विज्ञापन
This Article is From Sep 05, 2023

Teachers Day : ग्वालियर के इस टीचर ने 3 साल में बदल दी गरीब बच्चों की जिंदगी

अगर नेक काम करने के साथ गरीब परिवार के बच्चों की शिक्षा का बीड़ा उठाया जाए तो सभ्य समाज में इससे बड़ा उदाहरण कोई और हो ही नहीं सकता है. इसकी जीती-जागती कहानी है ग्वालियर से रिटायर शिक्षक ओपी दीक्षित की, जिसने 3 सालों से गरीब बच्चों के जिंदगी में शिक्षा के अलख जगा रहे हैं.

Teachers Day : ग्वालियर के इस टीचर ने 3 साल में बदल दी गरीब बच्चों की जिंदगी
ग्वालियर के ओपी दीक्षित आज 800 गरीब बच्चों को पढ़ा रहे निशुल्क
ग्वालियर:

अगर जुनून हो तो उम्र महज एक आंकड़ा भर ही रह जाता है... ये साबित कर दिखाया है मध्य प्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले ओपी दीक्षित ने. शिक्षक दिवस के मौके पर 70 वर्षीय शिक्षक ओपी की कहानी आज खास मायने रखती है, क्योंकि  ये एक ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने सड़क के किनारे एक नहीं बल्कि कई जगहों पर स्कूल की शाखाएं खोल रखी है. इन स्कूलों में लगभग  800 स्टूडेंट पढ़ते हैं. जिसमें ज्यादातर वैसे बच्चे हैं जिनके पास न घर है, ना पहनने के लिए यूनिफॉर्म और ना ही किताब-कॉपी खरीदने के लिए पैसे. हालांकि इन बच्चों के सारे खर्च शिक्षक ओपी दीक्षित और उनके सहयोगी उठाते हैं.

ओपी दीक्षित 70 साल के हो चुके हैं और अक्सर रिटायर होने के बाद इस उम्र में लोग आराम से अपना जीवन गुजारना चाहते हैं, लेकिन ओपी दीक्षित इस उम्र में भी शिक्षा के अलख जगा रहे हैं. दरअसल. साल 2020 में ओपी दीक्षित हर सुबह विवेकानंद नीडम की पहाड़ियों पर सैर करने जाते थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि कुछ बच्चे वहीं खेलते रहते हैं और ये सभी झोपड़ियों में रहने वाले सहरिया आदिवासियों के बच्चे थे.

5qealnu

चार बच्चों से शुरू हुई क्लासेस में अब 800 बच्चे आ रहे बढ़ने.

दीक्षित ने एक दिन उनके पास जाकर बातचीत की. उनसे पूछा कि वे स्कूल जाते हैं? बच्चों ने हंसते हुए न कहने के लिए मुंडी हिलाई और भाग गए. दीक्षित फिर हर दिन उन बच्चों को इकट्ठा करते और बातें करते. कभी उनके लिए टॉफी ले जाते तो कभी बिस्कुट और यह सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा और फिर एक दिन वो अपने घर से जमीन पर बिछाने के लिए कुछ बोरियां भी ले गए. उन्होंने नीडम पर इन्हें बिछाया और चार पांच बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. 

लोग मिलते गए और कारवां बनता गया

एक सुप्रसिद्ध पंक्तियां है-लोग मिलते गए और कारवां बनता गया. ओपी दीक्षित के साथ भी ऐसा ही हुआ. खुले आसमान के नीचे लगने वाली उनकी कक्षाओं में पढ़ने वाले गरीब बच्चों की संख्या बढ़ने लगी. इतना ही नहीं वहां मॉर्निंग वॉक करने के करने वाले अन्य बुजुर्ग भी बच्चों को पढ़ाने लगे. इनमें महिलाएं भी शामिल है और फिर कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं भी इन्हें निशुल्क पढ़ाने के पहुंचने लगे. ओपी दीक्षित की क्लासेस की चर्चा घरों से लेकर दफ्तरों तक होने लगी. लोग अपने बच्चों की पुरानी किताबें, बस्ते, ड्रेस, स्टेशनरी देने के लिए पहुंचने लगे और फिर लोग मदद के लिए आगे आने लगे. 

