की मान्या के पिता डॉ रामचंद्र सिंह चौहान मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में अकाउंट ऑफिसर हैं. उनकी भी शिक्षा में बहुत रुचि थी. उन्होंने पीएचडी की. लेकिन, नौकरी लेखा अधिकारी की मिल गयी तो बाकी सब पीछे छूट गया. इसके बाद उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को उच्च शिक्षा देने की ठानी. बड़ी बेटी को सीए बनाया और छोटी बेटी मान्या को भी बीकॉम कराके उसी दिशा में आगे बढ़ाने का सोचा. लेकिन, ग्रेजुएशन करते-करते मान्या ने अपनी राह पसंद कर ली. उन्हें यूपीएससी क्रैक करना था. यही वजह है कि जब वे 2021 में ग्वालियर के सरकारी केआरजी कॉलेज में बी कॉम फाइनल में पढ़ रही थीं, तभी उन्होंने ग्रैजुएशन के साथ यूपीएससी पर फोकस किया और जमकर पढ़ाई की. बीकॉम और यूपीएससी प्रिलिम्स दोनों की परीक्षाएं एक साथ दी. वे ग्रेजुएट तो हो गई, लेकिन यूपीएससी में पास नहीं हुईं. 

थोड़ा झटका लगा लेकिन फिर राह पकड़ ली 

मान्या कहती हैं कि असफलता निराश तो करती है. मुझे भी निराशा मिली लेकिन मेरी मां, पिता और दीदी ने उसे मुझ पर इसे हावी नहीं होने दिया. उनकी प्रेरणा से हमने फिर किताबें उठाई और पढ़ाई में जुट गए. उस दिन बड़ी खुशी मिली जब 2022 की यूपीएससी परीक्षा का रिजल्ट आया. मान्या ने पहले प्रिल्मस और फिर मेंस को क्लियर कर लिया. लगा सफलता नजदीक ही घूम रही है, लेकिन जब इंटरव्यू के बाद फाइनल रिजल्ट आया तो उनका नाम गायब था. फिर वही निराशा, फिर वही प्रेणाश्रत्रोत मां-पिता और दीदी. उन्होंने ऊर्जा भरी तो वे फिर जुट गईं और मेहनत और जुनून के साथ जमकर पढ़ाई की. आखिरकार 16 अप्रैल को जब यूपीएससी ने 2023 का फाइनल रिजल्ट जारी किया तो उनके परिवार के पास बधाइयों के कॉल आने लगे. महलगांव के लोगों को पता चला तो वे लोग भी बधाई देने पहुंचने लगे. मान्या ने 84 वीं रैंक हासिल की. 

आईपीएस को चॉइस में नहीं रखा

मान्या ने यूपीएससी में आईपीएस को प्राथमिकता में नहीं रखा. इस सवाल के जवाब में मान्या ने कहा, "मैं बहुत भावुक लड़की हूं. मुझे पता है मैं पुलिस की नौकरी से न्याय नहीं कर पाऊंगी."

कोई कोचिंग ज्वाइन नहीं की 

मान्या ने यूपीएससी की तैयारी घर से ही की. वे कहती हैं कि शुरू में कुछ महीने वे ग्वालियर में एक कोचिंग में गई भी, लेकिन थोड़े ही दिनों में उन्हें महसूस हो गया कि यहां से कुछ नहीं होगा. उससे उन्हें कोई हेल्प नहीं मिलने वाली. सेल्फ स्टडी से ही आगे बढ़ना होगा और फिर वहां जाना बंद कर घर पर ही पढ़ाई शुरू कर दी. ऑनलाइन पेपर और यूट्यूब वीडियो की हेल्प लेकर पढ़ाई शुरू की. जब उनसे पूछा कि उन्हें दिल्ली या कहीं जाकर तैयारी करने की कमी नहीं खली? इस सवाल का जवाब देते हुए मान्या कहती हैं कि मुझे लगता है कि मेरे लिए तो ये एक एडवांटेज था कि मैं घर से प्रीपेयर कर रही थी तो मुझे सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस करना था और किसी के बारे में सोचना ही नहीं पड़ता था.

