Ratan tata Death News: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scidia) ने उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) के निधन पर बड़ी ही मार्मिक श्रद्धांजलि दी . उन्होंने कहा कि उनसे मेरे परिवार के सम्बंध कई पीढ़ियों से चले आ रहे थे. मेरे बेटे महान आर्यमन से भी उनकी नजदीकी थी और वे हमेशा मार्गदर्शन करते थे . आज दिल्ली से आते समय प्लेन में मोबाइल पर रतन जी का नम्बर अचानक सामने आया, तो सोचकर दुखी हो गया कि अब हम कभी उनसे बात नहीं कर सकेंगे.
ग्वालियर पहुंचे सिंधिया ने कहा कि रतन टाटा का जाना देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है. एक ऐसे सपूत को भारत माता ने खो दिया है, जिस सपूत ने अपनी दृढ़ता के साथ, संकल्प और अपनी क्षमता के साथ न केवल टाटा समूह का नाम विश्व भर में रौशन किया, बल्कि भारत के तिरंगे का मान भी दुनियाभर में बढ़ाया. सिंधिया कहा कि रतन टाटा वास्तविक रूप में टाइटन थे. बहुत कम लोगों में ये क्षमता होती है कि पूर्ण इच्छाशक्ति के साथ वो रिस्क ले सकें. शायद उनको ये क्षमता अपने खून और विरासत में मिली थी. यही क्षमता सर जमशेद जी टाटा का था, जब उन्होंने टाटा स्टील को स्थापित किया.
The end of an era! Shri Ratan Tata set a new paradigm in leadership that espoused the values of integrity and compassion. Indeed, he has left an indelible mark in the world of business, and the society at large. It was an honour to have known you.
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) October 9, 2024
My deepest condolences to his… pic.twitter.com/Iq7SbstDU5
टाटा परिवार से जुड़ी सिंधिया ने बताई ये कहानी
इस मौके पर सिंधिया ने यह भी बताया कि जमशेद जी के समय से ही माधव महाराज से उनका संबंध बना और टाटा स्टील की स्थापना में माधव महाराज ने अपना योगदान दिया. यही क्षमता उनके पुत्र जेआरडी टाटा में थी, जब आजादी के पहले 1942 में उन्होंने एयर इंडिया की शुरुआत की . हमारे आजी बा जीवाजी राव महाराज का सम्बंध उनसे रहा . आज़ादी के पहले एयर इंडिया को ग्वालियर में भी लेकर आये. वही क्षमता रतन टाटा जी में भी थी. उन्होंने कम्पनी को नई ऊंचाई तो दी ही, साथ ही आम आदमी के लिए सबसे सस्ती टाटा नैनो कार बनाने का विचार भी ले कर आए और उसे साकार किया. जैगुआर का अधिग्रहण से लेकर विश्व की सबसे बड़ी कम्पनी टीसीएस की स्थापना भी उन्होंने की, क्योंकि उनमें दूरदृष्टि थी, रिस्क लेने की क्षमता और कार्यकुशलता भी थी.
बोले- बहुत अच्छे इंसान थे
सिंधिया ने भावुक होकर कहा वे इन सबसे ऊपर बहुत अच्छे इंसान थे. मेरा स्वयं उनके साथ रिश्ता जब दस साल की उम्र में अपने पिता के साथ जाकर पहली बार उनसे मिला था और फिर यह सिलसिला चलता रहा. इस दौरान कई महत्वपूर्ण मुलाकातें हुईं . 2016 में हमने उनको सिंधिया स्कूल के वार्षिकोत्सव के मौके पर ग्वालियर आमंत्रित किया था. अस्सी साल की उम्र में जिस तरह से उन्होंने एक-एक बच्चे के साथ कनेक्ट किया, प्रदर्शनी में एक-एक डेस्क पर उन्होंने रुचि दिखाई. इसलिए, ये कहा जा सकता है कि वे एक पीढ़ी के इंसान नहीं थे, बल्कि वे कई पीढ़ियों के इंसान थे.
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इस मौके पर उन्होंने खुलासा किया कि दो साल पहले मुझे परिवार सहित मुंबई में उनके घर जाकर भोजन करने का मुझे अवसर मिला. सिंधिया परिवार की अगली पीढ़ी के साथ भी उनकी मुलाकात हुई और उससे उनका एक अलग ही रिश्ता मेरे पुत्र आर्यमन के साथ भी रहा . सिंधिया ने कहा कि उनका जाना देश की क्षति तो है ही, मेरे लिए भी वह एक व्यक्तिगत क्षति भी है.