Latest News in Hindi: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में राजस्व महाअभियान 3.0 (Rajaswa Mahabhiyan) में जारी निर्देशों के बाद भी अमले की उदासीनता किसानों पर भारी पड़ रही है. आलम यह है कि सरकार ने गेहूं के पंजीयन की प्रक्रिया (Registration Process for Wheat) तो शुरू कर दी है, लेकिन गिरदावरी के अभाव में विंध्य क्षेत्र के जिलों में पंजीयन का काम रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है. जिलों की चिंताजनक स्थिति से खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण संचालनालय बेहद नाराज है. आयुक्त कर्मवीर शर्मा ने फसलों की गिरदावरी समय पर करने के निर्देश दिए हैं, जिससे अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें. आइए आपको पूरे मामले की जानकारी देते हैं.
उत्पादन बंपर, लेकिन हालत खस्ता
फसल गिरदावरी और किसान पंजीयन के मामले में यूं तो पूरे एमपी में एक जैसे ही हालात हैं, लेकिन सबसे चिंताजनक स्थिति विंध्य क्षेत्र की है. यहां गेहूं का बंपर उत्पादन होता रहा है. यहां के किसान पंजीयन के पुराने आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि समर्थन मूल्य पर विक्रय करने को किसान अधिक तवज्जो देते हैं. लेकिन, इस साल राजस्व विभाग में अभी तक फसलों की गिरदावरी नहीं की गई है. इससे पूरे विंध्य में किसान पंजीयन का आंकड़ा कम है. लगभग दस दिन पहले पंजीयन की प्रक्रिया शुरू हो गई थी लेकिन सतना में मात्र दो और मैहर में शून्य पंजीयन दिखाई दे रही है.
सतना में सबसे ज्यादा होता है पंजीयन
पूरे विंध्य क्षेत्र पर नजर डालें, तो सतना एक मात्र ऐसा जिला है, जहां सबसे अधिक किसान गेहूं विक्रय के लिए पंजीयन कराते हैं. पिछले सत्र में गेहूं विक्रय के लिए 66188 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. जिले में एक लाख 31 हजार 704 हेक्टेयर का पंजीयन हुआ था. जबकि, इस साल आंकड़ा मात्र एक एकड़ का ही है. वहीं, डिजिटल क्रॉप सर्वे के अनुसार 517353.5 हेक्टेयर भूमि है. जबकि, 43628.6 हेक्टेयर की गिरदावरी की गई है. यह कुल भूमि का मात्र आठ प्रतिशत ही है.
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11 दिन में मात्र 33 हजार पंजीयन
यदि पूरे प्रदेश की बात करें, तो यहां करीब 15 लाख से अधिक किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने का रजिस्ट्रेशन कराते हैं. जबकि, अभी तक के कुल 11 दिन की प्रक्रिया में मात्र 33 हजार किसानों का पंजीयन हो पाया है. यूं तो रजिस्ट्रेशन का समय 31 मार्च 2025 तक है, लेकिन हर रोज किसानों को भटकाव का सामना करना पड़ता है. अगर फसल की गिरदावरी होती, तो पूरे प्रदेश में किसानों को बार-बार पंजीयन के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता.
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