
Gwalior High Court: ग्वालियर नगर निगम (Nagar Nigam Gwalior) में पशु चिकित्सक डॉक्टर अनुज शर्मा को हेल्थ अफसर बनाने का मामला शासन के लिए मुश्किल होता जा रहा है. जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने शासन से इस मामले में जवाब मांगा था. बुधवार 9 अप्रैल को सरकार द्वारा दिए गए जवाब में बड़ा ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ. कोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक डॉ शर्मा को हेल्थ अफसर बनाने के लिए सबसे पहली नोटशीट 22 नवंबर 2022 को तत्कालीन नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने लिखी थी. आइए जानते हैं पूरा मामला.
किसने लगाई थी याचिका?
इस मामले में याचिकाकर्ता डॉक्टर अनुराधा गुप्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जब डॉक्टर अनुज शर्मा को प्रतिनियुक्ति दी गई तब उसकी अवधि दो साल तय की गई थी, इसके बाद उन्हें मूल विभाग में भेज दिया गया. जबकि निगम ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए डॉ अनुज शर्मा को रिलीव करना बताया है.
केवल MBBS ही बन सकता है हेल्थ अफसर
डॉक्टर अनुज शर्मा को हेल्थ अफसर बनाने के खिलाफ डॉ अनुराधा गुप्ता ने याचिका दायर की है. उनकी तरफ से बताया गया है कि केवल एमबीबीएस गया है कि हेल्थ अफसर बन सकता है. यह क्वाॅलिफिकेशन डॉ अनुज शर्मा के पास नहीं है. इस पर हाईकोर्ट ने नगर निगम से कुछ सवाल पूछे हैं.
- जिन पदों को प्रतिनियुक्ति से नहीं भरा जा सकता, उन पर अन्य विभागों से आए अधिकारी काम कर रहे हैं. निगम ने आपत्ति क्यों नहीं दर्ज कराई?
- सीधी भर्ती के पद भरने के लिए क्या कार्रवाई की गई?
प्रतिनियुक्ति को लेकर मप्र शासन से भी हाईकोर्ट ने तीखे सवाल किये
- अधिकारी भेज देता है तो निगम आपत्ति क्यों नहीं करता?
- प्रभारी अधिकारी अनिल दुबे से डॉ. अनुज शर्मा को मूल विभाग रिलीव इसलिए किया गया क्योंकि प्रतिनियुक्ति की अवधि समाप्त हो गई थी. ये जवाब किस आधार पर दिया गया?
- कोर्ट ने कहा कि डॉ अनुज शर्मा के वापिस भेजने के लिए लिखे गए सबसे पहले पत्र की जानकारी क्यों छुपाई?
कोर्ट ने डॉ. अनुज शर्मा की सर्विस बुक पेश करने को कहा. इसके अलावा हाईकोर्ट ने डॉ अनुज शर्मा से भी जवाब मांगा है कि मूल विभाग (पशुपालन विभाग) में काम करने के स्थान पर आपने ग्वालियर में ही रहने में दिलचस्पी क्यों दिखाई?
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