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कब वजूद में आएगा सीधी का मेडिकल कॉलेज? भूमि पूजन हुए 2 वर्ष हो गया, नहीं रखी जा सकी एक ईंट

Sidhi Medical College: दो वर्ष पूर्व रखी गई सीधी मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए अभी तक ईट नहीं रखे जाने से मेडिकल कॉलेज महज चुनावी शिगूफा साबित हो रहा है. मेडिकल कॉलेज के लिए चिन्हित स्थल अभी भी मैदान ही बना हुआ है, जो पिछले दो सालों से पशुओं का डेरा बनकर रह गया है

कब वजूद में आएगा सीधी का मेडिकल कॉलेज? भूमि पूजन हुए 2 वर्ष हो गया, नहीं रखी जा सकी एक ईंट
Sidhi Medical college become Election campaign (Symbolic Image)

Sidhi Medical College: सीधी जिले में मेडिकल कॉलेज की घोषणा को 2 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन दो वर्ष  बाद अभी तक सीधी मेडिकल कॉलेज अपने वजूद को तलाश रहा है. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में दो वर्ष पूर्व एक बड़े कार्यक्रम करके मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया गया था, लेकिन मेडिकल कॉलेज आज भी बाट जोह रहा है.

दो वर्ष पूर्व रखी गई सीधी मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए अभी तक ईट नहीं रखे जाने से मेडिकल कॉलेज महज चुनावी शिगूफा साबित हो रहा है. मेडिकल कॉलेज के लिए चिन्हित स्थल अभी भी मैदान ही बना हुआ है, जो पिछले दो सालों से पशुओं का डेरा बनकर रह गया है. 

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मेडिकल सुविधा के लिए सीधी जिले के लोगों को जाना पड़ता है रीवा और जबलपुर

रिपोर्ट के मुताबिक सीधी जिले में मेडिकल कॉलेज की बेहद आवश्यकता है, क्योंकि जिले की चिकित्सा व्यवस्था इतनी कमजोर है कि लोग आज भी उपचार सुविधा के लिए निकटवर्ती जिलों क्रमशः रीवा, जबलपुर सहित दूरस्थ क्षेत्रों में जाते हैं. हालांकि जब जोर-शोर से सीधी मेडिकल कॉलेज की नींव रखी गई थी, तब लोगों में मेडिकल सुविधा की आशा जग गई थी.

तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किया था मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास

गौरतलब है विधानसभा चुनाव के पहले वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सीधी के समीप नौढ़िया में मेडिकल कॉलेज के लिए शिलान्यास किया गया था. माना जा रहा था कि निर्माण कार्य भी जल्द प्रारंभ हो जाएगा, लेकिन दुर्भाग्य है कि 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक मौके पर निर्माण की एक भी ईट नहीं रखी गई है.

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सीधी जिले में मेडिकल कॉलेज के घोषणा की घोषणा के बाद भूमि पूजन का कार्य संपन्न हुआ, लेकिन जब पीपीपी मॉडल में मेडिकल कॉलेज बनाने की बात आई तो इसका विरोध शुरू हो गया. माना जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज के निर्माण में पीपीपी मॉडल विवाद एक बड़ी तकनीकी बाधा है.

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सीधी MLA ने किया पीपीपी मॉडल से मेडिकल कॉलेज बनाने का किया विरोध 

सीधी विधायक रीति पाठक ने खुद एक कार्यक्रम में डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला से पीपीपी मॉडल से मेडिकल कॉलेज नहीं बनाने की बात रखी थी, इसके बाद चारों तरफ से इस बात को लेकर विरोध शुरू हो गया. यह दलील दी गई कि सीधी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है,यहां शासन द्वारा मेडिकल कॉलेज बनाया जाए और संचालन अपने हाथ में रखा जाए.

तर्क है कि पीपीपी मॉडल से मेडिकल कॉलेज बनने वाले से सुविधा महंगी होगी

माना जाता है कि पीपीपी मॉडल के माध्यम से बनने वाले मेडिकल कॉलेज की सुविधा महंगी होगी, जिसका सीधी के आम आवाम लोगों को लाभ नहीं मिल सकेगा. ऐसे में तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि सीधी में किस तरह का मेडिकल कॉलेज बनेगा,अभी तक यही नहीं तय हो पा रहा है.

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फिलहाल, सीधी जिले के लोग चिकित्सा सुविधा के लिए कुसमी विकासखंड पूरा आदिवासी क्षेत्र आते हैं, लेकिन यहां उनको उपचार सुविधा नहीं मिलती है. सीधी में मेडिकल कॉलेज काफी अहम है, लेकिन अभी तक शासन और प्रशासन के द्वारा स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है.

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चिकित्सा सुविधा के नाम पर सीधी में है पुराना अस्पताल, जहां डॉक्टर भी नहीं 

उल्लेखनीय है सीधी जिला एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां उपचार सुविधा बेहतर होना जरूरी है, लेकिन अभी तक यहां चिकित्सा सुविधा के नाम पर वही एक पुराना अस्पताल है, जिसमें डॉक्टर भी नहीं है. अब जब मेडिकल कॉलेज की बारी आई तो पीपीपी मॉडल के विरोध के चलते निर्माण कार्य लटक गया है. 

एक मत है पीपीपी मॉडल से नहीं, सरकार द्वारा बनाया जाए मेडिकल कॉलेज

एनडीटीवी की टीम ने मेडिकल कॉलेज के लिए चिन्हित स्थल पर जाकर जायजा लेने के बाद समाजसेवी चंद्र मोहन गुप्ता, भाजपा नेता पूर्व जिला अध्यक्ष इंद्र शरण सिंह चौहान, सुंदर सिंह व जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी बबिता खरे से बात की. उनका मानना है कि सीधी के लिए मेडिकल कॉलेज बेहद अहम है, लेकिन इसे सरकार द्वारा बनाया जाना चाहिए.

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