मम्मी-पापा ने सारी चीजें शॉर्टेड करके रखीं

मान्या कहती हैं कि सारी चीजें जैसे खाना हो या अन्य जरूरतें वे सब मम्मी, पापा ने शॉर्टेड करके रखी थी. ये फायदा था क्योंकि जब आप दिल्ली पढ़ाई करने जाते हैं तो आपके ऊपर पढ़ाई के अलावा भी कई रिस्पांसिबिलिटी हो जाती है. आपको अपनी सेहत का ध्यान रखना है. आप कहां रह रहे हो, उसका एक्स्ट्रा ध्यान रखना है. वहां ट्रैवलिंग ज्यादा होती है तो थकावट भी ज्यादा हो जाती है. ये सब घर पर रुकने पर हमको नहीं भुगतना पड़ता. 

फेलियर के समय घर का सपोर्ट बड़ी बात

मान्या कहती हैं कि घर पर तैयारी के और भी फायदे हुए, मसलन जब मैं फेल हुई. फाइनल सिलेक्शन हुआ तो निराशा और अवसाद आना स्वाभाविक था. मुझे हुआ भी. उसको हैंडल कर पाना बहुत टफ होता है. परिस्थितियां बहुत जटिल थी. मैं फाइनल में असफल हुई और महज चार दिन बाद ही 2022 का प्रीलिम्स था. ऐसे में अपने को साधना कठिन था लेकिन मेरे मम्मी, पापा की मोटिवेशन ने उस निराशा को महज कुछ घंटे में ही निकाल फेंका. मुझे लगता है कि घर के अंदर आपके पास अगर सकारात्मक माहौल है तो फिर घर पर रहकर ही तैयारी करना चाहिए. 

भगवान की मदद पर क्या बोली मान्या 

मान्या से पूछा कि भगवान की मदद कितनी रहती है? इस पर मान्या कहती हैं कि उनकी बहुत मदद रहती है, लेकिन यह सोचकर मेहनत में कमी नहीं करनी चाहिए. क्योंकि भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं जो पहले अपनी खुद की मदद करते हैं. लेकिन इस पूरी प्रोसेस में भगवान पर विश्वास रखना ही पड़ेगा. क्योंकि मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई लॉजिक होता है. आप इंटरव्यू तक पहुंचे और अगली बार आपका प्रिलिम्स भी नहीं निकला, तो इसमें भगवान का भी साथ होना जरूरी है. 

प्रतियोगियों को दिए ये टिप्स 

मान्या से जब पूछा कि वे यूपीएससी के अभ्यर्थियों को क्या टिप्स देना चाहेंगी? इस पर उन्होंने कहा, "तैयारी के लिए तो काफी इन्फॉर्मेशन उपलब्ध है. उन्हें समझना चाहिए कि अगर वे घर पर भी तैयारी कर रहे हैं तो उसमें भी सफल हो सकते हैं. नए मटेरियल के पीछे भागना नहीं चाहिए जो बेसिक मटेरियल उन्होंने खुद तैयार किया है, उसी पर स्टैंड रखना चाहिए. दूसरा यह कि तैयारी पर लगातार फोकस रखें क्योंकि लाइफ में बहुत सारे फेल्योर आते हैं. अगर 3 अटेम्प्ट के बाद यदि सिलेक्शन नहीं होता है तो फिर और बैकअप के बारे में भी सोचना चाहिए. 20 से 30 साल के बीच का समय आपकी उम्र का सबसे प्राइम समय होता है. उसे किसी भी हालत में वेस्ट नहीं करना चाहिए."

मान्या की मां ने ये कहा

मान्या की मां ज्ञानेंद्री चौहान एक सामान्य गृहिणी हैं, लेकिन मान्या की मंजिल में सबसे अहम भूमिका उन्हीं की रही. मान्या के लिए वे कहती हैं कि वह बहुत मेहनती लड़की है. अगर घर में दिन में कोई काम है या किसी की तबीयत खराब है तो उसकी मदद करती है, लेकिन रात को फिर पढ़ाई में जुट जाती है. जब दो बार उसका सिलेक्शन नहीं हुआ तो हम लोगों ने उसका उत्साहवर्धन किया. क्योंकि उसकी मेहनत में तो कोई कमी थी नहीं. यही बात उसे समझाई और फिर ट्राई करने को कहा और आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई.

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