
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के सतना जिले के मझगवां तहसील की ग्राम पंचायत भियामाऊ के ग्राम खेरवा में संचालित मेसर्स चित्रकूट क्रशिंग कार्पोरेशन खेरवा स्टोन माइन के खिलाफ ग्रामीणों ने गुरुवार को आयोजित जनसुनवाई में जोरदार विरोध जताया.
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयोजित इस सुनवाई में ग्रामीणों ने कहा कि पहले से चल रहे क्रेशर ने गांव का जीवन दूभर कर दिया है, अब दूसरी यूनिट शुरू होने पर हालात और खराब होंगे.
जनसुनवाई में पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि मौजूदा क्रशर से धूल का गुबार उठकर पूरे गांव को ढंक लेता है, जिससे सांस लेना कठिन हो जाता है. इससे दमा, श्वास व टीबी जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं. वहीं, हैवी ब्लास्टिंग के कारण खेतों और मकानों में बड़े पत्थर गिरने से हमेशा जान-माल का खतरा बना रहता है. किसानों ने कहा कि धूल की वजह से फसलें बर्बाद हो जाती हैं और उत्पादन घटकर लगभग शून्य हो गया है.
पानी की समस्या
ग्रामीणों ने विशेष रूप से पानी की समस्या पर भी चिंता जताई. उन्होंने बताया कि खनन कार्य से जलस्रोत सूख रहे हैं. कुएं-बावड़ी और नल–पनघट में पानी नदारद है, जिससे ग्रामीणों को दूर-दराज से पानी लाना पड़ रहा है. कंपनी ने 5.164 हैक्टेयर भूमि पर 2 लाख 50 हजार क्यूविक मीटर प्रतिवर्ष खनन की अनुमति मांगी है। इसके लिए ही जनसुनवाई बुलाई गई थी.
पगड़ी रखकर जताया विरोध
करीब दो सौ किसान मौके पर पहुंचे और जोरदार विरोध दर्ज कराया। इस दौरान एक किसान ने अपनी पगड़ी उतारकर एसडीएम महिपाल सिंह गुर्जर के सामने रखते हुए कहा – “साहब, कोई हमारी सुनता नहीं. नियम विरुद्ध चल रही क्रशर इकाई को बंद कराइए और नई स्वीकृति न दें.”
पटवारी से दस्तावेज तलब
एसडीएम ने हल्का पटवारी से खनन और क्रशर संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए और ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि पर्यावरण और जनहित को देखते हुए उचित निर्णय लिया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस परियोजना को मंजूरी दी गई, तो उनका जीवन पूरी तरह संकट में पड़ जाएगा. इसलिए उन्होंने प्रशासन से खनन और क्रशर पर तुरंत रोक लगाने की मांग की.
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