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'बार-बार चयन प्रक्रिया अन्यायपूर्ण...' MP में संविदा शिक्षकों की बड़ी जीत, हाई कोर्ट ने 3386 टीचर के पक्ष में सुनाया फैसला

Big relief to teachers appointed on contract in MP: जबलपुर हाई कोर्ट ने संविदा शिक्षकों की नियुक्ति समाप्ति पर सुनवाई करते हुए कहा कि बार-बार चयन प्रक्रिया कराना अनुचित और अन्यायपूर्ण है और नए सिरे से चयन प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए.

'बार-बार चयन प्रक्रिया अन्यायपूर्ण...' MP में संविदा शिक्षकों की बड़ी जीत, हाई कोर्ट ने 3386 टीचर के पक्ष में सुनाया फैसला

Madhya Pradesh Contract Teachers: मध्य प्रदेश के संविदा शिक्षकों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दरअसल, 3386 संविदा शिक्षकों की सेवाएं अचानक समाप्त करने के मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने ये फैसला संविदा शिक्षकों के हित में सुनाया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रशिक्षकों ने न्यायालय का आभार व्यक्त किया.

जानें क्या है पूरा मामला

मामला तब शुरू हुआ जब लोक शिक्षण संचालनालय ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों की सेवाएं 31 मई, 2024 को अचानक समाप्त कर दी. इतना ही नहीं इसके बाद नए VTPs के साथ अनुबंध पर जुलाई 2024 में नए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई. यह स्थिति 2021 में भी उत्पन्न हुई थी, जिसके खिलाफ शिक्षकों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. तब उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि एक अनुबंधित कर्मचारी को दूसरे अनुबंधित कर्मचारी से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता.

नई नियुक्तियों को स्थगित करने के लिए आदेश जारी

संविदा शिक्षकों की सेवाएं समाप्त होने के बाद नवीन व्यावसायिक शिक्षा-प्रशिक्षक महासंघ (NVETA) ने वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर माध्यम से याचिका दायर की. उच्च न्यायालय ने इस बार भी प्रशिक्षकों के हित में फैसला सुनाते हुए नई भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी. जब लोक शिक्षण संचालनालय ने इस आदेश की अवहेलना की तो शशांक शेखर ने अवमानना का नोटिस भेजा जिसके बाद संचालनालय को नई नियुक्तियों को स्थगित करने के आदेश जारी करने पड़े.

सुनवाई के दौरान लोक शिक्षण संचालनालय ने प्रशिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाए, लेकिन न्यायालय ने पाया कि अधिकांश प्रशिक्षक आवश्यक योग्यता पूरी कर रहे थे.  न्यायालय ने कहा कि बार-बार चयन प्रक्रिया कराना अनुचित और अन्यायपूर्ण है.

कोर्ट ने सुनाया ये फैसला 

न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रशिक्षकों को उनके अनुभव और योग्यता के आधार पर बनाए रखना चाहिए और नए सिरे से चयन प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने राज्य द्वारा योग्यता मानदंडों में अनावश्यक परिवर्तन की आलोचना की और प्रशिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए राज्य को निर्देश दिए.

व्यावसायिक प्रशिक्षकों की बड़ी जीत

यह फैसला न केवल व्यावसायिक प्रशिक्षकों के लिए बड़ी जीत है, बल्कि यह नई शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को पूरा करने में भी मददगार साबित होगा. अगर शासन-प्रशासन प्रशिक्षकों के हितों का ध्यान रखता है तो ये प्रशिक्षक नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे. इस निर्णय ने मप्र के व्यावसायिक प्रशिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.

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