
मध्य प्रदेश के शहडोल में कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय में मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये की लीपापोती की जा रही है. दरअसल, जर्जर जिला चिकित्सालय की छत की मरम्मत के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से 38 लाख रुपये स्वीकृत किये गए हैं. वहीं, वार्डो की मरम्मत और रेनोवेशन के लिए खनिज मद से लगभग 58 लाख रुपये स्वीकृत कर टेंडर जारी कर कार्य शुरू कराया गया. लेकिन 5 महीने बाद भी काम अधूरा पड़ा हुआ है.
बारिश के कारण अस्पताल के कमरों का प्लास्टर टूट कर गिर गया
छत मरम्मत के नाम पर पूरी तरह लीपापोती की जा रही है. केवल कुछ जगह वाटर प्रूफिंग पेंट लगाकर सालों पुरानी छत को ठीक करने के नाम पर लीपापोती की जा रही है, जिससे अधिकांश जगह अस्पताल भवन में अभी भी पानी का रिसाव हो रहा है. पिछले दिनों हुई बारिश से अस्पताल के दो कमरों का प्लास्टर भी टूट कर गिर गया. गनीमत यह रही उस समय वहां कोई मौजूद नहीं था.

शहडोल जिला हॉस्पिटल में छत मरम्मत और वार्डो की मरम्मत रेनोवेशन के नाम पर केवल लीपापाती की जा रही है
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने अस्पताल भवन की छत मरम्मत के लिए 38 लाख रुपये जारी किए हैं, लेकिन जर्जर छत में मात्र पेंट लगाकर पूरी राशि की बंदरबांट की जा रही है. 6 महीने बीत जाने के बाद भी अधिकांश जगह काम अधूरा पड़ा है.
वार्डों की मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है. अस्पताल भवन के सामने पुरानी जर्जर दीवार को बिना मरम्मत किए ही उसमे ACP लगाकर ढका जा रहा है और खनिज मद की राशि का पूरी तरह दुरुपयोग किया जा रहा है. इतना ही नहीं ACP के काम में भी लगभग 10 से15 लाख रुपये खर्च कर दिए गए हैं.
पानी के रिसाव से उखड़ने लगा नया पेंट पुट्टी
बता दें कि जिला अस्पताल का भवन काफी पुराना है. हर बार पुराने भवन की मरम्मत के नाम पर पेंट पुट्टी पीओपी कर बाहर से चमकाने की कोशिश कर दी जाती है. वहीं नया पेंट पुट्टी भी पानी के रिसाव से उखड़ने लगी है. जो घटिया काम और भ्रष्टाचार को उजागर कर रही है, लेकिन जर्जर भवन की न छत की पूरी तरह मरम्मत की जाती है न दीवारों की. वहीं तेज बारिश होते ही पुराना जर्जर प्लास्टर भी गिरने लगता है.
हालांकि मरम्मत के बाद भी कई जगहों से पानी का रिसाव को लेकर इंजीनियर अरविंद सिंह कहते हैं कि अभी अस्पताल भवन का काम अधूरा है, इसलिए पानी का रिसाव हो रहा है.