Tansen Sangeet Samaroh In Gwalior : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Dr. CM Mohan Yadav) ने कहा कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) में दर्ज हुई संगीत साधकों की समवेत प्रस्तुति संगीत सम्राट तानसेन (Tansen ) को सच्ची आदरांजलि है. यूनेस्को सिटी ऑफ म्यूजिक ग्वालियर (City of Music Gwalior) में संगीत विरासत को सहेजने का यह अद्भुत प्रयास है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में 546 कला साधकों में 9 वाद्ययंत्रों पर राग मल्हार, मियां की तोड़ी एवं दरबारी कान्हड़ा का समवेत वादन कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया.
'संगीत चेतना जागरण का काम करता है'
With unwavering dedication, 536 talented artists are tirelessly preparing for the grand occasion, each one perfecting every note to create a flawless performance. From strings to winds, percussion to keys, they are harmonising their skills with precision, ensuring that every beat… pic.twitter.com/r8tm1qfVLz
— Madhya Pradesh Tourism (@MPTourism) December 15, 2024
संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर में बना
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) December 15, 2024
एक और विश्व कीर्तिमान
8 प्रकार के वाद्य यंत्रों के साथ 546 साधकों की समवेत मनमोहक प्रस्तुति हुई गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज@DrMohanYadav51 @GWR @minculturemp @TrustsReligious #CMMadhyaPradesh #MyCM… pic.twitter.com/q0gYcTX7R8
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में संगीत का विशेष महत्व है. महर्षि पतंजलि ने मानव शरीर में पांच प्राण - प्राण, अपान, उदान, व्यान और समान - और पांच उप-प्राण - नाग, कूर्म, देवदत्त, कृकला और धनंजय बताए है. संगीत इन सभी प्राणों में चेतना का जागरण करती है. भारतीय संगीत की साधना शरीर के रोम रोम को पुलकित कर देती हैं.
'पहला वाद्ययंत्र है डमरू'
भारतीय शास्त्रीय संगीत की यह विशेषता है कि यह किसी के साथ भी सहजता से तालमेल बिठा सकता है...
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) December 15, 2024
आज ग्वालियर में आयोजित तानसेन संगीत शताब्दी समारोह में बनाया गया विश्व रिकॉर्ड हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करने वाला है : CM@DrMohanYadav51 @minculturemp @TrustsReligious… pic.twitter.com/eO93qnm6QL
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रकृति के साथ संगीत का संबंध नैसर्गिक होकर हमारी संस्कृति की पहचान है. हमारे भगवान भी किसी न किसी वाद्य यंत्र को धारण करते है. सबसे पहला वाद्ययंत्र डमरू जिसे भगवान शिव धारण करते है. उसी तरह भगवान श्री कृष्ण के साथ बांसुरी जुड़ी है. बांसुरी को श्री कृष्ण ने हमेशा अपने पास रखा और एक तरह से बांसुरी ही भगवान श्री कृष्ण की पहचान बन गईं.
देश और प्रदेश के 546 कलाकारों ने दी प्रस्तुति
रोम-रोम से संगीत का अहसास होता है, यही जीवंतता की पहचान है : CM@DrMohanYadav51 @minculturemp @TrustsReligious #CMMadhyaPradesh #MyCM #मुख्यमंत्री_जनकल्याण_अभियान #जनकल्याण_पर्व_MP #1YearOfMohanYadavSarkar pic.twitter.com/HjMHc7ebSj
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सुरों की साधना को समर्पित समवेत प्रस्तुति में देश और प्रदेश के 546 कलाकारों में 9 शास्त्रीय वाद्ययंत्रों का वादन एक साथ किया.समवेत प्रस्तुति के माध्यम से स्वर सम्राट तानसेन को स्वरांजली अर्पित की गई. यह प्रस्तुति तानसेन रचित तीन राग जिनमें मल्हार, मियां की तोड़ी एवं दरबारी कान्हड़ा में निबद्ध थी. इस प्रस्तुति का संयोजन सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित रोनू मजूमदार ने किया। समवेत प्रस्तुति में वाद्ययंत्रों के साथ ही गायन भी शामिल था. निरन्तर 9 मिनट तक वाद्यों का वादन करने पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड रचा गया.
जानें किस वाद्य पर कितने प्रतिभागी
गायन -1
तबला - 76
बांसुरी - 56
वायलिन -80
वोकल - 166
संतूर -3
सरोद -13
सारंगी -11
सितार -93
सितार बैंजो - 1
हारमोनियम -34
सहायक -1
सहायक दल प्रमुख -1
ये भी रहे मौजूद
इस अवसर पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, जल संसाधन मंत्री और ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी, सांसद ग्वालियर भरत सिंह कुशवाह, प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला सहित स्थानीय अधिकारी और बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित रहें.
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