Madhya Pradesh Crime: मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के बकपुरा गांव में जमीन विवाद से हुई मौत के बाद मामला उस समय गरमा गया, जब मृतक उसाब सिंह का शव लेकर पुलिस अचानक गायब हो गई. शव नहीं मिलने पर परिजन भड़क गए और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके साथ अभद्रता की गई और बॉडी तक छीन ली गई. मामला सेना के जवान के परिवार से जुड़ा होने के कारण लोगों में आक्रोश और बढ़ गया.
जमीन विवाद में गई जान
बकपुरा गांव में दो दिन पहले उसाब सिंह का राघवेंद्र और अनिल सोलंकी से जमीन को लेकर विवाद हुआ था. बात इतनी बढ़ गई कि आरोपियों ने उसाब पर धारदार हथियारों और डंडों से हमला कर दिया. घायल हालत में उसे झांसी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
परिजन बोले- पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज नहीं किया
मृतक के परिजनों का कहना है कि गंभीर हमला होने के बावजूद पुलिस ने शुरुआत में हत्या का मामला दर्ज नहीं किया. इससे परिवार और अधिक नाराज़ हो गया. उनका आरोप है कि पुलिस मामले को हल्का दिखाने की कोशिश कर रही थी.
धरना देने ले जा रहे थे शव
परिजन मृत उसाब सिंह का शव झांसी से लेकर दमकते हुए टीकमगढ़ ला रहे थे. योजना थी कि अस्पताल चौक पर शव रखकर धरना दिया जाए. लेकिन परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने पहले कारी तिगेला, फिर एक अन्य स्थान पर शव को रोका और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में एम्बुलेंस समेत शव को लेकर गायब हो गई.
परिजनों का आरोप- बॉडी छीनकर ले गई पुलिस
परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए कि न सिर्फ शव छीना गया बल्कि उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया. पीड़ित परिवार ने कहा कि अगर सेना के जवान के परिवार के साथ पुलिस ऐसा कर सकती है, तो आम आदमी की सुरक्षा पर कैसे भरोसा किया जाए?
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किडनैपिंग का भी आरोप लगाया
कुछ परिजनों ने यह भी कहा कि पुलिस उन्हें झांसी से जबरन ले आई, ताकि वे विरोध प्रदर्शन न कर सकें. उनका कहना है कि पुलिस ने पूरे मामले को दबाने की कोशिश की. परिजन अस्पताल चौक पर शव रखकर चक्काजाम करने वाले थे, लेकिन पुलिस ने आंदोलन रोकने के लिए शव को अपने कब्जे में ले लिया. इससे गुस्से में भरे परिवार ने पुलिस पर मनमानी का आरोप लगाया.
चार आरोपियों पर हत्या की धाराओं में बढ़ोतरी
टीकमगढ़ एसडीओपी राहुल कटारे ने मामले पर कहा कि चार आरोपियों के खिलाफ हत्या की धाराएं बढ़ाकर केस दर्ज कर दिया गया है. इसके बाद परिजनों ने शांति दिखाई और पुलिस ने शव उन्हें सौंप दिया. एसडीओपी के मुताबिक पहले मामला दर्ज नहीं किया गया था, लेकिन जब विवाद बढ़ा और परिजन आक्रामक हुए, तब पुलिस ने सख्त धाराएँ जोड़कर कार्रवाई की.
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