![MP हाईकोर्ट में साइबर ब्रांच ने पेश की नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े की रिपोर्ट, जानिए क्या है मामला? MP हाईकोर्ट में साइबर ब्रांच ने पेश की नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े की रिपोर्ट, जानिए क्या है मामला?](https://c.ndtvimg.com/2024-05/ivlrl7h_mp-nursing-college-scam_625x300_22_May_24.jpeg?downsize=773:435)
MP Nursing College Scam: बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े (Nursing college Fraud Case) के मामले में हाई कोर्ट (High Court) के निर्देशानुसार साइबर ब्रांच (Cyber Branch) ने अपनी रिपोर्ट (Report) सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत कर दी है. सोमवार 10 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी और न्यायमूर्ति अचल कुमार पालीवाल की खंडपीठ के समक्ष यह रिपोर्ट दाखिल की गई, जिसे अदालत ने रिकॉर्ड पर ले लिया है. वहीं साइबर ब्रांच ने बताया कि पूर्व महिला रजिस्ट्रार के मोबाइल फोन की लोकेशन प्राप्त कर ली गई है, लेकिन कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों का फुटेज अब तक पुनः हासिल नहीं किया जा सका है. फुटेज रिकवरी के लिए डीवीआर को सेंट्रल लैब भेजा गया है, जहां जांच जारी है.
ला स्टूडेंट्स एसोसिएशन की जनहित याचिका में क्या है?
ला स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर कर प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. याचिका में यह आरोप लगाया गया कि घोटाले में शामिल एक इंस्पेक्टर को नर्सिंग काउंसिल का रजिस्ट्रार और तत्कालीन निदेशक को अध्यक्ष बना दिया गया, जिससे साक्ष्य से छेड़छाड़ की संभावना बढ़ गई. इस पर हाई कोर्ट ने तत्कालीन रजिस्ट्रार अनीता चंद्र और अध्यक्ष जितेश चंद्र शुक्ला को पद से हटाने के आदेश दिए थे.
सरकारी आश्वासन और कोर्ट की सख्ती
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को अवगत कराया गया कि आदेश के बावजूद दोनों अधिकारियों को नहीं हटाया गया था. इस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई, जिसके बाद सरकार ने 24 घंटे के भीतर आदेश का पालन करने का आश्वासन दिया. सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि काउंसिल कार्यालय से महत्वपूर्ण दस्तावेजों से भरे चार बक्से गायब हैं और 13 से 19 दिसंबर के बीच के सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं हैं.
सीबीआई जांच की चेतावनी
न्यायालय ने सीसीटीवी डेटा सुरक्षित न रखने को गंभीरता से लेते हुए पुलिस आयुक्त भोपाल और साइबर सेल को फुटेज रिकवर करने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने यह भी कहा कि पूर्व रजिस्ट्रार के फोन की लोकेशन ट्रैक कर यह सुनिश्चित किया जाए कि वह उक्त अवधि में कार्यालय में मौजूद थीं या नहीं. साथ ही, क्षेत्र में लगे अन्य कैमरों, विशेष रूप से बैंक के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच करने का आदेश दिया गया था.
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