
Balaghat News: बालाघाट में लालबर्रा जनपद में करीब 30 किमी. दूर पांडेवाड़ा के रहने वाले युवक वेदराम रहांगडाले (Vedram Rahangdale) ने 12 वर्ष पहले अपनी जमीन पर मनरेगा स्कीम (MNREGA Scheme) के तहत बने तालाब को रोजगार का अवसर बना लिया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. अपनी मेहनत और अनुभव के साथ शासन की योजना के सहारे उन्होंने मत्स्य उद्योग (Fishing industry) स्थापित कर लिया. आज वे इस व्यवसाय से सालाना लगभग 30 लाख रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं. इसके साथ ही अपने इस व्यवसाय से वे 10 लोगों को रोजगार भी दे रहें हैं.
दरअसल, वर्ष 2012 में उनके खेत में 12 हजार वर्ग फीट में मीनाक्षी योजना के तहत तालाब बनाया गया. इसी तालाब से उन्होंने अपने रोजगार को प्रारम्भ किया. इसके बाद वर्ष 2019 और 2021 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 6 लाख 20 हजार रुपए का अनुदान मिला, जिसे उन्होंने अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया.
वेदराम जी ने मनरेगा तालाब में स्वयं के खर्च पर मछली पालन शुरू किया। उन्होंने मछली की समस्याओं को समझा और 2012 से 15 तक अनुभव के बाद व्यावसायिक रूप से मछली पालन शुरू किया। आज वे सालाना 30 लाख रुपये का मुनाफा कमाते हैं और 10 लोगों को रोजगार देते हैं।#ndtvmpcg #balaghat pic.twitter.com/bXUFlhqeSt
वर्षों खपाने के बाद मिली सफलता
वेदराम बताते हैं कि उनके खेत पर मनरेगा से बने तालाब में स्वयं के खर्च पर मछली के बीज डाले थे, लेकिन कोई खास लाभ नहीं हुआ. इसके बाद वे लगातार इस दिशा में प्रयास करते रहे. उन्होंने इस दौरान मछलियों को होने वाली समस्या, जैसे-जल का तापमान, ऑक्सीजन का स्तर, अमोनिया कंट्रोलिंग और बीमारियों (लाल चदका) के अलावा मछलियों की भोजन की आवश्यकताओं को समझा. इस दौरान वर्ष 2012 से 15 तक जो कुछ उन्हें अनुभव हुआ. उसके आधार पर मछली पालन की ओर फोकस किया, तो मुनाफा भी होने लगा. इसके बाद उनका हौसला बढ़ा तो 2015 में पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत 2.20 लाख रुपए के अनुदान से एक और तालाब का निर्माण कर मछली पालन के व्यवसाय को और मुफीद बनाया. इसके बाद तो कभी पीछे मुड़कर देखा ही नहीं. फिर 2021 में इसी योजना से 5 लाख रुपए का अनुदान लेकर कियोस्क स्थापित किया. अब इसी कियोस्क से 8 से 10 मछली की प्रजातियों से अपना व्यवसाय कर रहें है.
8 से 10 प्रजाति की मछली और झींगा का करते हैं पालन
वेदराम ने बताया कि इस वक्त वे मछली उत्पादन और सीड के अलावा फिश फ़ूड का भी व्यवसाय प्रारम्भ कर चुके हैं. उनके इस व्यवसाय को भिंड, दतिया, सागर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा व पांढुर्णा से बालाघाट की ओर से आने वाले प्रदेश के पूर्व हिस्से में आने वाले जिलों में फैलाया है. साथ ही सिवनी, मंडला और नागपुर के मछली व्यापारी भी उनसे थोक में करीब 8 से 10 प्रजाति की मछली और झींगा खरीद रहे हैं.
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10 लोगों को दे रहे हैं रोजगार
वर्तमान में वेदराम अपने 10 तालाबों से करीब 10 लाख फिश के सीड, 5 क्विंटल झींगा, 30 टन फुगेशियस और 10 टन रूपचन्दा प्रजाति की 1 से 2 किलो की मछली थोक में बेंच रहें है. इस कार्य के लिए वे 10 मछुआरों सहित अन्य को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं. वेदराम मात्र 12 पास है, लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी पढ़ाई को अपने व्यवसाय में आड़े नहीं आने दिया. अपनी लगन और कड़ी मेहनत से मछली पालन के व्यवसाय में सफलता हासिल कर आज वो दूसरे युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बन चुके हैं.
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