Supreme Court's Verdict on the Electoral Bond Scheme: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनावी बांड योजना (Electoral Bond Scheme) को अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन (violative of Article 19(1)(a) और असंवैधानिक (Unconstitutional) माना है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बैंक (Bank) तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एसबीआई (SBI) राजनीतिक दलों (Political parties) द्वारा लिए गए चुनावी बांड का ब्योरा पेश करेगा. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एसबीआई भारत के चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करेगा और ECI इन विवरणों को वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा. वहीं दूसरी ओर कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस (Congress Party) आक्रामक हो गई है. कांग्रेस ने इसको लेकर आरोप भी लगाए हैं.
आज माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इलेक्टोरल बॉन्ड पर एक महत्वपूर्ण फैसला आया है। 2017 में जब इलेक्टोरल बॉन्ड लाया गया था, तब से हमने इसका पुरजोर विरोध किया था।
— Congress (@INCIndia) February 15, 2024
हमारी आपत्तियां थीं-
- यह प्रक्रिया अपारदर्शी है।
- भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
- काला धन सफेद हो जाएगा।
- सारा… pic.twitter.com/ZA7PAgp0wD
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मोदी सरकार की 'चुनावी बॉन्ड योजना' को रद्द करने के सर्वसम्मत फैसले का स्वागत करती है।
— Congress (@INCIndia) February 15, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि चुनावी बॉन्ड योजना संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ ही भारत के संविधान का भी उल्लंघन कर रही है।
इस विषय… pic.twitter.com/TqJwSsPjoX
देश पर इलेक्टोरल बॉन्ड को थोपा गया : पवन खेड़ा
कांग्रेस की ओर से कहा गया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मोदी सरकार की 'चुनावी बॉन्ड योजना' को रद्द करने के सर्वसम्मत फैसले का स्वागत करती है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि चुनावी बॉन्ड योजना संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ ही भारत के संविधान का भी उल्लंघन कर रही है. इस विषय पर AICC मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सीधे-सीधे प्रधानमंत्री शामिल हैं. देश पर इलेक्टोरल बॉन्ड को थोपा गया. जबकि चुनाव आयोग, वित्त मंत्रालय और लॉ मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने विरोध किया था. आज प्रधानमंत्री और उनका भ्रष्टाचार बेनकाब हो गया है. प्रधानमंत्री ने मनी बिल लाकर इसे कानूनी जामा पहनाया था, ताकि विधायक खरीदे जा सकें, अपने मित्रों को कोयले की खदान, हवाई अड्डे दिए जा सकें.
पवन खेड़ा
पवन खेड़ा ने आगे कहा कि आज माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इलेक्टोरल बॉन्ड पर एक महत्वपूर्ण फैसला आया है. 2017 में जब इलेक्टोरल बॉन्ड लाया गया था, तब से हमने इसका पुरजोर विरोध किया था. हमारी आपत्तियां थीं-
- यह प्रक्रिया अपारदर्शी है.
- भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा.
- काला धन सफेद हो जाएगा.
- सारा लाभ सत्ता पक्ष को मिलेगा.
- इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और सत्ता पक्ष के बीच एक अनकहा-अनदेखा रिश्ता स्थापित हो जाएगा.
कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि आज यह बात साफ हो गई कि मोदी सरकार सिर्फ कमीशन, रिश्वतखोरी और काला धन छिपाने के लिए ही 'इलेक्टोरल बॉन्ड' लेकर आई थी. इलेक्टोरल बॉन्ड PM मोदी की 'भ्रष्टाचार बढ़ाओ नीति' की वो साजिश है, जो आज पूरे देश के सामने बेनकाब हो चुकी है. PM मोदी की ऐसी भ्रष्टाचारी नीतियां लोकतंत्र के लिए बेहद घातक हैं, देश के लिए खतरा हैं.
यह भी पढ़ें : MP पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का ऐलान: किसानों को लेकर जल्द सुनवाई नहीं हुई तो गांव-गांव होगा आंदोलन