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कोई तो समझो युवाओं का दर्द! MPPSC के अभ्यर्थियों ने PM मोदी के बाद अब चीफ जस्टिस से की इच्छा मृत्यु की मांग

MP News: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. अभ्यर्थियों का कहना है कि पीएससी की भर्तियों का पूरा रिजल्ट जल्द से जल्द जारी किए जाएं या फिर उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए.

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कोई तो समझो युवाओं का दर्द! MPPSC के अभ्यर्थियों ने PM मोदी के बाद अब चीफ जस्टिस से की इच्छा मृत्यु की मांग
फाइल फोटो

MPPSC Candidates Wrote Letter To Chief Justice of Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MP PSC) के राज्य सेवा सहित विभिन्न परीक्षाओं के अभ्यर्थियों ने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखा इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी. इसी कड़ी में अब अभ्यर्थियों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of MP High Court) को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि पीएससी (MPPSC) के रुके हुए 13 प्रतिशत पदों के परिणाम (Demand of MPPSC Result) शीघ्र जारी करवाए जाएं. यदि ऐसा नहीं हो सकता तो फिर इच्छा मृत्यु की अनुमति (Permission To Euthanize) दी जाए. एमपी पीएससी (Madhya Pradesh Public Service Commission) के परेशान अभ्यर्थियों ने पत्र में लिखा है कि 2019 से 2024 तक की सभी परीक्षाओं के परिणाम घोषित हुए हैं, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण संबंधी (OBC Reservation Case) कोर्ट केस के चलते 13 प्रतिशत परिणाम रोक लिए गए हैं. 

इस वजह से हजारों अभ्यर्थियों को इंतजार करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. अभ्यर्थियों का कहना है कि अब इंतजार इतना लंबा हो गया है कि वे मानसिक रूप से बुरी तरह परेशान हो गए हैं. लिहाजा, पीएससी के बाकी 13 प्रतिशत रिजल्ट जल्द से जल्द जारी करवाएं या रुकी सूची वाले अभ्यर्थियों को इच्छा मृत्यु की अनुमति दें.

क्यों रुका है 13 प्रतिशत रिजल्ट?

बता दें कि मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation in Madhya Pradesh) को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 14 प्रतिशत से  27 प्रतिशत कर दिया था. जिसके विरोध में कई याचिकाएं दायर की गई थीं. तब से अब तक यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है. पिछली सुनवाईयों के दौरान हाईकोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि उसने 13 प्रतिशत परिणामों पर रोक नहीं लगाई है, वहीं पीएससी ने इस मामले में अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है. हाईकोर्ट में उसकी दलील है कि यह राज्य शासन के अधिकार क्षेत्र का विषय है. 

अब राज्य शासन को इस मामले में निर्णय लेना है. जिसे लेकर कई तकनीकी पहलू भी परेशानी का कारण बने हुए हैं. पीएससी परीक्षा में ओबीसी आरक्षण के विवाद के चलते राज्य सेवा परीक्षा 2019, 2020 के 13 प्रतिशत फाइनल रिजल्ट रुके हुए हैं. वहीं वन सेवा, एडीपीओ, स्टेट इंजीनियरिंग सर्विस सहित कई परीक्षाओं के परिणाम पर इस विवाद का साया मंडरा रहा है.

क्या है आरक्षण का विवाद?

वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार सभी भर्तियां 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ निकाली गईं. जिसके बाद राज्य में आरक्षण को लेकर खूब विवाद हुआ. वहीं यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के चलते सरकार ने सभी भर्तियों को 87 प्रतिशत रिजल्ट के साथ नियुक्ति देने का निर्णय लिया. जिसके चलते सभी पीएससी की भर्तियों को 87 प्रतिशत रिजल्ट के साथ जारी किया गया. वहीं 13 प्रतिशत ओबीसी और 13 प्रतिशत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का रिजल्ट रिजर्व करने रखा गया. जिसे जारी करने के लिए अभ्यर्थी लगातार मांग कर रहे हैं.

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