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Anokhi Shadi: बालाघाट में बैलगाड़ी से बारात लेकर पहुंचे दूल्हे राजा, जानिए क्यों अपनाया ये तरीका?

Unique Wedding: बारात आगरवाड़ा से लेकर खड़गपुर तक जा रही है. इसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर की है. ऐसे में पूरी बारात बैलगाड़ी से गई. इसमें करीब दर्जन भर खाचर (बैलगाड़ी का छोटा रूप) और बैलगाड़ी दिखी. बैलगाड़ी और बैलों को खास तरीके सजाया गया था.

Anokhi Shadi: बालाघाट में बैलगाड़ी से बारात लेकर पहुंचे दूल्हे राजा, जानिए क्यों अपनाया ये तरीका?
Unique Wedding: बालाघाट में अनोखी बारात

Unique Wedding: बालाघाट (Balaghat) जिले की एक सांस्कृतिक विरासत है, लेकिन आधुनिकता की काल में धीरे-धीरे खत्म होते नजर आने लगी. पहले ढोल-शहनाई, डपली बांसुरी के साथ बारात (Barat) निकला करती थी. अब संगीत के लिए बड़े-बड़े डीजे (DJ) का इस्तेमाल होने लगा है. लेकिन बालाघाट जिले का आगरवाड़ा गांव में पारंपरिक तौर पर बारात निकाली गई. अब ये शादी (Shadi) जिले में चर्चा का विषय भी बनी हुई है. ऐसे में एनडीटीवी (NDTV) की टीम उस गांव में जा पहुंची. 

Unique Wedding: बांसुरी की धुन पर निकली बारात

Unique Wedding: बांसुरी की धुन पर निकली बारात

बारात में दिखी संस्कृति की झलक

आगरवाड़ा गांव में जब NDTV की टीम पहुंची तो, बारात निकलने के लिए लगी थी. इस दौरान डीजे के बजाय बांसुरी और डपली की धुन पर बाराती नाचते नजर आए. वहीं इसी दौरान हमारी नजर घोड़े के पोशाक और पांव में घुंघरू बांधे नाचते हुए शख्स पर पड़ी. हमने उनसे बातचीत की. उन्होंने अपना नाम भरतलाल मेश्राम बताया. उन्होंने बताया कि वह सालों से यह काम कर रहे है. उन्हें पहले हर शादी में बुलाया जाता था. लेकिन आधुनिकता के साथ उन्हें आमंत्रित करना बंद कर दिया गया था. उन्हें आखिरी बार बीते साल बुलाया गया था. अब इस तरह की शादी हो रही है और उन्हें अच्छा महसूस हो रहा है.

Unique Wedding: बैलगाड़ी से बारात लेकर निकला दूल्हा

Unique Wedding: बैलगाड़ी से बारात लेकर निकला दूल्हा

सालों बाद दिखीं खाचर और बैलगाड़ी की झलक

बारात आगरवाड़ा से लेकर खड़गपुर तक जा रही है. इसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर की है. ऐसे में पूरी बारात बैलगाड़ी से गई. इसमें करीब दर्जन भर खाचर (बैलगाड़ी का छोटा रूप) और बैलगाड़ी दिखी. बैलगाड़ी और बैलों को खास तरीके सजाया गया था. इसमें बैलों को झालर पहनाई गई थी और बैलगाड़ी के ऊपर छत लगाई थी.

कुछ यूनिक करना था इसलिए ऐसा किया

इस दौरान दूल्हे निलेश ठाकरे से बातचीत हुई. उन्होंने बताया कि उन्हें अलग करना था. अपनी शादी को यादगार बनाना चाहते हैं. ऐसे में उन्होंने ये खाचर और बैलगाड़ी से बारात ले जाने का फैसला किया. वहीं, दुल्हे के मां ने बताया कि हमारी शादी भी ऐसे हुई थी. ऐसे में हम पूरे रीति रिवाजों से शादी कर रहे है. शादी पूरे पांच दिन तक चल रही है.

दूल्हे के पिता बोले इसके दो फायदे

दूल्हे के पिता रोशनलाल ठाकरे ने बताया कि इस तरह की शादी करके बड़ा आनंद आ रहा है. इससे हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचा सकते हैं. दूसरी बात हम इसे यादगार बना सकते हैं. ऐसे में देखने वाले और बारातियों को भी प्रेरणा मिलती है. सबसे खास बात ये है कि इससे पैसों की बचत होती है और शादियों में होने वाले फिजूलखर्ची को रोक सकते हैं. इस तरह से शादी करने पर खर्च आधा हो जाता है.

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