
Scindia family property dispute: देश के सबसे धनी राजघरानों में से एक सिंधिया परिवार का 40,000 करोड़ रुपये की पैतृक संपत्ति का विवाद शुक्रवार को एक नए कानूनी मोड़ पर आ गया है. ग्वालियर हाई कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीनों बुआओं को इस 15 साल पुराने विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के लिए 90 दिन की मोहलत दी है. कोर्ट के इस आदेश के बहाने यह समझना जरूरी है कि यह कानूनी लड़ाई आखिर है क्या, और परिवार की कौन-कौन सी ऐतिहासिक संपत्तियां बंटवारे के बीच फंसी हैं? इसके अलावा सिंधिया परिवार के पास कितनी संपत्ति है?
क्यों नहीं हुआ 40,000 करोड़ का बंटवारा?
दरअसल सिंधिया परिवार का यह विवाद महाराज जीवाजीराव सिंधिया की 1961 में हुई मृत्यु के बाद से शुरू हुआ था. उन्होंने कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी, जिसके कारण संपत्ति का स्पष्ट बंटवारा नहीं हो सका. उसके बाद माधव राव सिंधिया का भी असमय निधन हो गया. जिसके बाद संपत्ति विवाद का मुद्दा और बड़ा हो गया. ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआएं वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और उषा राजे चाहती हैं कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत उन्हें पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार मिले. हालांकि ऐसा समझा जा रहा कि इस मामले में ज्योतिरादित्य का अपना पक्ष है. उनका दावा है कि शाही संपत्ति पर प्रिमोजेनीचर (Primogeniture) का नियम लागू होना चाहिए. इस नियम के अनुसार, सबसे बड़े बेटे को पूरी विरासत मिलती है. इस पूरे मामले में कानूनी लड़ाई की औपचारिक शुरुआत साल 2010 में हुई जब वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और उषा राजे ने अदालत का रुख किया. विवाद की जड़ में राजमाता की कब्जे वाली संपत्ति है. सिंधिया परिवार के खानदानी शेयर और माधवराव की संपत्ति को लेकर नहीं.
1000 करोड़ का जय विलास पैलेस समेत ये संपत्तियाँ शामिल
अहम बात ये है कि इस विवाद में केवल जमीन या पैसा नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास की धरोहरें शामिल हैं. परिवार की कुल 40,000 करोड़ की संपत्तियों में देश के कई कोनों में फैलीं ये भव्य संरचनाएं शामिल हैं.
जय विलास पैलेस (ग्वालियर): यह 12.40 लाख वर्ग फीट में फैला है और इसमें 400 कमरे हैं. इसकी वर्तमान बाजार कीमत 1000 करोड़ रुपये आँकी गई है.
माधव विलास पैलेस (शिवपुरी): इसके अलावा, शिवपुरी में हैप्पी विलास और जॉर्ज कैसल जैसी अन्य संपत्तियाँ भी हैं.
ऐतिहासिक महल और घर: उज्जैन का कालियादेह पैलेस, दिल्ली में ग्वालियर हाउस और सिंधिया विला, और पुणे का पदमा विलास पैलेस भी विवाद में हैं.
अन्य विरासतें: वाराणसी में प्रसिद्ध सिंधिया घाट और गोवा में विठोबा मंदिर भी परिवार की संपदा का हिस्सा हैं.
इतना ही नहीं, बताया जाता है कि 1947 में सिंधिया परिवार के पास 100 से अधिक कंपनियों में भी शेयर थे.
हाई कोर्ट का आदेश,समझौते के लिए 90 दिन
ग्वालियर हाई कोर्ट ने अब बुआ और भतीजे को यह स्पष्ट कर दिया है कि 15 साल की यह कानूनी माथापच्ची अब खत्म होनी चाहिए. कोर्ट ने उन्हें 90 दिन का समय देते हुए कहा है कि वे आपस में बैठकर इस विशाल संपत्ति का बँटवारा आपसी सहमति से कर लें. अगर यह समझौता नहीं हो पाया, तो कोर्ट में चल रही याचिका फिर से सक्रिय हो जाएगी. इस आदेश ने सिंधिया परिवार को एक और मौका दिया है, ताकि वे बिना किसी और कानूनी हस्तक्षेप के इस पारिवारिक विवाद को शांत कर सकें.
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