
TB Vaccination: टीबी जैसी जानलेवा बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए भारत सरकार द्वारा टीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2025 में टीबी मुक्त भारत का संकल्प लिया है और टीबी रोग के रोकथाम के लिए वयस्क बीसीजी टीकाकरण अभियान स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया गया.
इस अभियान के तहत अलग-अलग 6 श्रेणियों में चिन्हित वयस्क लोगों को टीबी वैक्सिन लगाई जानी थी लेकिन जिले में टीबी वैक्सीनेशन कार्यक्रम को सफलता नहीं मिल सकी. हेल्थ डिपार्टमेंट टीकाकरण लक्ष्य का सिर्फ 10 फीसद ही पूरा कर सका. जिले में टीबी रोगियों की हिस्ट्री को देखते हुए 5 लाख टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया था लेकिन यहां 50 हजार लोगों ने ही टीबी के वैक्सीन लगवाए. टीबी वैक्सीनेशन अभियान हाल फिलहाल रोक दिया गया है लेकिन लक्ष्य से विभाग अभी भी कोसो दूर है. अब ऐसे में टीबी मुक्त जिले का संकल्प कैसे पूरा होगा ?
5 लाख वैक्सीनेशन का था लक्ष्य
बीते साल मार्च 2024 में जिले में टीबी टीकाकरण अभियान शुरु हुआ. जिले की कुल आबादी और टीबी रोगियों की संख्या को देखते हुए यहां पर 5 लाख वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा गया. अभियान के तहत आंगनबाडियों केन्द्रों में टीबी वैक्सीन लगाए गए. मार्च से दिसंबर 2024 तक केन्द्रों पर टीके लगाए गए लेकिन अब केन्द्रों पर टीके लगाने का काम रोक दिया गया है. जबकि लक्ष्य अभी पूरा नहीं हुआ है.
टीबी टीकारण अभियान फ्लॉप होने के कई कारण हैं. एक तो इस अभियान का उतना ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं हो सका जितना अन्य अभियानों का होता है. वहीं प्रशासनिक स्तर पर भी अभियान को समर्थन नहीं मिल सका. अधिकारी-कर्मचारियों ने भी टीबी वैक्सिन नहीं लगवाए. कोरोना वैक्सिन के साइड इफेक्ट की अफवाह के कारण भी लोग वैक्सिन लगवाने से बचते रहे. तो वहीं कई लोगों का कहना था कि आंगनबाडी या फिर हेल्थ वर्कर किसी से टीके के संबंध में कोई सूचना तक नहीं दी. टीबी उन्मूलन प्रोग्राम के तहत व्यस्क बीसीजी टीके 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को लगाए जा रहे थे. इनमें 6 श्रेणी के लोग शामिल किए गए थे. टीबी मरीज उसके संपर्क में रहने वाले व्यक्ति, 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग, कुपोषित व्यस्क, धूम्रपान करने वाले, मधुमेह के मरीज शामिल हैं.
प्रचार-प्रसार से पिछड़ा अभियान
अभियान के पिछड़ने का मुख्य कारण रहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और हेल्थ टीम ने इसे सही से प्रचारित नही किया. टीबी के वेक्सीन लगाए जा रहे हैं आमजन को इसकी सूचना तक नहीं थी. ग्वाल टोली निवासी छोटेलाल यादव ने बताया कि उनके घर पर कोई जानकारी देने नही आया. ग्राम बैजनाथ निवासी बुजुर्ग महिला फूल कुँवर बाई ने बताया कि टीबी वेक्सीन के सम्बंध में कोई जानकारी नहीं उन्होंने यह टीका नही लगवाया. इसी प्रकार मंडी क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्ग मोहन यादव ने बताया वह धूम्रपान करते हैं. उन्हें खांसी भी रहती है लेकिन टीबी वेक्सीन की किसी ने जानकारी नही दी.
100 दिन में टीबी मुक्त सीहोर
टीकाकरण अभियान के इतर जिले में 100 दिन में टीबी मुक्त सीहोर की कार्ययोजना तैयार की गई. जनवरी 2025 से यह अभियान शुरु किया गया. स्वास्थ्य विभाग जिले भर में करीब 2 लाख से अधिक लोगों की स्क्रिनिंग करने, टीबी जांच, एक्स रे करने का दावा करता है लेकिन टीबी वेक्सिनेशन कार्यक्रम के असफल होने से अब साफ हो गया है कि कागजों में ही यह अभियान चलाए जा रहे हैं. विभागीय कर्मचारियों की उदासीनता, प्रचार-प्रसार की कमी के चलते अभियान की सार्थकता नहीं दिखाई दे रही है और टीबी जैसी जानलेवा बीमारी का जोखिम आज भी बना हुआ है.
क्या बोले अधिकारी?
इस सम्बंध में जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ मेहरवान सिंह ने बताया कि वयस्क टीबी टीकाकरण कार्यक्रम बंद हो गया है. अन्य जिलों की अपेक्षा सीहोर का लक्ष्य बेहतर है. अभियान का सही प्रचार-प्रसार नहीं हो सका. साथ ही लोगों में भी कोरोना वेक्सीन का डर बैठ गया है. इसलिए उम्मीद से कम वेक्सिनेशन हुआ.
इस सम्बंध में टीबी कार्यक्रम अधिकारी सीहोर डॉ जागेश्वर कोरी का कहना है कि उन्हें कुछ भी नहीं पता. सीएमएच्ओ टीबी कार्यक्रम के हेड हैं वह कुछ बता सकते हैं. मैं कुछ भी नही बोल सकता.
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