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This Article is From Aug 25, 2023

सिंगरौली में अनोखा स्कूल: दोनों हाथों से अलग-अलग विषयों में एक साथ लिखते हैं बच्चे !

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में एक ऐसा अनोखा स्कूल है जहां के बच्चे दोनों हाथों से अलग-अलग भाषाओं में लिख सकते हैं. यह देश का पहला ऐसा स्कूल है जहां एक-दो नहीं बल्कि डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चे इस कला में महारथ रखते हैं.

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सिंगरौली में अनोखा स्कूल: दोनों हाथों से अलग-अलग विषयों में एक साथ लिखते हैं बच्चे !

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में एक ऐसा अनोखा स्कूल है जहां के बच्चे दोनों हाथों से अलग-अलग भाषाओं में लिख सकते हैं. यह देश का पहला ऐसा स्कूल है जहां एक-दो नहीं बल्कि डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चे इस कला में महारथ रखते हैं. इस स्कूल का नाम है वीणावादिनी पब्लिक स्कूल. जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित ये बाकी स्कूलों की तरह ही सामान्य दिखता है लेकिन यहां पढ़ रहे बच्चे एक ऐसी अनोखी कला जानते हैं जो शायद ही कोई जानता हो. 

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डॉ राजेन्द्र प्रसाद से मिली प्रेरणा

इस स्कूल को विरंगत शर्मा ने शुरू किया था. शर्मा कहते हैं कि परीक्षा के दौरान बच्चों को तीन घंटे का समय मिलता है. लेकिन दोनों हाथ से लिखने के कारण बच्चे डेढ़ घंटे में ही अपना पेपर पूरा कर देते हैं. बच्चों को ना सिर्फ एक साथ दोनों हाथों से लिखना आता है बल्कि बच्चे एक हाथ से हिंदी और दूसरे हाथ से इंग्लिश भी लिख लेते हैं. यहां के बच्चे संस्कृत और उर्दू भी लिखते हैं, कुल मिलाकर बच्चों को 6 भाषाओं में पढ़ाई कराई जाती है. बच्चे इन भाषाओं को बहुत अच्छे से समझते हैं. आपको बता दें, सिंगरौली के वीणावादिनी पब्लिक स्कूल बुधेला की शुरुआत 1999 में की गई थी. उनका कहना है कि बच्चों को दोनों हाथों से लिखवाने की प्रेरणा देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से मिली थी. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अलावा दूर-दूर से भी बच्चे यह कला सीखने के लिए आते हैं. 

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सिंगरौली के वीणावादिनी पब्लिक स्कूल के डेढ़ सौ बच्चों के पास अदभुत कला है. वे एक ही समय में दोनों हाथों से लिख सकते हैं.

तीन घंटे का पेपर डेढ़ घंटे में करते हैं बच्चे !

शर्मा कहते हैं कि परीक्षा के दौरान बच्चों को तीन घंटे का समय मिलता है. लेकिन दोनों हाथ से लिखने के कारण बच्चे डेढ़ घंटे में ही अपना पेपर पूरा कर देते हैं. बच्चों को ना सिर्फ एक साथ दोनों हाथों से लिखना आता है बल्कि बच्चे एक हाथ से हिंदी और दूसरे हाथ से इंग्लिश भी लिख लेते हैं. यहां के बच्चे संस्कृत और उर्दू भी लिखते हैं. कुल मिलाकर बच्चों को 6 भाषाओं में पढ़ाई कराई जाती है. अच्छी बात ये है कि बच्चे इन भाषाओं को बहुत अच्छे से समझते भी हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अलावा जिले के दूसरे हिस्सों से भी बच्चे यह कला सीखने के लिए यहां आते हैं. 

दोनों हाथों से लिखने की कला क्या है? 

जो शख्स दोनों हाथों से लिख सकता है उन्हें अंग्रेजी में AMBIDEXTROUS (एम्बी डेक्सटेरिटी ) और हिंदी में द्विहत्थी या  उभयहस्त कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि दोनों हाथों से लिखने की कला दुनिया में महज एक फीसदी लोगों के पास ही है. यानी 100 में से कोई एक शख्स ही ऐसा कर पाता है. ये कई तरीके से हो सकता है. कहा जाता है कि कई सारे एम्बी डेक्सटेरिटी पहले लेफ्टी होते हैं लेकिन धीरे-धीरे वे दोनों हाथों से लिखने लगते हैं. लियोनार्डो द विंची, बेन फ्रैंकलिन और अल्बर्ट आइंस्टीन ऐसे प्रसिद्ध शख्स रहे हैं जो दोनों हाथों से लिखते थे. 

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