चार बच्चों से शुरू हुई कक्षा में अब 800 बच्चे

दीक्षित ने एनडीटीवी को बताया कि अब उनकी क्लासेस ग्वालियर शहर में एक दो नहीं, बल्कि ग्यारह स्थानों पर चलती है. जो बच्चों के समय के हिसाब से लगती है, क्योंकि कई बच्चे काम भी करते हैं. हम सुबह 6 से 9 और शाम 5 से 7 तक क्लास लगाते हैं. मुरार, विवेकानन्द नीडम, सिकन्दर कम्पू, बेटी बचाओ चौराहा में लगने वाली कक्षाओं में अब लगभग 800 बच्चे पढ़ते हैं.

दीक्षित कहते हैं कि आने वाले बच्चों की संख्या कम ज्यादा होते रहती है, क्योंकि सारे बच्चे गरीब मजदूरों के हैं. उनकी पारिवारिक दिक्कतें भी होती है.

आसपास के जिलों में भी शुरू हुई कक्षाएं

ओपी दीक्षित की ये मुहिम इतनी रंग लाई कि ग्वालियर में अब उनके साथ पढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में पुरुष और महिला टीचर निशुल्क सेवा दे रहे हैं. इनमें सिर्फ रिटायर ही नहीं बल्कि युवक और युवतियां भी शामिल हैं. घरेलू कामकाजी महिलाएं भी समय निकालकर यहां पढ़ाने पहुंचती है. वहीं इनसे प्रेरणा लेकर आसपास के क्षेत्रों में भी लोग ऐसी क्लासेस संचालित कर रहे हैं. डबरा के अलावा भिण्ड जिले के गोहद और शिवपुरी जिले के करेरा में ये क्लासेस चल रही है.

qqpp48so

महिलाएं, कॉलेज में पढ़ने वाले विधार्थी इन बच्चों को निशुल्क देते हैं शिक्षा.

दीक्षित बताते हैं कि यह सब ईश्वर की कृपा से चल रहा है. बड़ी संख्या में लोग बच्चों के लिए पठन-पाठन सामग्री उपलब्ध कराते हैं. हम कोई नकदी या चंदा नहीं करते. पढ़ने के लिए जरूरी सामान ही लोग देते हैं, लेकिन अब प्रशासन के लोग भी निजी स्तर पर सामग्री देते हैं. एक दिन संभागीय आयुक्त आये और बच्चो से मिले. आयुक्त ने सबको कॉपी, पेंसिल आदि देने की घोषणा की जो आज शिक्षक दिवस पर मिलेगी. 

बच्चो के हौंसले देख मिलता है सुकून

 बेटी बचाओ चौराहे के पास चलने वाली कक्षाओं में पढ़ाने वाली सोनिया सिहारे बताती हैं कि दो साल पुरानी बात है. मैंने यहां गरीब बच्चों की ये अनूठी कक्षा देखी. मैं भी टीचर रह चुकीं हूं. दूसरे दिन से मैं भी यहां आकर पढ़ाना शुरू कर दिया. यहां के कई बच्चों को मिडिल और हाई स्कूल में टॉप रिजल्ट आ चुके है. उन्हें पढ़ते देखकर और उनकी सफलताओं को देखकर बड़ा सुकून मिलता है.

ये भी पढ़े: इंदौर : सरकारी विद्यालय के शिक्षकों ने खुद चंदा करके गरीब बच्चों के लिए बनाई 'स्मार्ट' क्लास

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Previous Article
MP News: एमपीईबी के जूनियर इंजीनियर ले रहा था एक लाख की रिश्वत, भ्रष्टों को लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों दबोचा
Teachers Day : ग्वालियर के इस टीचर ने 3 साल में बदल दी गरीब बच्चों की जिंदगी
Indian Railways New Advance ticket booking rules know the notification of railways
Next Article
Advance Ticket Booking: समय सीमा को किया गया 6 महीने से 2 महीने, तो लोगों ने दी ऐसी प्रतिक्रिया
Close