
MP News in Hindi : मध्य प्रदेश के ग्वालियर में किसानों के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है. सहकारिता विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने किसानों के नाम पर लाखों का कर्ज निकालकर उसे आपस में बांट लिया. हैरानी की बात यह है कि इस घोटाले में एक ऐसे किसान के नाम पर भी 31 हजार रुपये का कर्ज लिया गया, जिसकी मौत हो चुकी थी. ये मामला ग्वालियर के भितरवार इलाके की प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था बनवार का है. पांच किसानों के नाम पर लोन निकाला गया और गबन किया गया. किसानों ने सात महीने पहले इसकी शिकायत की थी लेकिन अफसरों ने इसे दबा दिया.
26 जून को ग्वालियर में प्रमुख सचिव की बैठक में जब यह मामला सामने आया तब कार्रवाई का आदेश दिया गया. फिर भी कोई कदम नहीं उठाया गया. जब हाल ही में भाजपा विधायक मोहन सिंह राठौड़ ने इस मुद्दे को संभागीय बैठक में जोरशोर से उठाया तो प्रमुख सचिव ने कड़ी फटकार लगाई. इसके बाद चार आरोपियों पर FIR दर्ज की गई.
जांच में हुआ खुलासा
इस मामले की जांच चार सदस्यीय टीम ने की. जांच में पता चला कि कुल 4 लाख 50 हजार 860 रुपये का गबन हुआ है. इसमें बनवार संस्था के पूर्व प्रबंधक बालकृष्ण चौबे, सहकारी बैंक शाखा आंतरी के पूर्व प्रबंधक हीरालाल साहू, पर्यवेक्षक गंगा सिंह ठाकुर और कैशियर भगवती प्रसाद पाराशर शामिल हैं. इन सभी के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.
कैसे हुआ घोटाला ?
मृतक किसान के नाम पर 31 हजार रुपये का कर्ज निकाला गया. चार किसानों का बकाया होने के बाद भी उसे छुपाया गया. 25 किसानों ने शिकायत की कि उन्होंने कोई लोन नहीं लिया, फिर भी उनके नाम पर नोटिस भेजा गया. फर्जी दस्तावेज और हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर गबन किया गया.
ये भी पढ़ें :
• वशीकरण के नाम पर गहने और कैश पार, बदमाशों ने महिला को ऐसे ठगा ! छानबीन शुरू
• Fraud : ये KCC क्या है ? किसानों के साथ हुआ 40 लाख का फ्रॉड ! बैंक मैनेजर पर FIR दर्ज
• बीमार किसान के साथ फर्जीवाड़ा, फेक बैंक खाता खोलकर निकाल लिए 386000 रुपये
अधिकारियों ने क्या कहा ?
एडिशनल कलेक्टर अंजू अरुण ने बताया कि शिकायतें सही पाई गईं. मृतक किसान के नाम पर लोन निकाले जाने का मामला भी सामने आया. इसके लिए शाखा प्रबंधक, पर्यवेक्षक और कैशियर को जिम्मेदार पाया गया. इनके खिलाफ पुलिस केस दर्ज किया गया है और विभागीय कार्रवाई भी की जा रही है. ASP निरंजन शर्मा ने कहा कि प्रशासन की जांच में गबन की पुष्टि हुई है. ये घोटाला 4 लाख 50 हजार रुपये से अधिक का है.
अब आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. संस्था से जुड़े सूत्रों के अनुसार, घोटाला और बड़ा हो सकता है. अभी 12-13 किसानों के फर्जी हस्ताक्षरों की जांच एक्सपर्ट से कराई जाएगी. ये भी संभव है कि एक और FIR दर्ज हो.