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This Article is From Jan 06, 2024

वास्तुकला की अद्भुत मिसाल है भोपाल की शाही मोती मस्जिद, बनवाने में रहा था तीन बेगमों का हाथ

मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में स्थित मोती मस्जिद की बुनियाद करीब 150 साल पहले रखी गई थी. मोती मस्जिद भोपाल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण वास्तुकला का नमूना है.

वास्तुकला की अद्भुत मिसाल है भोपाल की शाही मोती मस्जिद, बनवाने में रहा था तीन बेगमों का हाथ
जानिए भोपाल की मोती मस्जिद के बारे में

Madhya Pradesh News: मस्जिदों का इस्लाम धर्म में बहुत खास महत्व होता है. आज हम आपको ऐसी मस्जिद के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि बहुत ही खास मानी जाती है, इस मस्जिद का नाम है मोती मस्जिद.. देश भर में प्रसिद्ध भोपाल की मोती मस्जिद (Moti Masjid) से जुड़ा एक काफी दिलचस्प किस्सा है, जो बाकी मस्जिदों से इस मस्जिद को अलग बनाता है.

बेटी ने किया मां का सपना

भोपाल की दूसरी खातून नवाब सिकंदर जहां बेगम ने 1860 में अपनी मां पहली खातून नवाब गौहर कुदसिया बेगम के हाथों बुनियाद रखवा कर मोती मस्जिद को बनवाने का आगाज किया था. नवाब सिकंदर जहां बेगम ज़हीन और खुली सोच के साथ दूर की सोच रखने वाली मानी गई. उनके समय में मस्जिदों के अलावा कई यादगार इमारतें सड़के और पुल बनवाए. लेकिन सिकंदर जहां अपनी हयात में मोती मस्जिद को नहीं बना सकी, फिर उनकी मौत के बाद उनकी बेटी नवाब साहब जहां बेग़म ने भोपाल रियासत की नवाब बनने के बाद मस्जिद को बनवाने का सोचा था.

तीन मां बेटियों के हाथों का हुआ इस्तेमाल

इस तरह इस शाही मस्जिद के बनने में तीन मां बेटियों के हाथों का इस्तेमाल हुआ, इस मस्जिद को एक बुलंद कुर्सी पर लाल पत्थरों से बनाया गया है. इसमें तीन सीढ़ी नुमा दरवाजे हैं. वजू के लिए दो हॉज भी हैं, ये मस्जिद वास्तु कला की एक अच्छी मिसाल मानी जाती है. 

खुले विचारों की थी बेगम

मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में स्थित मोती मस्जिद की बुनियाद करीब 150 साल पहले रखी गई थी. मोती मस्जिद भोपाल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण वास्तुकला का उदाहारण है. यह मस्जिद भारतीय मुस्लिम महिलाओं के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है. इस मस्जिद के निर्माण का आदेश महिला मुस्लिम शासक सिकंदर बेगम ने किया था. बेग़म काफी पढ़ी-लिखी महिला थीं और उस जमाने में आधुनिक हिसाब से इस मस्जिद को बनवाया था. 

दिल्ली जामा मस्जिद से मिलती है 

निर्माण और वास्तुकला की दृष्टि से मोती मस्जिद, दिल्ली की जामा मस्जिद से काफ़ी मिलती जुलती है लेकिन आकार में ये तीन गुना छोटे छोटे आकार होने के बावजूद मोती मस्जिद में हजारों लोग भ्रमण के लिए आते हैं क्योंकि इसकी वास्तुकला बेहद सुंदर और खास है.

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ऐसे पड़ा नाम

मस्जिद के गहरे लाल टावर और गोल्डन भाली नुमा संरचना एक लुभावनी दृष्टि प्रदान करते हैं. मस्जिद मुख्य रूप से सफेद रंग की है. जिसका निर्माण पूरी तरह से संगमरमर से किया गया था, ये देखने में मोती की तरह चमकती है. इसीलिए इसका नाम मोती मस्जिद रखा गया.

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