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आज दुनियाभर में मशहूर है एमपी का पन्ना टाइगर रिजर्व, कभी यहां इस तरह आबाद हुए थे बाघ

MP News: पन्ना इलाके में किसी दौर में बाघों की संख्या लगातार गिर रही थी. लेकिन, सरकार के निरंतर प्रयास से इनकी संख्या अब काफी हो गई है.

आज दुनियाभर में मशहूर है एमपी का पन्ना टाइगर रिजर्व, कभी यहां इस तरह आबाद हुए थे बाघ
पन्ना क्षेत्र में बाघों की संख्या में आया इजाफा

Tigers in Panna: 2008 में सरिस्का में जब बाघ खत्म हो गए, तो पन्ना (Panna) की बारी आ गई... पन्ना में बाघों का घनत्व खत्म ही हो गया था.. केंद्र सरकार (Central Government) ने एक टीम बनाई और पन्ना में बाघों की गणना के लिए भेजा गया. जब तक केंद्र और राज्य सरकारों (MP Government) ने फैसला कर लिया की पन्ना में अब बात नहीं रही. टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) में एक समय बाघ खत्म हो गए थे. 2009 में 1 बाघ और 2 बाघिन दूसरी जगह से लाए जाने की तैयारी की जाने लगी. अब यह संख्या 70 के पार पहुंच चुकी है.

पन्ना नेशनल पार्क का इतिहास

पन्ना में भारत का 22वां बाघ अभयारण्य है और मध्य प्रदेश का 5वां. रिजर्व विंध्यन रेंज में स्थित है और यह राज्य के उत्तर में पन्ना और छत्तरपुर जिलों में फैला हुआ है. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया था. इसे 1994 में भारत सरकार द्वारा एक परियोजना टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था. राष्ट्रीय उद्यान में 1975 में बनाए गए पूर्व गंगऊ वन्यजीव अभयारण्य के क्षेत्र शामिल हैं. इस अभयारण्य में वर्तमान में उत्तर और दक्षिण के क्षेत्रीय वन शामिल हैं. पन्ना वन प्रभाग, जिसके निकटवर्ती छत्तरपुर वन प्रभाग का एक भाग बाद में जोड़ा गया था. पन्ना जिले में पार्क के आरक्षित वन और छत्तरपुर की ओर कुछ संरक्षित जंगल अतीत में पन्ना, छतरपुर और बिजावर रियासतों के तत्कालीन शासकों के शिकार रिजर्व को 2008 में बाघ विहीन घोषित कर दिया गया था. 

पन्ना में दोबारा बाघों को बसाने की पूरी कहानी

1981 में 209.54 वर्ग किलोमीटर एरिया में पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क को राज्य सरकार ने मंजूरी दी थी. इसे 1994 ने देश का 22वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था, लेकिन शिकार और अफसरों की अनदेखी के कारण धीरे-धीरे बाघ खत्म होने लगे. 2007 तक पार्क सूना हो गया. एक भी बाघ नहीं बचा. बाघों के न होने के कारण पर्यटकों ने यहां आना बंद कर दिया था. यह कारण था बाघ खत्म होने के इसकी प्रमुख वजह बाघों का शिकार, रहने खाने की उचित व्यवस्था न करना, बाघों के अनुकूल वातावरण उपलब्ध न करवाना और पार्क के अधिकारी कर्मचारियों की उदासीनता थी.

2009 से फिर आई बाघों की बहार

पन्ना टाइगर रिजर्व के 2009 से 2014 तक फिल्ड डायरेक्टर रहे श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि 2008 में जब पार्क बाघ विहीन हो गया. पोस्टिंग के बाद हमने पार्क में पुनः बाघों को स्थापित करने की एक ठोस योजना बनाई. इस पर वन विभाग मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार के सहयोग से अमल में लाया गया. पार्क के अधिकारियों, कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को टाइगर रिजर्व बाघ विहीन होने के कारण जो सूनापन महसूस हो रहा था, उसके लिए सभी ने मिलकर काम किया.

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अब 90 बाघ हैं टाइगर रिजर्व में

पन्ना टाइगर रिजर्व में आज की स्थिति में कुल वयस्क और शावक मिलाकर 90 बाघ हैं. इसमें 42 ऐसे बाघ हैं जो कैमरे में ट्रैप हो चुके हैं और एडल्ट हैं. शावकों की गिनती नहीं की जाती, इसलिए उन्हें ट्रैप भी नहीं किया जाता. मई महीने में मृत हुई पी 213-32 नाम की बाघिन के 10 माह के बच्चों की परवरिश बाघ पी 243 कर रहा है. टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने बताया कि नर बाघ को बच्चों से कोई मतलब नहीं होता है. वह मेटिंग के बाद इनसे नाता तोड़ देता है, लेकिन बाघिन की मौत के बाद नर बाघ पी 243 जो बाघिन के 4 अनाथ बच्चों का पिता है. 

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