Jabalpur News: आदिवासी परिवारों का हल्ला बोल, जिला प्रशासन से क्यों खफा हैं ट्राइबल्स?

MP News: इससे पहले जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के हजारों आदिवासियों ने लोकसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था. इनका कहना था कि उनकी जमीन को प्रशासन ने औद्योगिक विभाग को सौंप दिया है. इस जमीन पर वे तीन पीढ़ियों से खेती करते आ रहे हैं.

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Protest News: जबलपुर (Jabalpur) के सिहोरा (Sihora) से लगे हरगढ़ में रहने वाले सैकड़ों आदिवासी परिवार (Tribal Family) इन दिनों अपनी जमीन का पट्टा जिला प्रशासन द्वारा रद्द किए जाने से खासे परेशान नजर आ रहे हैं और अपनी जमीन का हक पाने सैकड़ों आदिवासी महिला औऱ पुरुषों ने अब मोर्चा खोलते हुए जबलपुर के मालगोदाम चौराहे पर स्थित अमर शहीद राजा शंकरशाह कुंवर रघुनाथशाह की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ कर चेतावनी दे रहे है. अगर जल्द ही उन्हें उनके हक की जमीन का पट्टा वापस नहीं दिया गया तो वह सभी भोपाल (Bhopal) और दिल्ली (Delhi) का अपने परिवार के साथ सफर तय कर मुख्यमंत्री (Chief Minister) से लेकर प्रधानमंत्री (Prime Minister) तक इसकी शिकायत दर्ज करवाएंगे.

आदिवासी उत्थान महासंघ की मांग 

जिला जबलपुर की तहसील सिहोरा के अंतर्गत ग्राम पंचायत हरगढ़ में ग्राम सभा को संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों के  पटवारी हल्का नंबर 04 राजस्व निरीक्षण मंडल खितोला खसरा नंबर 151/25 रकवा लगभग 43 एकड़ भूमि पर आदिवासी ग्रामीण जनों को कृषि कार्य के लिए भूमि प्रदान की गई है. जिस पर सन 1980 से उस भूमि पर कृषि कार्य करके अपने परिवार का भरण पोषण किया जाता आ रहा है.

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आदिवासी उत्थान महासंघ का कहना है कि पिछले 60 सालों से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर यहाँ खेती किसानी कर रहे हैं, जिसका ग्रामीण इसका लगान भी देते आ रहे है. पहले यह जमीन बंजर थी. हमारे पूर्वजों ने इसे उपजाऊ बनाया. आज जमीन हमसे छुड़ाकर उद्योग विभाग को दे दी. हम पूछना चाहते हैं देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से कि जब हमने बंजर जमीनर को उपजाऊ बनाया है तो हमसे आखिर क्यों छुड़ा रहे हैं.

खेतिहरों द्वारा इसके एवज में मध्य प्रदेश राजस्व विभाग को भूमि लगान शुल्क भी निरंतर चुकाया जा रहा है. लेकिन सन 2012 में उक्त भूमि को मध्य प्रदेश शासन के द्वारा औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाने हेतु घोषित कर दी उक्त भूमि पर वर्षों से कृषि कार्य कर रहे आदिदासियों को बेदखल करके उन्हें बेरोजगार कर दिया गया हैं जिससे आज उनके समक्ष भुखमरी जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। अभी तक शासन प्रशासन से कोई भी निराकरण प्राप्त नहीं हुआ है अतः आपसे आग्रह है कि उक्त भूमि से बेदखल हुए आदिवासियों को वैधानिक मालिकाना ह प्रदान करे या मुआवजा स्वरूप अन्यत्र भूमि प्रदान करने की कृपा करें.

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