![आगजनी की घटना से कैसे बचेगा भोपाल? फायर हाइड्रेंट की आठ साल के बाद भी नहीं हो सकी है टेस्टिंग आगजनी की घटना से कैसे बचेगा भोपाल? फायर हाइड्रेंट की आठ साल के बाद भी नहीं हो सकी है टेस्टिंग](https://c.ndtvimg.com/2024-02/a0efln7g_new-market_625x300_17_February_24.jpeg?downsize=773:435)
Fire Cases Bhopal: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कई बार भयानक आगजनी हो चुकी है, इसके बावजूद यहं आग से निपटने के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं. सरकार भी अनदेखी के अलावा कहीं-कहीं लोगों की लापरवाही भी इसके लिए जिम्मेदार है. कभी दमकल की गाड़ियां बेड़े से गायब होने की शिकायत मिलती हैं तो कई बार फायर हाइड्रेंट में नल का कनेक्शन ही नहीं होता है.
भोपाल के चौक बाजार में हो चुकी है आगजनी
राजधानी भोपाल का चौक बाजार 45 हेक्टेयर में फैला हुआ है, यहां 4500 से अधिक दुकानें हैं और 50 हज़ार लोग रोजाना खरीददारी करने आते हैं. यहां फायर हाइड्रेंट के ऊपर दुकानदार कपड़े बेच रहे हैं, यहां अगर कभी आग लग जाए तो ये फायर हाइड्रेंट यहां के लिए नाकाफी होगें. चौक बाजार में अलग-अलग स्थानों में 8 हाइड्रेंट मौजूद हैं, जो 22 लाख रूपए खर्च करके बनाएं गए हैं लेकिन हैरानी की बात ये है बाहर की पम्पिंग मशीनें और पाइप तो लगवाए गए हैं, लेकिन अंदर पानी की सप्लाई करने वाली लाइन ही नहीं दी गई है. इसीलिए 8 साल बाद भी अब तक इसकी टेस्टिंग नहीं हो सकी है.
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NDTV ने जब फायर ऑफिसर रामेश्वर नील से की बातचीत की
NDTV ने जब फायर ऑफिसर रामेश्वर नील से की बातचीत की तो उन्होंने बताया, 'फायर हाइड्रेंट लगे है, वो काम हमारे द्वारा नहीं किया गया है, जो हेरिटेज का काम कर रहे थे उन्होंने किया है, मुझे उसकी कोई जानकारी नहीं है. हमसे कोई भी सलाह मशवरा नहीं लिया गया है. उस समय जो एई या अन्य अधिकारी थे उन्होंने ये काम किए थे, मुझे तो इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है.'
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जल चुका है भोपाल के सतपुड़ा भवन
12 जून 2023, शाम 4 बज रहे थे, राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन में लोग आम दिनों की तरह काम कर रहे थे, अधिकारियों और कर्मचारियों के आने जाने का सिलसिला शुरू था और फिर एक अधिकारी के चैम्बर में चिंगारी भड़की, और देखते-देखते ही वो चिंगारी इतनी विकराल हो गई कि पूरी बिल्डिंग को अपनी आग़ोश में ले लिया, जिसे बुझाने में 14 घंटे लग गए थे,
सतपुड़ा भवन से महज़ चंद कदम की दूरी पर था मुख्यमंत्री सचिवालय, जहां पर जिम्मेदार बैठकर बड़ी-बड़ी मीटिंग करते हैं, यहां योजनाएं बनती है जिनका क्रियान्वन होता है लेकिन अब तक आग को लेकर कुछ भी नहीं हो पाया है.
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न्यू मार्केट के बेसमेंट में भी दहकी थी भीषण आग
न्यू मार्किट का बेसमेंट कुछ साल पहले यहां आग लगी थी और पूरा इलाका धुंआ-धुंआ हो गया था, यहां सैकड़ों दुकाने हैं, गालियां इतनी तंग है कि यहां दो लोग एक साथ नहीं निकल सकते हैं. लेकिन यदि यहां कोई आगजनी की छोटी सी घटना हो जाती है तो बड़ा हादसा देखने को मिल सकता है. यहां पर किसी भी तरह के सुरक्षा के इंतजाम नहीं है.
आपको बता दें, मध्यप्रदेश में आगजनी की घटनाएं जब भी होती है, उसके बाद प्रशासन दिखावी तौर पर एक्शन लेता है, लेकिन जैसे-जैसे ये आग ठंडी होती है, वैसे-वैसे ही ये नियम कानून भी ठंडे होते जाते हैं.