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30 दिन,140 लोगों की टीम और 25 लाख रु. के खर्चे के बाद ऐसे पकड़ में आया रॉयल टाइगर,रिजर्व से पहुंचे हाथी..

Royal tiger Rescue: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रायसेन (Raisen) में 30 दिन की तलाश के बाद आखिरकार वन विभाग के हत्थे रॉयल टाइगर (Royal tiger) चढ़ गया है, 140 लोगों की टीम ने कड़ी मेहनत कर पकड़ा है. 30 दिन में वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए 25 लाख रुपये खर्च किये. साथ ही कान्हा और पन्ना टाइगर रिजर्व से पांच हाथियों के समूह को बुलाया गया था.

30 दिन,140 लोगों की टीम और 25 लाख रु. के खर्चे के बाद ऐसे पकड़ में आया रॉयल टाइगर,रिजर्व से पहुंचे हाथी..
30 दिन,140 लोगों की टीम और 25 लाख के खर्चे बाद ऐसे पकड़ में आया रॉयल टाइगर

Royal tiger Rescue In Raisen: एमपी (Madhya Pradesh) के रायसेन (Raisen) में एक माह पहले तेंदूपत्ता तोड़ने गए मनीराम जाटव का शिकार करने वाले रॉयल टाइगर (Royal tiger) को आखिरकार वन विभाग की टीम ने 30 दिन की कड़ी खोजबीन के बाद पकड़ लिया है. रॉयल टाइगर को पकड़ने के लिए कान्हा और पन्ना टाइगर रिजर्व से पांच हाथियों के समूह को बुलाया गया था. साथ ही इन पांच हाथियों के साथ 140 लोगों की टीम भी बाघ की तलाश जंगलों में कर रही थी. बाघ को पकड़ने में वन विभाग ने लगभग 25 लाख रुपये खर्च कर दिए थे, टाइगर वन विभाग की टीम को चकमा देकर हर बार निकल जाता था. इस बीच वन विभाग की टीम ने गुरुवार को बाघ को पकड़ने में बड़ी सफलता प्राप्त की है. वन मंडल अधिकारी विजय कुमार ने अपनी टीम को इसका श्रेय देते हुए बाघ को कैसे पकड़ा गया उसकी जानकारी साझा की..

टाइगर सहित टीम को नुकसान नहीं

140 लोगों की टीम ने कड़ी मेहनत कर पकड़ा है.

140 लोगों की टीम ने कड़ी मेहनत कर पकड़ा है.

डीएफओ विजय कुमार ने बताया कि रायसेन वन मंडल का स्टॉप, पन्ना, कान्हा टाइगर रिजर्व, वन विहार, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की टीम के साथ कुछ एनजीओ ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन में सहयोग किया है. बाघ को पकड़ने का ये अभियान 30 दिन तक चलता रहा. आज सफल रेस्क्यू किया गया है. खास बात ये है कि ऑपरेशन में टाइगर सहित टीम को नुकसान भी नहीं हुआ है. 150 कैमरे से निगरानी कर रहे थे. सुबह 4:00 बजे से मॉनिटरिंग शुरू कर देते थे. 10 दिन में तीन बार बाघ से आमना-सामना हुआ. इसके बाद चौथी बार में रेस्क्यू करने में सफल हुए.

आसपास के लोगों को दिया संदेश

DFO रायसेन ने स्थानीय लोगों से अपील की और कहा कि इतिहास गवाह है कि जंगलों में हमेशा से बाघ एवं अन्य वन्य प्राणी रहे हैं, यहां पर बाघ हैं और आएंगे भी.लेकिन बस हमें कुछ सावधानियां रखनी है. खुद सुरक्षित रखना है, उनको भी सुरक्षित रहने देना है. 

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ये आदमखोर नहीं रॉयल टाइगर है

टाइगर वन विभाग की टीम को चकमा देकर निकल जाता था.

टाइगर वन विभाग की टीम को चकमा देकर निकल जाता था.

DFO  रायसेन ने कहा कि ये टाइगर शहर को दो-तीन बार क्रॉस कर चुका है, रॉयल टाइगर के नाम से जाना जाता है. मृतक मनीराम वाले पूरे केस को इन्वेस्टिगेट किया गया.ये आदमखोर बाघ नहीं है, वह एक दुर्घटना थी. बाघ गर्मी में ठंडक के कारण नाले में आराम करता था, वह समय एक ऐसा रहा जहां आराम के समय मनीराम जाटव पहुंच गए. बाघ को खतरा महसूस हुआ तो उसने अटैक कर दिया. दुर्घटना बस ऐसा हुआ. डॉक्टर एवं वरिष्ठ की टीम ने इसको सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में भेजा है. जहां 7 दिन रखेंगे. वहां पर देख-रेख की जाएगी. हेल्थ का भी ध्यान रखा जाएगा. इसके बाद सब ठीक रहेगा तो इसको खुले जंगल सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया जाएगा.

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