पन्ना जिला मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित है. पन्ना जिला बुंदेलखंड का हिस्सा है. औरंगजेब की मृत्यु के बाद इस रियासत पर बुंदेला नरेश छत्रसाल ने राज किया और पन्ना को राजधानी बनाया. उस दौर के आसपास पन्ना को पर्णा कहा जाता था. 18वीं और 19वीं सदी के राजपत्रों में यही नाम अंकित मिलता है. ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से तो जिला प्रमुख है ही. हीरा और टाइगर रिजर्व के लिए भी जाना जाता है.
हीरे की चमक बढ़ाने की तैयारी
हीरे की खदानों वाले पन्ना के हीरे की चमक छुपाए नहीं छुपती. पन्ना के हीरे तो चमक के मामले में लाजवाब है. अब इस चमक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिखेरने की तैयारी है. पन्ना के हीरे को जीआई टैग मिल चुका है. जिसके बाद हीरे का कारोबार विदेशों तक बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. पन्ना की हीरा खदानों से पहले भी बेशकीमती और नायाब हीरे मिल चुके हैं. पन्ना की हीराधारित पट्टी 70 किमी लंबी है. जो मझगवां से लेकर पहाड़ीखेरा तक फैली हुई है.
हर साल निकलती है जगन्नाथ रथयात्रा
देश में निकलने वाली रथयात्राओं में सबसे पुरानी और बड़ी रथायात्राएं सिर्फ तीन मानी जाती हैं. उनमें से एक पन्ना जिले में रथयात्रा ही है. इस रथयात्रा की झलक पाने के लिए बड़ी भीड़ यहां जुटती है. इस रथयात्रा का हिसाब पन्ना में करीब 166 साल पुराना है. जिसे तत्कालीन महाराज किशोर सिंह ने शुरू किया था. जगन्नाथ रथयात्रा की तर्ज पर इस रथयात्रा में भी भगवान जगन्नाथ अपनी प्रिय बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ सैर पर निकलते हैं.जगन्नाथ रथयात्रा के अलावा शरद पूर्णिमा पर भी यहां बड़ा उत्सव होता है. जिसमें शिरकत करने दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं.
पन्ना टाइगर रिजर्व है इसकी पहचान
पन्ना भारत का 22वां और मध्य प्रदेश का पांचवां बाघ अभयारण्य है. ये रिज़र्व विंध्य पर्वतमाला में स्थित है और राज्य के उत्तर में पन्ना और छतरपुर जिलों तक फैला हुआ है. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया था. इसे 1994 में भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व घोषित किया था. यहां जंगली जीवों को देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. बाघ संरक्षण के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व को 25 अगस्त 2011 को यूनेस्को की 'वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व' सूची में शामिल किया गया है. इस समय 129 देशों में 714 बायो स्फेयर रिजर्व हैं.
अन्य पर्यटन स्थल
पन्ना आने वाले पर्यटक ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक तीनों तरह के स्थलों का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां चौमुखनाथ मंदिर, रामजानकी मंदिर, बृहस्पति कुंड, अजयगढ़ का किला, बलदेवजी मंदिर, जुगल किशोरजी का मंदिर, प्राणनाथ जी मंदिर और पांडव फॉल जैसे स्थान देखने लायक हैं.
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