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एक पैर से दिव्यांग दुर्गादास यादव के पास है अनोखी तैराकी कला, देखकर आप भी रह जाएंगे दंग

Differently Abled Swimmer: निवाड़ी के रहने वाले दुर्गादास यादव की तैराकी की कला देखकर किसी को भी हैरत हो सकती है. खासतौर से ये जानने के बाद कि वे एक पैर से दिव्यांग है. इनके मजबूत हौसले ही इनकी सबसे बड़ी ताकत है. आइए आपको इनके बारे में बताते हैं.

एक पैर से दिव्यांग दुर्गादास यादव के पास है अनोखी तैराकी कला, देखकर आप भी रह जाएंगे दंग
दिव्यांग तैराक की कला ने सबको किया हैरान

MP News in Hindi: कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी कमी आपकी सफलता की राह में रोड़ा नहीं बन सकती है... मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नीवाड़ी (Niwari) जिला के ओरछा के लाडपुरा गांव के रहने वाले दुर्गादास यादव ने इस कहावत को सच कर दिखाया है. बचपन से ही दिव्यांग होने के बावजूद दुर्गादास ने अपने तैराकी के जुनून को कभी मरने नहीं दिया. उनका एक पैर नहीं है, फिर भी वे घंटों तक पानी की सतह पर बिना डूबे रह सकते हैं... यह कला न केवल अद्भुत है, बल्कि कई लोगों के लिए प्रेरणादायक भी है.

तैराकी में महारत रखते हैं दु्र्गादास यादव

तैराकी में महारत रखते हैं दु्र्गादास यादव

बचपन से था शौक

दुर्गादास यादव को बचपन से ही तैराकी का शौक था. आमतौर पर तैराकी के लिए दोनों पैरों का होना जरूरी माना जाता है, लेकिन दुर्गादास ने इस धारणा को गलत साबित कर दिखाया है. उन्होंने अपने संतुलन और शारीरिक क्षमता को इतना मजबूत कर लिया कि वे बिना किसी सहारे के घंटों पानी में रह सकते हैं. यह कला उन्होंने बिना किसी प्रशिक्षक के खुद सीखी और अब उनकी यह प्रतिभा गांव में चर्चा का विषय बन चुकी है. दुर्गा पेशे से टेलर का काम करते हैं. 

अपनी कमजोरी को बनाई अपनी ताकत

अपनी कमजोरी को बनाई अपनी ताकत

कमजोरी को बना लिया अपनी ताकत

कई लोग शारीरिक कमी को अपनी कमजोरी मानकर जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश ही नहीं करते, लेकिन दुर्गादास ने अपनी दिव्यांगता को अपनी ताकत बना लिया. एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने तैराकी में महारत हासिल की और अपनी इस कला से सभी को हैरान कर दिया. उनका कहना है कि अगर इंसान खुद पर भरोसा रखे और मेहनत करे, तो कोई भी कमी उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती.

गांव के लोगों के लिए प्रेरणा

लाडपुरा गांव में दुर्गादास यादव की तैराकी कला की खूब चर्चा हो रही है. गांव के लोग उन्हें देखकर प्रेरणा लेते हैं और उनका सम्मान करते हैं. उनकी इस प्रतिभा ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत और लगन से कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है. दुर्गादास अपने इस हुनर को और बेहतर बनाना चाहते हैं और भविष्य में इस कला के जरिए समाज में कुछ बड़ा करना चाहते हैं.

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मदद की अपील

दुर्गादास की इस अद्भुत प्रतिभा को देखकर स्थानीय लोग चाहते हैं कि प्रशासन और सरकार उनकी मदद करें. अगर उन्हें सरकारी स्तर पर किसी तैराकी प्रशिक्षण केंद्र में उचित मार्गदर्शन और सहायता मिले, तो वे और भी बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं.

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