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खिवनी के जंगलों में 25 साल बाद लौटा खतरनाक 'सोन कुत्ता', शिकारी को जिंदा ही खाना कर देते हैं शुरू

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित खिवनी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में एक रोमांचक खोज हुई है. 25 साल के लंबे अंतराल के बाद 'जंगली श्वान' (सोन कुत्ता/वाइल्ड डॉग) की वापसी हुई है. इसके अलावा, एक बाघिन के चार शावकों के साथ घूमने के प्रमाण भी मिले हैं, जिससे बाघों की संख्या में वृद्धि की उम्मीद है.

खिवनी के जंगलों में 25 साल बाद लौटा खतरनाक 'सोन कुत्ता', शिकारी को जिंदा ही खाना कर देते हैं शुरू

Son Kutta in Kheoni Jungle: वन्यजीव प्रेमियों के लिए सीहोर जिले में खिवनी की वाइल्ड लाइफ सेंचुरी (Wildlife Sanctuary)  से अच्छी खबर सामने आई है. खिवनी अभ्यारण में करीब 25 से 30 साल के लंबे अंतराल के बाद ‘जंगली श्वान' (सोन कुत्ता/वाइल्ड डॉग) दिखाई दिया है. इतना ही नहीं सर्वे के दौरान एक बाघिन के चार शावकों के साथ घूमने के प्रमाण भी मिले हैं, जिससे इस बार सेंचुरी में बाघों की संख्या में बड़ी वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है.

बता दें, 18 दिसंबर से वाइल्ड लाइफ सेंचुरी खिवनी अभ्यारण में वन्य जीवों की गणना का दूसरा चरण प्रारंभ हुआ, जो 24 दिसंबर तक चलेगा. खिवनी रेंज के रेंजर भीमसिंह सिसोदिया ने बताया कि टीमें सुबह 5 बजे से ही जंगलों में साक्ष्य जुटा रही हैं. पहले ही दिन तेंदुए और बाघों के पगमार्क के साथ-साथ (सोन कुत्ते) के जोड़े का दिखना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी खिवनी अभ्यारण को उत्साहित कर रहा है.

21 दिसंबर के बाद शाकाहारी जीवों की गिनती

विशेषज्ञों का मानना है कि इन दुर्लभ जीवों का दिखना इस बात का संकेत है कि खिवनी का जंगल इन दुर्लभ जीवों के लिए अनुकूल होता नजर आ रहा है. रेंजर सिसोदिया ने बताया कि तीन दिन मांसाहारी वन्य जीवों की गणना होगी, तीन दिन शाकाहारी वन्य जीवों की गणना होगी.

बेहद खूंखार शिकारी है सोन कुत्ता

रेंजर भीमसिंह सिसोदिया ने बताया कि जंगली श्वान (वाइल्ड डॉग, Wild Dog) मुख्य रूप से कान्हा, पेंच और सतपुड़ा जैसे बड़े नेशनल पार्कों में पाए जाते हैं. ये झुंड में रहते हैं और बेहद खतरनाक शिकारी माने जाते हैं. इनकी खासियत यह है कि ये अपने शिकार को जीवित अवस्था में ही नोंचकर खाना शुरू कर देते हैं, जबकि बाघ या तेंदुआ शिकार को मारने के बाद खाते हैं. बाघ भी आमतौर पर इनके झुंड से सीधे नहीं भिड़ते. खिवनी में इनके जोड़े का दिखना और प्रजनन के लिए इस क्षेत्र को चुनना खिवनी अभ्यारण के लिए बड़ी उपलब्धि है.

हमारी टीमें लगातार जंगल में सर्वे कर रही हैं. 25 साल बाद जंगली श्वान का दिखना और बाघिन के साथ शावकों के प्रमाण मिलना शुभ संकेत हैं. यह वन्यजीवों के प्रति अनुकूल वातावरण का परिणाम है. -भीमसिंह सिसोदिया, रेंजर खिवनी अभ्यारण

बाघों का बढ़ेगा कुनबा

जिले में 7 दिसंबर से शुरू हुई गणना के दौरान पहले चरण में बाघों की मौजूदगी के साक्ष्य मिले थे. खिवनी में पहले से ही 10 बाघ मौजूद हैं, लेकिन अब चार शावकों के साथ बाघिन के प्रमाण मिलने से यह संख्या बढ़कर 15 के पार पहुंच सकती है. अगले 6 दिनों तक चलने वाले इस सर्वे में पहले 3 दिन मांसाहारी और अगले 3 दिन शाकाहारी जीवों की गणना की जाएगी.

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