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One Nation One Election पर शिवराज ने कांग्रेस को ये कह दिया, 15 पॉइंट्स में गिनाई विशेषताएं

One Nation One Election Bill : वन नेशन, वन इलेक्शन का बिल लोकसभा में पेश हो गया है. इस बीच केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. शिवराज ने इसे देश की आवश्यकता बताया है. जानें आर क्या कहा है...

One Nation One Election पर शिवराज ने कांग्रेस को ये कह दिया, 15 पॉइंट्स में गिनाई विशेषताएं
One Nation One Election पर शिवराज ने कांग्रेस को ये कह दिया, 15 पॉइंट्स में गिनाई विशेषताएं

One Nation One Election Bill introduced in Lok Sabha : केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर कहा कि, हमारे देश में बार-बार, पांचों साल होने वाले चुनावों से देश की प्रगति और विकास कार्य प्रभावित होते हैं. सभी राजनैतिक दल, हमेशा चलने वाले चुनाव में ही व्यस्त रहते हैं. चुनावों के चलते प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और सभी जनप्रतिनिधियों का समय भी नष्ट होता है और भारी भरकम खर्च भी होता है. शिवराज ने कहा कि, वन नेशन, वन इलेक्शन आज देश की आवश्यकता है.  मैं वन नेशन, वन इलेक्शन बिल के लिए पीएम मोदी को दिल से धन्यवाद देता हूं. वहीं, शिवराज सिंह ने कहा कि, आज वास्तव में समय आ गया है और जनता भी चाहती है कि, पांच साल में एक बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हो ताकि, साढ़े चार साल सभी राजनैतिक दल, देश के विकास और जनता के कल्याण के लिए काम करते रहें. 

आजादी के बाद कई वर्षों तक एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते रहे लेकिन कांग्रेस ने अपने स्वार्थ के लिए विधानसभाओं को भंग करना शुरू कर दिया.

शिवराज ने गिनाए ये फायदे

  1.  बार-बार होने वाले चुनावों से देश की प्रगति और विकास कार्य प्रभावित होते हैं.
  2.  एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते हैं तो बार बार आचार संहिता नहीं लगेगी, विकास कार्य निरंतर चलते रहेंगे.
  3.  प्रधानमंत्री जी की ऊर्जा और समय की बचत होगी. 
  4.  राजनैतिक दल 5 साल 12 माह हमेशा चुनावी मोड में रहते हैं, इसमें कमी आएगी.
  5.  मंत्री, मुख्यमंत्री एवं राजनेताओं का समय भी चुनाव की जगह विकास कार्यों एवं जनकल्याण में लग सकेगा.
  6.  एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने से नए लोगों को अवसर मिल सकेगा.
  7.  बार बार चुनाव के कारण लोक लुभावने वादों की प्रतिस्पर्धा भी समाप्त होगी.
  8. अगर लॉन्ग टर्म कोई पॉलिसी बनानी हो, बड़े फैसले लेना हो तो कई बार पार्टियां इसलिए डरती है कि, दूसरे राज्यों में चुनाव हैं तो उसमें नुकसान ना हो जाए. ये डर खत्म होगा.
  9.  मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग होते हैं, और जब चुनाव होते हैं तो चुनाव में खर्च भी होता है.  केवल चुनाव आयोग के माध्यम से चुनाव को संचालित करने का खर्चा नहीं होता है, राजनैतिक दल भी उम्मीदवार भी, पैसा खर्च करते हैं. इसमें कमी आएगी.
  10.  प्रशासनिक अधिकारी, सुरक्षा बल, डॉक्टर्स, शिक्षक एवं अन्य कर्मचारियों की बार बार चुनाव में लगने वाली ड्यूटी से मुक्ति मिलेगी।और वे अपने कार्य में निरंतरता रख पाएंगे.
  11.  जिन राज्यों में चुनाव नहीं होता, वहां भी दूसरे राज्यों के कार्यकर्ता, नेता जाते हैं और केवल राजनेता और कार्यकर्ता ही नहीं जाते हैं, ऑब्जर्वर बनकर दूसरे प्रदेशों अधिकारी भी वहां पहुंचते हैं तो उन राज्यों का भी कामकाज प्रभावित होता है
  12.  सुदूरवर्ती क्षेत्र, नक्सल क्षेत्रों में एक साथ चुनाव होने के कारण हमारे सुरक्षाबल बार बार होने वाली चुनावी प्रकियाओं से मुक्त होगें एवं सुरक्षाबलों की हानि भी कम हो सकेगी.
  13.  एक साथ चुनाव होने से इलेक्शन कमीशन और अधिक नवाचार कर पाएगा.
  14.  बार-बार चुनाव होने से मतदाताओं में भी उदासीनता देखने को मिलती रही है, हम इस समस्या से भी निजात पा सकेंगे.
  15.  कोड ऑफ़ कंडक्ट का सही से पालन होने के साथ-साथ चुनावी वैमनस्यता से मुक्ति मिलना, असामाजिक तत्वों पर रोक लगना, चुनावी तनाव कम होने जैसे कारक भी संभव हो सकेंगे.

