Singrauli News. ऊर्जाधानी नाम से मशूहर मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में एक ऐसा आदिवासी गांव हैं, जहां आजादी के बाद अब तक की बिजली नहीं पहुंची है. शर्मनाक स्थिति यह है कि सिंगरौली में निर्मित बिजली से देश व विदेश रोशन होता है , लेकिन आज भी सिंगरौली जिले आदिवासी गांव के लोग इलेक्ट्रीस्टी से महरूम हैं.
गांंव जाने के लिए 2 किलोमीटर का दुर्गम सफर डगमगाते तय करते हैं ग्रामीण
रिपोर्ट के मुताबिक गोभा ग्राम पंचायत के आदिवासी इलाके तक पहुंचने के लिए सड़क के नाम पर बड़े-बड़े पत्थरों के सिवाय कुछ भी नहीं. विकास से दूर आदिवासी गांव तक पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर का दुर्गम सफर ग्रामीण डगमगाते हुए तय करते है. सड़क पर पैदल सफर भी जोखिम भरा रहता है.
एनडीटीवी ने आदिवासी बहुल बैगा समुदाय के गांव पहुंचकर की पड़ताल
एनडीटीवी ने पड़ताल में पाया कि आजादी के बाद गोभा ग्राम पंचायत में बिजली ही नहीं, यहां मूलभूत सुविधाओं जैसे पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य का बुरा हाल है. यहां के स्कूली बच्चे पहाड़ से ऊपर स्थित स्कूल तक कभी कभार ही जा पाते है. सड़कों का इतना बुरा हाल है कि ग्रामीण गिरते-पड़ते गंतव्य तक पहुंच पाते हैं.
आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर है गोभा ग्राम पंचायत
ग्रामीणों की माने तो गांव की पगडंडियों की हालत ऐसी है कि ग्रामीणों को रोजाना अपनी जान पर खेल कर रास्ता तक करना पड़ता है. लोग अक्सर गिरते पड़ते रहते है. गोभा ग्राम पंचायत क्षेत्र के गांव पहुंचकर एनडीटीवी की टीम ने दुर्दशा में जीवन जीने को अभिसप्त बैगा समुदाय के लोगों से मुलाकात की, जो आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर है.
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