Latest News in Hindi: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी (Dindori) जिले के बजाग तहसील के अंतर्गत कई गांव के ग्रामीण सात साल से सड़क बनने का सपना देख रहे थे, जो अब जाकर साकार हुआ है. अब सड़क बन जाने के बाद न सिर्फ ग्रामीण, बल्कि स्कूली छात्र-छात्राएं बेहद खुश नजर आ रहे हैं. स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को रोज जंगली ऊबड़खाबड़ पगडंडियों से पैदल चलकर और पहाड़ को पार करके स्कूल जाना पड़ता था. इसमें उन्हें बड़ी राहत मिली है.
पहाड़ और जंगल का रास्ता हुआ साफ
दरअसल, डिंडोरी जिले के अंगई और झनकी गांव के बीच बहुत बड़ा पहाड़ और जंगल था. इसके कारण यहां सड़क का निर्माण असंभव जैसा था. लेकिन, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना विभाग ने जंगल और पहाड़ को काटकर ऐसी जगह पर चमचमाती हुई सड़क बना दी है. इस सड़क के निर्माण में विभाग को करीब सात साल का लंबा वक्त लग गया और सड़क निर्माण के दौरान कई तरह की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा.
चार करोड़ 55 लाख की लागत से बनी सड़क
विभागीय अधिकारीयों के मुताबिक करीब चार किलोमीटर लंबी इस सड़क के निर्माण में चार करोड़ 55 लाख रुपये खर्च किये गए हैं, जिसमें सड़क के अलावा 11 पुल-पुलियों का निर्माण भी शामिल है. यह सड़क झनकी, मनकी, सारंगपुर, अंगई समेत अन्य गांव में रहने वाले सैंकड़ों ग्रामीण और स्कूली छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस सड़क के बन जाने से करंजिया एवं बजाग विकासखंड आपस में सीधे जुड़ गए हैं.
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ग्रामीणों ने जताया आभार
स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्हें रोजमर्रा के काम के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं और बाजार आदि के लिए बजाग तहसील जाना पड़ता है. इस सड़क के बन जाने से उन्हें काफी सहूलियत हो गई है. हायर सेकेंडरी झनकी के प्रिंसिपल सुशील नागेश्वर ने बताया कि करीब 50 छात्र अंगई समेत अन्य गांवों से पढ़ने के लिए दूसरी तरफ आते हैं और जब सड़क नहीं थी तब छात्र या तो काफी देर से स्कूल पहुंचते थे या फिर स्कूल ही नहीं पहुंच पाते थे.
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