Latest News in Hindi: मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) ने नौवें टाइगर रिजर्व की मंजूरी दे दी. यह टाइगर रिजर्व सतना में नहीं, बल्कि शिवपुरी (Shivpuri Tiger Reserve) में मंजूर किया गया है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से हरी झंडी मिलने के बाद सरकार ने नोटीफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी. लेकिन, सतना (Satna) जिले के प्रस्तावित सरभंगा टाइगर रिजर्व (Sarbhanga Tiger Reserve) का इंतजार लंबा होता जा रहा है. वर्ष 2016 में सरभंगा टाइगर रिजर्व की पहल हुई थी, लेकिन मंजूरी कब मिलेगी इसका कुछ कहा नहीं जा सकता है. इस संबंध में न तो विभागीय अधिकारी कुछ कहने को तैयार हैं और न ही राजनैतिक लोगों में उत्सुकता दिखाई दे रही है.
क्यों खास है सतना का प्रस्तावित सरभंगा टाइगर रिजर्व
सतना के मझगवां रेंज के सरभंगा चयनित क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण्य की सौगात देने फॉरेस्ट की 12 बीटों के लगभग 13 हजार 925 हेक्टेयर वन क्षेत्र को शामिल किया गया था. 2016 में तत्कालीन डीएफओ आरबी शर्मा ने सबसे पहले इसकी कार्ययोजना बनाई थी. वाइल्ड लाइफ की टीम स्थल का निरीक्षण कर चुकी है. ग्रास लैंड विकसित करने की योजना पर काम भी चला... लेकिन, आठ साल बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. मझगवां वन परिक्षेत्र के पौराणिक, धार्मिक एवं पुरातात्विक महत्व के सरभंगा वन क्षेत्र में बाघों की बढ़ती दिलचस्पी का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि मौजूदा समय में इस वनांचल में दो दर्जन से भी ज्यादा बाघों का मूवमेंट है.
पन्ना रिजर्व से भी आते-जाते रहते हैं बाघ
वन्य प्राणी मामलों के जानकारों की मानें, तो प्राकृतिक रहवास इतना अनुकूल है कि टाइगर रिजर्व पन्ना नेशनल पार्क के टाइगर और टाइग्रेस की आवाजाही भी इस क्षेत्र में निरंतर बनी रहती है. नेशनल पार्क से सरभंगा के जंगल नेचुरल कॉरीडोर का हिस्सा हैं. बताया जाता है कि वर्ष 2011 में पन्ना टाइगर रिजर्वसे आई टाइग्रेस पी-213 (22) ने पिछले साल यहां पर तीन शावकों को जन्म भी दिया था.
क्या खदानों ने रोक रखा है रास्ता?
सरभंगा सर्किल के 12 बीटों के 43 कम्पार्टमेंट के अंर्तगत 13 हजार से अधिक हेक्टेयर वन क्षेत्र में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के प्रस्ताव को मंजूरी देने में हो रही देरी को लेकर स्थानीय लोगों में चर्चा है कि क्या यहां की खदानों के चलते सरकार निर्णय लेने में असमंजस का सामना कर रही है. सच चाहे जो भी हो, लेकिन अब एक बार फिर सरभंगा टाइगर रिजर्व चर्चा के केन्द्र में आ चुका है.
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महापौर ने की थी पहल
यहां के महापौर योगेश ताम्रकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर टाइगर रिजर्व की मांग रखी थी. उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया है कि चित्रकूट में प्रभु राम ने अपना वनवास बिताया. नाना जी देशमुख एकात्म मानववाद के शिल्पकार ने कई प्रकल्प स्थापित किए. यह क्षेत्र बाघों के लिए अत्यंत अनुकूल है. यहां के वन परिक्षेत्रों में टाईगर के अलावा सांभर, चीतल, हिरण, भालू, तेंदुआ, साही, नीलगाय, जंगली सुअर और अन्य प्रकार के जंगली जानवर व हजारों प्रकार के पक्षी बहुतायत में हैं. यहां दुर्लभ जड़ी-बूटी भी उपलब्ध हैं.
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