
Madhya Pradesh National Park News: मध्य प्रदेश के पेंच नेशनल पार्क (Pench National Park) में कर्नाटक से दिसंबर 2022 में पांच हाथी (Elephant) लाए गए थे. इन हथियों पर हर महीने 75 हजार रुपये केवल रोटियों पर खर्च हो रहे हैं. पांचों हाथियों से सर्चिंग समेत अन्य काम लेने के लिए इनको ट्रेनिंग दी जा रही है. यहां कुशल प्रशिक्षक हाथियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. पार्क प्रबंधन के अनुसार कर्नाटक के पांचों हाथी जल्द ही उपयोग में लाने के लिए तैयार हो जाएंगे. फिलहाल इन हाथियों की खास देखभाल की जा रही है.

पेंच नेशनल पार्क में कर्नाटक से लाए गए हाथी
एक हाथी खा रहा एक-एक किलो आटे की दस रोटी
पेंच में कर्नाटक से आए हाथियों को चुस्त रखने के लिए पार्क प्रबंधन खास ध्यान दे रहा है. इसके लिए प्रत्येक हाथी को एक दिन एक-एक किलो आटे की दस-दस रोटियां खिलाई जा रही हैं. एक हाथी दस किलो आटे की राेटियां खा रहा है. रोटी को स्वादिष्ट बनाने के लिए में उसमें नमक, तेल और गुड़ मिलाया जाता है. इस तरह एक हाथी पर राेटियों में करीब पांच सौ रुपये खर्च हाे रहा है. इस हिसाब से एक महीने में कर्नाटक से लाए गए पांच हाथियों पर करीब 75 हजार और एक साल में दस लाख रुपये के आसपास खर्च किया जा रहा है.

पेंच नेशनल पार्क
एक दिन में चाहिए 150 किलो भोजन
पेंच पार्क के अधिकारियों के अनुसार एक हाथी को एक दिन में डेढ़ सौ किलो भोजन की आवश्यकता होती है. हाथियों को भरपूर भोजन मिले इसके लिए उन्हें रात भर जंगल में पैरों पर लोहे की संकल बांधकर छोड़ा जा रहा है ताकि हाथी पेड़ पौधों की पत्तियां खा सकें. दूसरे दिन सुबह से हाथियों को ट्रेनिंग दी जाती है. एक दिन में 10 किलो आटे की स्वादिष्ट रोटियाें से हाथियों का पूरा पेट तो नहीं भरता, लेकिन महावत और हाथी के बीच अपनापन बना रहे और हाथी स्वस्थ रहें इसलिए उन्हें राेटियां खिलाई जा रही हैं.
मारुति और गणेश समेत अन्य हाथियों का कराया जाएगा मिलाप
पेंच के अधिकारियों के अनुसार कर्नाटक से आए पांचों हाथियों (लव, मारुति, जनरल करियप्पा, जनरल थिमैया और बाली) का पेंच टाइगर रिजर्व में पहले से मौजूद गणेश, सरस्वती, सेरोन, दामिनी और जंगबहादुर नामक हाथियों से मिलाया जाएगा. गर्मी के बाद जून या जुलाई माह में पेंच के हाथियों को मिलाया जा सकता है. नए व पुराने हाथियों को मिलाने के दौरान हाथियों के उग्र होने की संभावना रहती है इसलिए ट्रेनिंग के बाद उन्हें आपस में मिलाया जाएगा.
ये भी पढ़ें ** शंभू बॉर्डर: दिल्ली मार्च कर रहे किसानों पर फिर छोड़े गए आंसू गैस के गोले, 10 पॉइंट्स में समझिए पूरी कहानी
रेस्क्यू और सर्चिंग में होगा उपयोग
पार्क में पहले से मौजूद गणेश, सरस्वती, सेरोन, दामिनी और जंगबहादुर नामक हाथियों में से सरस्वती को अधिक उम्र होने के कारण रिटायर कर दिया गया है. जबकि अन्य हाथियों का उपयोग पेंच टाइगर रिजर्व में सर्चिंग व रेस्क्यू करने के लिए किया जा रहा है. वहीं कर्नाटक से आए लव, मारुति, जनरल करियप्पा, जनरल थिमैया और बाली नामक हाथियों का उपयोग भी सर्चिंग और रेस्क्यू के लिए किया जाएगा. इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग देकर पूरी तरह तैयार किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें :
** ₹5000 हजार करोड़ का नया कर्ज, जीतू पटवारी ने कहा-प्रदेश बन रहा कर्जदार, चुनावे वादे पर चुप BJP सरकार