
Rahul Gandhi Speech in Parliament: पाहलगाम आतंकी हमले को लेकर लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "यह एक बर्बर और निर्दयी हमला था. लोगों को ठंडे खून से मारा गया. और इस सदन में मौजूद हर व्यक्ति ने पाकिस्तान की निंदा की. ऑपरेशन सिंदूर से पहले ही हमने कहा था कि हम सरकार के साथ चट्टान की तरह खड़े रहेंगे.”
राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष ने एकजुट होकर यह तय किया था कि देश की सेना और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए, "लेकिन सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति कहीं नजर नहीं आई.”
"1971 से तुलना लेकिन राजनीतिक दृढ़ता कहां थी?"
उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उस तुलना पर सवाल उठाया जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को 1971 की लड़ाई जैसा बताया. राहुल गांधी ने कहा, “1971 में राजनीतिक इच्छाशक्ति थी, निर्णायक नेतृत्व था. आज के हालात में केवल रणनीति नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति की भी कमी साफ दिखी.”
"30 मिनट में आत्मसमर्पण जैसा था पूरा ऑपरेशन"
राहुल गांधी ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, “राजनाथ सिंह ने खुद बताया कि ऑपरेशन सिंदूर रात 1:05 बजे शुरू हुआ और 22 मिनट चला. 1:35 बजे भारत ने पाकिस्तान से संपर्क कर कहा कि हमने केवल गैर-सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है और युद्ध बढ़ाना नहीं चाहते.” उन्होंने इसे "30 मिनट में तत्काल आत्मसमर्पण" बताते हुए पूछा, "क्या सरकार ने पहले ही तय कर लिया था कि हम पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाएंगे? क्या यह हमारे लड़ाकू विमानों को जानबूझकर कमजोर स्थिति में भेजने जैसा नहीं था?”
"राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, ट्रंप ने खुद 29 बार कहा– मैंने युद्धविराम कराया"
राहुल गांधी ने कहा, “सरकार ने पाकिस्तान को साफ संकेत दिया कि हम कोई सैन्य हमला नहीं करेंगे. इसका नतीजा ये हुआ कि हमारे विमान खोए गए, क्योंकि सरकार ने सीमाएं बांध दी थीं. ट्रंप ने 29 बार कहा कि उन्होंने युद्धविराम कराया. अगर प्रधानमंत्री में हिम्मत है तो यहां खड़े होकर कहें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं."
"हमें पाकिस्तान के बराबर बताया गया, प्रधानमंत्री चुप क्यों?"
राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर भी निशाना साधा और कहा, “वो कहते हैं कि सभी देशों ने आतंकवाद की निंदा की, लेकिन ये नहीं कहा कि किसी ने पाकिस्तान की निंदा की. इसका मतलब है कि हमें पाकिस्तान के बराबर समझा गया." उन्होंने आगे कहा, “जब भारत का प्रतिनिधिमंडल दुनिया भर में आतंकवाद पर बात कर रहा था, तब पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनिर अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ लंच कर रहे थे. और हमारे प्रधानमंत्री चुप थे.”
"शेर को छोड़ना है, तो पूरी ताकत से छोड़िए"
राहुल गांधी ने सरकार की रणनीति को कमजोर बताते हुए कहा कि सेना को केवल राष्ट्रीय हित में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अगर आप शेर को छोड़ना चाहते हैं, तो उसे पूरी ताकत से छोड़िए. आधे-अधूरे मन से युद्ध में भेजना न सेना के साथ न्याय है, न देश के साथ. इसके बाद उन्होंने पूछा कि क्या सिर्फ 22 मिनट की कार्रवाई और फिर पाकिस्तान को फोन कर बताना कि हम सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं करेंगे, क्या यह राष्ट्र की रक्षा के लिए पर्याप्त है?
"चीन का नाम तक नहीं लिया गया"
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने पूरे बयान में चीन का जिक्र तक नहीं किया, जबकि आज भारत को पाकिस्तान और चीन के मिलेजुले खतरे का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि अब हमारे सामने एक नई सच्चाई है कि चीन-पाकिस्तान फ्यूजन. अगर सरकार इसे नहीं समझती है, तो वह देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही है.