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सीधी में करोड़ों का घोटाला, कलेक्टर की स्वीकृति के बिना ही करवा दिए 112 निर्माण कार्य

Scam worth crores in Sidhi: सीधी में करोड़ों के घोटाले से प्रशासनिक सिस्टम हिल गया है. दरअसल, कलेक्टर के स्वीकृति के बिना 112 निर्माण कार्य कराने के लिए 2 साल तक जनता का पैसा निकालते रहे.

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सीधी में करोड़ों का घोटाला, कलेक्टर की स्वीकृति के बिना ही करवा दिए 112 निर्माण कार्य

सीधी (Sidhi) जिला अपने नए-नए कारनामों के लिए पूरे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में समय-समय पर चर्चा में बना रहता है. ऐसा ही एक और मामला सामने आया है. दरअसल, निर्माण कार्य की एक एजेंसी के कार्यपालन यंत्री द्वारा सक्षम ना होने पर भी ग्राम पंचायतों में 112 निर्माण कार्यों की स्वीकृति देकर शासकीय राशि का दुरुपयोग कर प्रशासन को चूना लगाया गया है.

इतना ही नहीं जिला कलेक्टर साकेत मालवीय को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी और 112 निर्माण कार्यों के नाम पर 19 करोड़ से अधिक राशि आहरित कर ली गई है. जब कलेक्टर को इस बात की जानकारी हुई तो उनके पैर के नीचे से जमीन खिसक गई. बता दें कि जांच के दौरान फर्जीवाड़े का ये खुलासा हुआ है.

लेखपाल निलंबित, कार्यपालन यंत्री के खिलाफ कार्रवाई का आदेश 

कलेक्टर साकेत मालवीय के द्वारा वित्तीय अनियमितता के कारण आर एन मिश्रा लेखापाल कार्यालय कार्यपालन यंत्री महान नहर संभाग सीधी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय कार्यालय कलेक्टर जिला सीधी नियत किया गया है. साथ ही संकट मोचन तिवारी कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग जिला सीधी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.

सक्षम न होने पर भी जारी की गई प्रशासकीय स्वीकृति 

जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत पिछले 2 वित्तीय वर्ष 2022-23 व 2023-24 में कुल 112 कार्यों की राशि रुपये 1922.85 लाख की तकनीकी स्वीकृति कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग जिला सीधी द्वारा बिना सक्षम अनुमति के जारी कर दी गई थी. दरअसल, कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति नियम के खिलाफ ग्राम पंचायत से मिलकर प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी कराया गया, जबकि उक्त कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी करने में सक्षम नहीं है.

बता दें कि मनरेगा अधिनियम के प्रावधान अनुरूप अन्य क्रियान्वयन एजेंसियों का निर्धारण जिले के कलेक्टर व मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को ही अधिकार प्राप्त है.

इस प्रकार ग्राम पंचायत व जल संसाधन विभाग द्वारा सक्षम स्वीकृति के बिना तकनीकी व प्रशासकीय स्वीकृत के 112 कार्यों में राशि रुपये 1922.85 लाख जारी की गयी थी और नियम विरूद्ध 1431.91 लाख रुपये का व्यय किया गया जो वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है. वहीं मामले का खुलासा होने के बाद इस घोटाले की जांच मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा कराया गया.

निर्माण कार्यों का पता नहीं और आहरित हो गई राशि

जिले के कुसमी विकासखंड अंतर्गत सहित विभिन्न क्षेत्रों में पक्के निर्माण कार्यों के नाम पर जमकर अनियमिता की गई है. मौके पर निर्माण कार्य आधे-अधूरे बने हुए हैं, लेकिन कागज पर कार्य पूर्ण है. ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव साठगांठ कर ऐसे कार्यों को स्वीकृत किया गया है. ऐसे में सास की राशि को पानी की तरह बहाया गया है. अब जब जांच पड़ताल शुरू हुई तो चारों तरफ हड़कंप मच गया है. बता दें कि इस घोटाले में ग्राम पंचायत सरपंच और सचिव शामिल है. वहीं मामले को सामने आने के बाद उनकी सांस फूलने लगी है.

कलेक्टर की स्वीकृति के बिना पैसों की हुई निकासी

सीधी जिले में मनरेगा को मजाक बना दिया गया है. जल संसाधन विभाग को मनरेगा के तहत कार्य करने की कोई अनुमति नहीं है. साथ ही प्रशासकीय स्वीकृत देने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है. ग्राम पंचायत में पीसीसी सड़क, निर्माण नाली, पुल पुलिया, स्टाप डेम, क्षचेक डैम, रिटर्निंग बाल व अन्य निर्माण कार्यों की स्वीकृति आदेश जारी किए गए हैं. खास बात ये है कि पहले विभाग द्वारा तकनीकी स्वीकृति दी गई और फिर उसमें कार्यपालन यंत्री संकट मोचन तिवारी द्वारा प्रसाशकीय स्वीकृति भी नियम विरुद्ध तरीके से जारी की गई.

दो वर्षों से चल रहा था फर्जीबाड़े का खेल

सीधी जिले में पिछले दो वर्षों से जारी खेल का आखिरकार पर्दाफाश हो गया. वहीं इस खुलासे में 14 करोड़ से अधिक की राशि का नियम विरुद्ध तरीके से भुगतान किया गया है. वहीं खुलासे के बाद लेखपाल को निलंबित कर दिया गया है और कार्यपालन मंत्री के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रस्ताव तैयार किया गया है. 

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