Onion Price in Madhya Pradesh: सीहोर जिले के किसान प्याज के रिकॉर्ड निचले दामों से बुरी तरह टूट गए हैं, जिसका सीधा असर अब स्थानीय कृषि मंडी की आवक पर दिखने लगा है. प्याज का थोक मूल्य महज 50 पैसे से लेकर 3, 4 रुपये तक रह गया है. भाव गिर जाने से किसानों को मंडी तक फसल लाने का किराया-भाड़ा भी भारी पड़ रहा है, जिसके चलते मंडी में प्याज की आवक घटकर मात्र 800 रुपये कट्टी रह गई.
किसानों को लागत निकालना हुआ मुश्किल
बता दें कि किसान अपनी उपज लेकर मंडी आ रहे हैं, लेकिन उन्हें जो दाम मिल रहे हैं, वो उनकी मेहनत और लागत का मजाक उड़ा रहे हैं. पूर्णिया गांव के एक किसान को 40 किलो की एक कट्टी का दाम केवल 10 रुपये मिला. इतने कम दाम मिलने से किसान का ट्रैक्टर-ट्रॉली का भाड़ा भी नहीं निकल पाया. गुस्से में किसान ने अपनी पूरी 50 कट्टी प्याज मंडी परिसर के बाहर और सडक़ पर फेंक दी.
50 पैसे से लेकर 3 रुपये KG तक व्यापारी खरीद रहे किसान की प्याज
किसानों ने बताया कि क्या फायदा इतना दाम भी नहीं मिल रहा कि किराया भाड़ा निकल सके. यह हमारी मेहनत का अपमान है. बेचने से अच्छा है कि हम इसे यहीं फेंक दें.
किसानों का कहना है कि जब लागत भी नहीं निकल रही है तो वे फसल को मंडी तक लाकर और घाटा क्यों उठाएं. इसी कारण मंडी में प्याज की आवक तेजी से घटी है.
लागत निकली नहीं... हुआ घाटा
ग्राम फुलमोगरा के किसान जमशेद खान ने बताया कि एक एकड़ में प्याज की फसल लगाई थी. बीज, खाद, लाईट, डीजल, दवाई, मजदूरी करीब 50 हजार तक का खर्च हो गया. मंडी में दाम नही मिल रहे, लागत भी नही निकली अब प्याज की खेती में नुकसान है. किसान को एमएसपी मिलना चाहिए.
भावांतर योजना में शामिल करने की मांग
किसानों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. किसानों का कहना है कि सोयाबीन की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है और अब प्याज के दाम किसानों को आर्थिक संकट में डाल रहे हैं. उन्होंने सरकार से मांग की है कि प्याज को तत्काल भावांतर योजना में शामिल किया जाए.