
Bhopal Rape case: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (BHopal) के निजी कॉलेज की छात्राओं के साथ रेप, गैंगरेप (Gangrape) , ब्लैकमेलिंग (Blackmaling) और धर्म परिवर्तन (Conservion) के लिए दबाव बनाने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh Highcourt) में एक रिट याचिका दायर की गई है.
इस याचिका में कथित तौर पर भोपाल रेप और ब्लैकमेलिंग मामले की साम्प्रदायिक रूप से भड़काऊ कवरजे करने का आरोप लगाया गया है. इसमें प्रदेश के दो बड़े समाचार पत्रों के नाम हैं. भोपाल के एक मुस्लिम निवासी ने यह याचिका लगाई है और दोनों समाचार पत्र के सम्पादकों पर कार्रवाई की मांग की है.
पूरे मुस्लिम समाज को टारगेट करने लगाया आरोप
याचिकाकर्ता का दावा है कि उन्होंने 30 अप्रैल को ऐशबाग थाने में मीडिया कवरेज के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन आरोप है कि कोई कार्रवाई नहीं की गई. थाने में दी गई इस शिकायती आवेदन में कहा गया है कि 'लव जिहाद' जैसे शब्द का इस्तेमाल अपराध के संदर्भ में किया जा रहा है, लेकिन लव जिहाद न कोई अपराध है और न ही लव जिहाद की कोई कानूनी परिभाषा है. न ही ये आज के दिन तक किसी कानून में दर्ज है, जिसे अपराध के तौर पर प्रचारित कर समस्त मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है.
मुहिम को बताया आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा
याचिकाकर्ता का दावा है कि इससे मुस्लिम समुदाय की बदनामी हुई है. कुरआन में जिहाद का अर्थ इंसाफ के लिए, अमन के लिए और अल्लाह की रजामंदी हासिल, करना है. लेकिन कुरआन में उल्लेखित जिहाद को दो अखबारों ने लव जिहाद के तौर पर पेश किया, जिसका कुरआन या किसी हदीस में कोई जिक्र नहीं है. ये देश के समुदायों को एक दूसरे के विरुद्ध भड़काने और गलत सूचना दे कर व इसे एक स्थापित कानून की तरह प्रचारित कर भारत के नागरिकों को गुमराह कर देश की एकता, अखंडता को भी नुकसान पहुंचाने के लिए आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा है.
लव जिहाद की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है
इस याचिका में कहा गया है कि देश में लव जिहाद की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है और न ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी या किसी और एजेंसी ने इसे मान्यता दी है और न ही किसी अपराध के तौर पर इसे परिभाषित किया गया है. इसके बावजूद अखबार और मीडिया की ओर से मनगढ़ंत समाचारों का प्रकाशन कर समाज में तनाव, द्वेष और दुर्भावना फैला जा रहा है.
सभी मुसलमानों पर आक्षेप लगाने का आरोप
याचिका में दोनों अखबारों में कई प्रकाशित खबरों और हेडलाईन्स को शामिल किया गया हैं, जिनमें दोनों मीडिया संगठनों पर बार-बार 'लव जिहाद' शब्द का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है. इस पूरे प्रकरण को सांप्रदायिक मुद्दे के रूप में पेश करने का आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि समाचार पत्रों की ओर से प्रकाशित और प्रसारित समाचारों के माध्यम से भोपाल स्थित निजी कॉलेज की छात्राओं के साथ हुए बलात्कार और अश्लीलता की घटना के लिए केवल आरोपियों तक सीमित रहने के बजाय सभी मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास किया जा रहा है.
धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के लिए बताया गंभीर खतरा
याचिका में यह अपील भी हाईकोर्ट से की गई है कि कोर्ट मीडिया को भविष्य में इस तरह के विभाजनकारी और भ्रामक कथनों को प्रकाशित करने से रोकने के लिए सख्त न्यायिक निर्देश जारी करे, क्योंकि यह मुद्दा न केवल एक समुदाय पर हमला है, बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के लिए भी यह एक गंभीर खतरा है.
संपादकों के खिलाफ एफआईआर की मांग
याचिकाकर्ता ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने का फैसला लिया है. उनके वकील दीपक बुंदेला ने बताया कि 'लव जिहाद' जैसा शब्द भारतीय कानून में इस्तेमाल में नहीं है. इस्लाम धर्म में जिहाद एक पवित्र शब्द है, जिसका कुरान में 41 मर्तबा उल्लेख हुआ है. यह कुरान में पॉजिटिव शब्द के तौर पर है. लिहाजा, हमने दोनों संपादकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है. मामले पर 19 जून तक सुनवाई होने की संभावना है.
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दरअसल, भोपाल के निजी कॉलेज की छात्राओं के साथ रेप, गैंगरेप, ब्लैकमेलिंग और कथित रूप से धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाने के मामले में अब तक 5 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जबकि एक आरोपी अब भी फरार है.
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