
Sidhi Crime News: सीधी जिले के अमरपुर हायर सेकेंडरी स्कूल का सोमवार का दिन किसी बॉलीवुड की स्क्रिप्ट जैसा बन गया. फर्क बस इतना था कि यहां कैमरा नहीं, बल्कि लाठी-डंडे चल रहे थे और नायक कोई हीरो नहीं बल्कि नकल रोकने वाले बेचारे अतिथि शिक्षक थे.
नकल रोकने पर शिक्षक पर हमला
हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी की त्रैमासिक परीक्षा चल रही थी. क्लासरूम में तीन छात्र मोबाइल फोन से नकल के जरिए अपने भविष्य का शॉर्टकट गढ़ने में लगे थे. तभी ड्यूटी पर मौजूद अतिथि शिक्षक भरत लाल तिवारी ने उनकी “डिजिटल विद्या” पर ब्रेक लगा दिया. तिवारी शायद यही सोच रहे होंगे कि “चलो, आज तीन बच्चों को बचा लिया देश का भविष्य संवार दिया.” लेकिन इन बच्चों के लिए नकल रोकना मानो कोई राष्ट्रीय अपमान हो गया. पढ़ाई में कमजोर निकले, तो गुंडागर्दी में माहिर हो गए. तीनों छात्र बाहर भागे, अपने तीन और साथियों को बुलाया, और लौटे ऐसे जैसे कोई फिल्मी गैंग, लाठी-डंडों से लैस. फिर खुलेआम स्कूल परिसर में अपने ही शिक्षक पर हमला कर दिया.
दोस्तों को बुलाकर की गुंडागर्दी
हमले में भरत लाल तिवारी के सिर पर गंभीर चोटें आईं, खून से लथपथ वे ज़मीन पर गिर पड़े. साथी शिक्षकों ने किसी तरह उन्हें बचाया और पुलिस को सूचना दी. घायल शिक्षक को सीधी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है. अब मामला पुलिस तक पहुंच चुका है. पुलिस के मुताबिक, हमला करने वालों में 12वीं कक्षा के छात्र अभिषेक साकेत, पवन साकेत और साहिल साकेत शामिल थे. इनके साथ तीन बाहरी युवक अंकुश, अंकित और आकाश भी थे. बहरी थाना प्रभारी राजेश पांडे ने बताया कि प्रकरण दर्ज कर लिया गया है और आरोपियों पर सख़्त कार्रवाई की जाएगी.
ये छात्र हैं या 'भविष्य के अपराधी'?
लेकिन यहां असली सवाल यही है- आखिर ये छात्र हैं या ‘भविष्य के अपराधी'? ये वही उम्र है जब किताबों से दोस्ती होनी चाहिए थी, पर इन्होंने लाठियों से गठबंधन कर लिया. वो जमाना गया जब गुरु की डांट सुनकर छात्र सुधरते थे, अब तो गुरु की डांट सुनकर छात्र सीधे डंडा उठा लेते हैं. जिस शिक्षक को ‘गुरु' कहकर आदर दिया जाता था, उसी को खून से लथपथ कर देने वाले इन तथाकथित ‘विद्यार्थियों' से समाज को क्या संदेश मिलेगा. और अगर यही हाल रहा, तो आने वाली पीढ़ी किताबों से नहीं, मोबाइल और माफिया मानसिकता से पढ़ेगी. ये सवाल पूरे समाज के सामने है—नकल रोकना क्या अब इतना बड़ा गुनाह हो गया है कि गुरु की जान पर बन जाए?
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