कांग्रेस ने संवैधानिक नियमों का उलंघ्घन किया

केंद्रीय कृषि मंत्री ने दशकों तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, आजादी के बाद वर्ष 1951 से लेकर 1967 तक एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते रहे हैं.1967 तक एक साथ चुनाव हुआ करते थे. लेकिन अलग-अलग चुनाव करवाने का पाप भी कांग्रेस ने ही किया. चुनी हुई सरकारें भंग कर दो और अलग-अलग चुनाव होने दो, कपड़ों की तरह सरकारें बदलती रही, और इसलिए चुनाव अलग-अलग समय पर हो गए.

'विधानसभाओं को भंग करना शुरू कर दिया'

कांग्रेस ने अपने स्वार्थ के लिए और अपने हितों को साधने के लिए एक के बाद एक विधानसभाओं को भंग करना शुरू कर दिया और देश को बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रियाओं में उलझाकर रख दिया. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, कांग्रेस हमेशा से ही संवैधानिक नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करती रही है. साथ ही केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि, एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते हैं तो बार-बार आचार संहिता नहीं लगेगी और विकास कार्य निरंतर चलते रहेंगे. 

बार-बार होने वाले चुनाव देश की प्रगति में बाधा

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, हमारे देश में एक चीज़ लगातार चलती रहती है, पांचों साल बारह महीने अगले चुनाव की तैयारी. नवंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विधानसभा चुनाव हुए. चार महीने बाद लोकसभा के चुनाव हुए. वो चुनाव खत्म नहीं हुए कि, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव शुरू हो गए और अभी सांस भी नहीं ली कि, दिल्ली में उम्मीदवारों की घोषणा हो रही है और बिहार चुनाव की तैयारियां हो रही है. ये बार-बार होने वाला चुनाव देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बन गया है, ये विकास के लिए बाधा है. ये जनकल्याणकारी योजनाओं को रोकता है.

'नए लोगों को भी अवसर मिल सकेगा'

सारे नेता, चाहे प्रधानमंत्री जी हों, केंद्रीय मंत्री हों, राज्यों के मुख्यमंत्री हों, सांसद हो, विधायक हो, सभी चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं, जिन राज्यों में चुनाव नहीं होता, वहां भी दूसरे राज्यों के कार्यकर्ता, नेता जाते हैं और केवल राजनेता और कार्यकर्ता ही नहीं जाते हैं, ऑब्जर्वर बनकर दूसरे प्रदेशों के अधिकारी भी वहां पहुंचते हैं. एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने से नए लोगों को भी अवसर मिल सकेगा. बार-बार चुनाव के कारण लोक लुभावने वादों की प्रतिस्पर्धा भी समाप्त होगी.

समय की बचत

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राजनैतिक दल भी पांचों साल चुनावों में व्यस्त रहते हैं, इसमें कमी आएगी. मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक और राजनेताओं का समय भी बचेगा और उनका समय चुनाव की जगह विकास कार्यों में लग सकेगा. देश का और राजनैतिक पार्टियों का चुनाव खर्च भी कम होगा. वहीं उन्होंने कहा कि, प्रशासनिक अधिकारी, सुरक्षा बल, डॉक्टर्स, शिक्षक एवं अन्य कर्मचारियों की भी हमेशा होने चुनाव में बार-बार ड्यूटी लगाई जाती है, जिससे उनके कार्यों में भी बाधा आती है. एक साथ चुनाव कराने से इन अधिकारियों, कर्मचारियों को भी बार-बार चुनाव में लगने वाली ड्यूडी से मुक्ति मिलेगी. वहीं सुदूरवर्ती क्षेत्र, नक्‍सल क्षेत्रों में एक साथ चुनाव होने के कारण हमारे सुरक्षाबल बार-बार होने वाली चुनावी प्रक्रिया से मुक्त होगें और सुरक्षाबलों की हानि भी कम हो सकेगी.

मतदाताओं की भागीदारी बढ़ेगी

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, बार-बार चुनाव होने से मतदाताओं में भी उदासीनता देखने को मिलती रही है, जिससे मतदान का प्रतिशत भी कम होता है. एक साथ चुनाव होने से इस समस्या से भी निजात मिल सकेगी. एक साथ चुनाव कराने से मतदाताओं की भागीदारी बढ़ेगी, क्योंकि उन्हें एक ही बार में अपने सभी प्रतिनिधियों का चयन करने का अवसर मिलेगा. वहीं, वन नेशन, वन इलेक्शन से चुनाव आयोग भी और नवाचार कर पाएगा.

कोड ऑफ़ कंडक्ट का ठीक ढंग  से पालन होने के साथ-साथ चुनावी वैमनस्यता से मुक्ति मिलेगी और असामाजिक तत्वों पर रोक लगेगी, चुनावी तनाव भी कम हो सकेगा. इसके अलावा एक साथ चुनाव कराने से राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी, क्योंकि एक बार में सभी प्रतिनिधियों का चयन हो जाएगा और देश और राज्यों को एक स्थिर सरकार मिल सकेगी.

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