Success Story News: कहते हैं कि सफलता दौलत की मोहताज नहीं होती है. ऐसी ही एक कहानी है हरदा जिले के गांव पानतलाई निवासी शुभम गौर की. शुभम के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब होने के बाद भी उन्होंने विषम परिस्थितियों में सफलता हासिल कर अपने परिवार और गांव का नाम रोशन करने में सफलता हासिल की है. पहले रहटगांव में आईटीआई पास करने के बाद डेढ़ साल तक गांव में बिजली फिटिंग का काम किया.
हरदा में आगे की पढ़ाई के लिए पॉलिटेक्निक कॉलेज से दाखिले के साथ ही प्राइवेट कोचिंग में पढ़ाई शुरू कर मध्य प्रदेश पुलिस की परीक्षा पास की, लेकिन दौड़ में चंद सेकंड से पिछड़ गए. खुद का खर्च उठाने के लिए पास होने बाद उसी कोचिंग में पढ़ाना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं, रात में कृषि विभाग में चौकीदारी का काम शुरू कर दिया. वह दिन में बच्चों को पढ़ाता और रात में चौकीदारी करता. इस तरह कड़े संघर्ष के बीच उन्होंने अपनी तैयारी पूरी की.
शुभम ने ये बताई अपनी गरीबी की कहानी
शुभम गौर ने बताया कि उसके माता-पिता की स्थित ठीक नहीं होने के कारण उन्होंने मुझे भुआ के घर बालागांव छोड़कर पीथमपुर काम करने चले गए. शुभम ने बताया कि बताया कि इस दौरान बुआ और फूफा ने मदद में कोई कमी नहीं छोड़ी. दोनों की प्रेरणा और दोस्त अनिकेत तिवारी की सहायता से शुभम ने भारतीय रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट की परीक्षा पास कर नाम रोशन रोशन करने में सफल रहे. शुभम ने बताया उसके दोस्तों ने दोस्ती का फर्ज निभाया. जब लोको पायलट की परीक्षा पास कर मेडिकल चेकअप के लिए बेंगलुरु जाना था, तो मेरे पास वहां तक जाने के लिए पैसे नहीं थे. ऐसे में टिमरनी के दोस्त अनिकेत तिवारी सहारा बना.
यह भी पढ़ें- नक्सलियों का 'फील्ड ब्रेन' था रामधेर मज्जी ! खुद बताया-कैसे ढहा 3 राज्यों में फैला MMC Zone का अंतिम किला ?