छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे एंटी-नक्सल अभियानों के बीच एक संवेदनशील और चौंकाने वाली घटना सामने आई है. रेखापल्ली निवासी 48 वर्षीय ग्रामीण माड़वी भीमा ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली. पुलिस और प्रारंभिक जांच के अनुसार, भीमा ने यह कदम संभवतः इस डर से उठाया कि IED बरामदगी में उसकी मदद के बाद नक्सली उसके परिवार को निशाना बना सकते थे.
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जानकारी के मुताबिक, पिछले सप्ताह वाटेवागु सीआरपीएफ कैंप से सुरक्षा बलों की एक टीम ने रेखापल्ली, धामारम, कोंडापल्ली और चिंतावागु नदी तट के आसपास सर्च अभियान चलाया. इस दौरान बलों ने ग्रामीणों से बातचीत की और नक्सली गतिविधियों संबंधी जानकारी जुटाई. अभियान के दौरान माओवादियों द्वारा जंगलों में छिपाए गए IED, विस्फोटक सामग्री और अन्य उपकरण बरामद किए गए.
माड़वी भीमा भी इस सर्च ऑपरेशन में टीम के साथ मौजूद था और उसने महत्वपूर्ण जानकारी दी थी. बरामद सामग्री के साथ टीम 6 दिसंबर को कैंप लौटी. रात को भोजन करने के बाद भीमा पास के मैदान में टहलने गया. कुछ देर बाद ड्यूटी पर तैनात जवानों ने उसे तौलिए से फांसी लगाए हुए पाया. जवानों ने तुरंत उसे नीचे उतारकर चिकित्सा सहायता देने का प्रयास किया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
अधिकारियों का मानना है कि भीमा नक्सलियों की प्रताड़ना और संभावित खतरे को लेकर मानसिक दबाव में था. उसकी सहायता से सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली थी, जिसके चलते नक्सली उसे ‘पुलिस मुखबिर' समझकर निशाना बना सकते थे. यह आशंका उसके मन में गहराती गई और उसने आत्महत्या कर ली. घटना के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पंचनामा और सभी कानूनी प्रक्रियाएँ पूरी की जा रही हैं. परिजनों को सूचना दे दी गई है. यह मामला एंटी-नक्सल अभियानों के दौरान स्थानीय ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल भी खड़े करता है.
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