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Rajgarh Government Hospital: अस्पताल में परेशान होते रहे मरीज, ड्यूटी स्टाफ पहुंचा श्राद्ध के निमंत्रण में, मामले ने पकड़ा तूल

Negligence in Government Hospital: जीरापुर सरकारी अस्पताल में जिंदा मरीजों का इलाज होना ही बहुत मुश्किल है, क्योंकि यहां के डॉक्टर और ड्यूटी स्टाफ या तो अपने घर पर बैठा रहता है, या श्राद्ध के निमंत्रण में पहुंचा होता है भोजन के लिए! आइए आपको इस अस्पताल की व्यवस्था से परेशान तीन मरीजों की परेशानी बताते हैं.

Rajgarh Government Hospital: अस्पताल में परेशान होते रहे मरीज, ड्यूटी स्टाफ पहुंचा श्राद्ध के निमंत्रण में, मामले ने पकड़ा तूल
राजगढ़ में सरकारी अस्पताल में घोर लापरवाही आई सामने

MP Government Hospital Negligence: मध्य प्रदेश के राजगढ़ (Rajgarh) जिले के जीरापुर सरकारी अस्पताल (Jirapur Government Hospital) की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. रविवार की दोपहर 12 बजे लगभग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ना तो कोई इमरजेंसी डॉक्टर ना ही बोतल या इंजेक्शन लगाने वाला कोई स्टाफ मौजूद था. मरीजों के परिजनों और मौजूद लोगों ने बताया कि ऋतु हरले मैडम और स्टाफ निमंत्रण में भोजन करने गया है. आने के बाद इलाज होगा. ड्यूटी डॉक्टर प्रियंका नरवरिया से बात करना चाही, तो उन्होंने बताया कि अभी घर आई हूं. बाद में पता चला कि वो भी उनके निवास पर प्राइवेट मरीजों को देख रही थी.

मरीज की देखभाल के लिए कोई स्टाफ नहीं

मरीज की देखभाल के लिए कोई स्टाफ नहीं

लापरवाही का पहला मामला

सुरेश छपरीबंद सोयत मोटरसाइकिल से जीरापुर आ रहे थे. रास्ते में किसी कार ने उनको टक्कर मार दी. चोट लगने से जीरापुर अस्पताल पहुंचे, जहां उनका इलाज करने वाला कोई नहीं मिला. मौजूद स्टाफ 30 मिनट बाद डॉक्टर के घर पेशेंट को लेकर गया, जहां से ड्यूटी डॉक्टर प्रियंका नरवरिया उनको लेकर हॉस्पिटल आई और उनका प्राथमिक उपचार हुआ.

लापरवाही का दूसरा मामला

प्रहलाद सिंह चौहान, मीनागांव, भेरूसिंह जी तबीयत खराब होने से उनको लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां उनको देखने के लिए न तो डॉक्टर मिला और न ही उनको बोतल एवं इंजेक्शन लगाने वाला कोई मिला. इनका इलाज 30 मिनट बाद हुआ, जब ड्यूटी नर्स रितु हरले कही भोजन करने गई थी वहां से वापस आई.

लापरवाही का तीसरा मामला

डिलेवरी वाली महिलाओं को आयरन की बोतल चढ़ने के लिए आधे घंटे से इंतजार करना पड़ा. साथ ही, मरीज के परिजन अस्पताल में स्टाफ को ढूंढ रहे थे कि कौन बोतल बदलेगा. लेकिन, इनकी मदद के लिए भी अस्पताल में कोई मौजूद नहीं था.

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इसमें मैं क्या करूं - ड्यूटी डॉक्टर

ड्यूटी डॉक्टर, प्रियंका नरवरिया से जब अस्पताल की ऐसी हालत और इन मामलों को लेकर सवाल किए गए, तो उन्होंने कहा, 'मैं नहीं जानती, बीएमओ साहब जाने स्टाफ कहा गया. इसमें मैं क्या करूं.' बता दें कि इस अस्पताल का ऐसा नजारा था कि यहां एक्सिडेंट के मरीजों के इलाज तो दूर, प्राथमिक उपचार के लिए भी कोई मौजूद नहीं था.

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